राजा भैया के करीबी एमएलसी अक्षय प्रताप को 7 साल की कैद

एमपी-एमएलए कोर्ट ने अक्षय प्रताप को फर्जी पते पर शस्त्र लाइसेंस लेने के मामले में सात साल की सजा के साथ ही दस हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है।

Update: 2022-03-23 12:03 GMT

उत्तर प्रदेश के कुंडा से विधायक राजाभैया को आज बुधवार को एक और झटका लगा है। विधायक के करीबी एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल को सात साल की सजा सुनाई गई है। एमपी-एमएलए कोर्ट ने अक्षय प्रताप को फर्जी पते पर शस्त्र लाइसेंस लेने के मामले में सात साल की सजा के साथ ही दस हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है। बता दें कि इस मामले में अक्षय प्रताप 15 मार्च को दोषसिद्ध हुए थे।

मुकदमे के अनुसार शहर के रोडवेज डिपो के पास स्थित फर्जी पते पर शस्त्र लाइसेंस लेने की एफआईआर 1997 में अक्षय प्रताप के खिलाफ दर्ज कराई गई थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस मामले की सुनवाई एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रही थी। बीते 15 मार्च को कोर्ट ने अक्षय प्रताप को दोषी करार देते हुए 22 मार्च को सजा सुनाने की तारीख तय की थी। 22 मार्च मंगलवार को अक्षय प्रताप कोर्ट में पेश हुए तो न्यायाधीश बलरामदास जायसवाल ने उन्हें अपनी कस्टडी में लेते हुए जेल भेज दिया और बुधवार दोपहर सजा सुनाए जाने का आदेश दिया। जिसके बाद अक्षय प्रताप को न्यायिक कस्टडी में जेल भेज दिया गया। बुधवार को इस मामले को देखते हुए सुबह से न्यायालय परिसर में काफी गहमागहमी रही। दोपहर बाद बैठी कोर्ट ने अक्षय प्रताप को सात साल की सजा और दस हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई।

1997 में हुई थी एफआईआर

गौरतलब है कि 6 सितंबर 1997 को अक्षय प्रताप सिंह के खिलाफ नगर कोतवाली में एसआई डीपी शुक्ला ने एफआईआर दर्ज कराई थी। इस संबंध में एसआई अशर्फीलाल ने रिपोर्ट दी थी और एसआई दूधनाथ ने संस्तुति की थी। एफआईआर में कहा गया कि जामो बेती कुंडा के अक्षय प्रताप सिंह ने शहर में रोडवेज बस अड्डे के पते पर शस्त्र लाइसेंस लिया। जांच में पता सही नहीं पाया गया। 

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