लखनऊ: देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ इस समय दिल्ली दौरे पर हैं। यहां उन्होंने गुरूवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इसके बाद शुक्रवार को राष्ट्रपति और पीएम मोदी सहित भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात का समय तय है। यूपी में विधानसभा चुनाव से पहले हो रही इन मुलाकातों को लेकर विशेषज्ञ अपने अपने कयास लगा रहे हैं।
दरअसल, यूपी में जनवरी माह में संपन्न हुए एमएलसी चुनाव के बाद कुछ समय तक तो मामला शांत रहा लेकिन फिर धीरे धीरे राजनीति गर्माती गई। उसका कारण एमएलसी चुने गए पूर्व आईएएस और पीएम मोदी के करीबी ए.के शर्मा को माना जा रहा है। ऐसा बताया जाता है कि, अरविंद शर्मा के एमएलसी बनने के बाद केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से सीएम योगी पर उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाने और गृह नियुक्ति एवं गोपन जैसे अति महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील विभाग देने का दबाव बढ़ाया जा रहा था। जिसे सीएम योगी उसे टालते जा रहे थे। इसी बीच अब जब भाजपा के संगठन महासचिव बीएल संतोष और यूपी प्रभारी राधा मोहन सिंह लखनऊ गए और उन्होंने विधायकों मंत्रियों से बात करके दबाव बढ़ाया।
इसी बीच सीएम योगी को बदलने तक की चर्चाएं होने लगीं। इन आशंकाओं को और बल तब मिला जब राधामोहन सिंह ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित से मुलाकात की। अंदरखाने के सूत्रों की मानें तो जब यह सब मामला तूल पकड़ने लगा तब योगी आदित्यनाथ ने सीधे सर संघचालक से संपर्क किया और उनसे अपनी स्थिति स्पष्ट की। इस दौरान सीएम योगी ने संघ प्रमुख से राज्य सभा, विधान परिषद में उम्मीदवारों की नाम से लेकर सरकारी कामकाज और नियुक्तियों पर केंद्रीय दखल तक की बात कह डाली। जिसे संघ प्रमुख ने बेहद गंभीरता से लिया है।
इसका प्रमुख कारण यह भी है कि, उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री पद योगी आदित्यनाथ को भाजपा नेतृत्व की इच्छा से नहीं बल्कि संघ नेतृत्व की इच्छा से मिला था। ऐसा बताया जाता है कि, संघ योगी को मोदी के बाद भाजपा के भावी नेता के रूप में विकसित करने की दूरगामी योजना पर काम कर रहा है। बताया जाता है कि हाल ही में दिल्ली में आयोजित संघ अधिकारियों की बैठक में यूपी की स्थिति पर भी चर्चा की गई।
इस बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले और भाजपा के संगठन महासचिव बीएल संतोष सहित कई बड़े पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया। जिसमें यूपी आए सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले और भाजपा के संगठन महासचिव की रिपोर्ट पर विचार हुआ। उसके बाद संघ की सर्वसम्मति से राय बनी कि, योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने रहेंगे। लेकिन उन्हें अपनी इस जिद से पीछे हटना होगा कि, वह अरविंद शर्मा को ज्यादा से ज्यादा राज्य मंत्री बनाएंगे।
संघ नेतृत्व के अनुसार सीएम योगी अरविंद शर्मा को कैबिनेट मंत्री बनाना चाहिए और जहां तक मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार की बात है तो भाजपा नेतृत्व को मुख्यमंत्री को विश्वास में लेकर आपस में बातचीत करके उस पर निर्णय लेना चाहिए और मंत्रियों के विभागों के मामले में भी मुख्यमंत्री को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। इस तरह संघ ने एक तरह से बीच का रास्ता निकाला और केंद्रीय नेतृत्व तथा योगी दोनों को ही अपने अपने रुख से कुछ पीछे हटने की सलाह दी।
अब ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि, इसी हफ्ते भाजपा का दामन थामने वाले जितिन प्रसाद और ए.के शर्मा को कैबिनेट विस्तार में मंत्री बनाया जा सकता है। जिससे भाजपा उत्तर प्रदेश में अपने मूल जनाधार वर्ग ब्राह्मणों की नाराजगी दूर करने की हर मुमकिन कोशिश करेगी। ताकि आने वाले चुनावों में वह ब्राह्मण नाराजगी को दूर सके। अब इसमें वह कितना सफल होती है, यह देखने वाली बात होगी