काशी में 11 राज्यों के विश्व प्रसिद्ध उत्पादों की प्रदर्शनी! केंद्रीय मंत्री बोले- "जीआई उत्पाद और क्राफ्ट भारत की आत्मा है"
वाराणसी में रविवार से स्थानीय उत्पादों का सबसे बड़ा मेला 'जीआई महोत्सव' शुरू हुआ। जीआई उत्पादों पर आधारित महोत्सव कराने वाला वाराणसी पहला जिला बन गया है। इसमें 11 राज्यों के 100 स्टॉल लगाए गए हैं। यहां पर आपको पूरे देश की विश्व प्रसिद्ध वस्तुएं मिलेंगी। 6 दिन तक चलने वाले इस मेले का समापन 21 अक्टूबर को होगा। वाराणसी के बड़ा लालपुर स्थित दीनदयाल हस्तकला संकुल में देश भर से आए जीआई उत्पादों के कारोबारी और विशेषज्ञ मौजूद हैं।
केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने शुभारंभ करने के बाद कहा, '' नई सरकार के कार्यकाल में जीआई उत्पादों के रजिस्ट्रेशन में तेजी आई है। जीआई उत्पाद और क्राफ्ट भारत की आत्मा है। जीआई आने से पहले ही हमारा देश अपने अलग-अलग क्षेत्रीय उत्पादों के लिए विश्व विख्यात रहा है। उन्होंने कहा कि अब ज्यादा से ज्यादा भौगोलिक उत्पादों को पंजीकृत कर उन्हें संरक्षित किए जाने की जरूरत है।''
पूर्वांचल के विश्व विख्यात उत्पाद मिलेंगे यहां
इस महोत्सव में वाराणसी और आसपास पूर्वांचल के जिले मीरजापुर, भदोही, आजमगढ़, चंदौली, गाजीपुर के भी कई जीआई उत्पाद ऐसे शामिल हैं, जो पूरे विश्व भर में पूर्वांचल की पहचान के तौर पर जाने जाते हैं। यह महोत्सव उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के निर्देश पर किया जा रहा है।
यहां मिलेंगी कई तकनीकी जानकारियां
उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रविंद्र जायसवाल ने कहा, ''बनारसियों के DNA में हुनर है। बनारसियों के हस्त कौशल के कारण बनारस की साड़ी और बनारस का पान दोनों ही विश्व विख्यात है।'' कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने कहा कि युवाओं को तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में बहुत सी जानकारियां यहां पर मिलेंगी। हथकरघा, पॉलिटेक्निक, ITI, हैंडीक्राफ्ट, कृषि से जुड़े छात्र और रिसर्चर भी यहां से काफी कुछ हासिल कर सकते हैं। उनका एक एक्सपोजर विजिट कराया जाएगा। कई उत्पादों के कारीगरों को भी इस महोत्सव में लाया जाएगा।
बनारस की ठंडई एक हजारवां जीआई उत्पाद
कमिश्नर ने वाराणसी और आस-पास के जिले के लोगों से अपील की कि ज्यादा से ज्यादा से संख्या में इस महोत्सव को देखने आए। पद्मश्री रजनीकांत बोले कि उन्होंने 370 जीआई उत्पादों का पंजीकरण अब तक कराया है। वहीं राष्ट्रीय स्तर पर बनारस की ठंडई को जीआई के एक हजारवें उत्पाद के रूप में पंजीकरण किया जा रहा है।
महोत्सव में क्या-क्या रहा खास
उत्तर प्रदेश के निजामाबाद की ब्लैक पॉटरी, खुर्जा पॉटरी, बनारस मेटल रिपोजी क्राफ्ट, वाराणसी ग्लास बीड्स, चुनार रेड क्ले ग्लेज पॉटरी, महोबा देसावरी पान, प्रतापगढ़ आंवला, काला नमक चावल, इलाहाबाद सूखा अमरूद, लखनऊ चकन शल्प, बनारस जरदोजी, भदोही हस्तनिर्मत कालीन, आगरा दरी, फर्रुखाबाद प्रिंट, मुरादाबाद धातु शल्प, मिर्जापुर की हस्तनिर्मित दरी, आगरा वाले चमड़े के जूते, बनारस की गुलाबी मीनाकारी, बनारस मेटल रिपोज क्राफ्ट, बिहार की मंजूषा कला, भोजपुर उदवंतनगर का खुर्मा, पथरकाटी स्टोन क्राफ्ट, मधुबनी पेंटिंग, फैब्रिक पर मधुबनी पेंटिंग, नालंदा बावन बूटी साड़ी, मगही पान, एप्लिक (खटवा) वर्क मध्य प्रदेश से इंदौर लेदर टॉयज, चंदेरी वस्त्र और साड़ी, बाघ प्रंट, महेश्वर साड़ी और वस्त्र, उज्जैन बुटिक प्रिंट, दतिया और टीकमगढ़ के कांस्य बर्तन/बेल मेटल वेयर, हिमाचल प्रदेश से कांगड़ा चाय, हिमाचली काला जीरा, चंबा रुमाल, चंबा चप्पल, कन्नौरी शॉल, हिमाचली टोपी, जम्मू और कश्मीर की पश्मीना साल, झारखंड से सोहराई, कोहबर चत्रकला, बगिया साड़ी और फैब्रिक्स राजस्थान से जयपुर की ब्लू पॉटरी, कोटा डोरिया, पंजाब से फुलकारी, उत्तराखंड से प्राकृतिक फाईबर उत्पाद, ताम्र उत्पाद, बेरीनाग चाय, पिथौरागढ़ के विभागीय स्टाल लगाए गए हैं।