जन्मदिन विशेष: एसपी सुकीर्ति माधव मिश्र ने चंदन की खुशबु से महकाया शामली
शामली में आने के बाद एक एक कर सभी घटनाओं पर अंकुश लगाकर जो घटना कारित हुई भी उनका जल्द से जल्द खुलासा करके बड़ी कामयाबी हासिल की है।
शामली : जिले के पुलिस अधीक्षक सुकीर्ति माधव मिश्र का आज जन्म दिन है। 1 मार्च 1988 को जन्मे सुकीर्ति माधव मिश्र मूल रूप से बिहार प्रांत के जमुई डिस्ट्रिक्ट के अंतर्गत मलयपुर गांव के रहने वाले है, सुकीर्ति माधव का निक नेम चंदन है। शामली में आने के बाद एक एक कर सभी घटनाओं पर अंकुश लगाकर जो घटना कारित हुई भी उनका जल्द से जल्द खुलासा करके बड़ी कामयाबी हासिल की है। स्पेशल कवरेज न्यूज उनको जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई देता है ..
खाकी पर लिखी कविता हुई थी वायरल
कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों और देशव्यापी लॉकडाउन की दोहरी मार सबसे ज्यादा पुलिसकर्मियों पर पड़ी है। पुलिसकर्मियों को एक ओर खुद को, अपने परिवार और समाज को भी इस बीमारी से सुरक्षित रहना है तो दूसरी तरफ कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी भी संभालनी है। इन चुनौतियों के बीच सुकीर्ति माधव की लिखी कविता 'मैं खाकी हूं...' खूब वायरल हुई थी। ट्रेनिंग के दिनों में लिखी उनकी इस कविता को नासिक के पुलिस कमिश्नर और तेज-तर्रार आईपीएस अफसर विश्वास नांगरे पाटिल ने गाया है। उनकी गाई और सुकीर्ति की लिखी यह कविता देखते ही देखते खूब वायरल होने लगी। बुधवार को यूपी पुलिस ने भी उनकी इस कविता को ट्वीट किया। उस वक्त सुकीर्ति माधव वाराणसी में एसपी (सुरक्षा) के पद पर तैनात थे।
2015 बैच के हैं आईपीएस अफसर
यूपी के इलाहाबाद में 1 जनवरी 2018 को सीओ सिटी थर्ड के रूप में आईपीएस अफसर सुकीर्ति माधव मिश्रा की पहली पोस्टिंग हुई। सुकीर्ति ने लाखों का पैकेज छोड़कर मां-बाप के सपनों को साकार करने के लिए आईपीएस बनने की ठानी। अपने फर्स्ट अटेंप्ट में ही देश के सबसे बड़े एग्जाम को पास आउट कर लिया था, लेकिन 2014 में मिली सफलता में उन्हें आईआरएस मिला था। जबकि उन्हें आईपीएस बनना था, इसलिए 2015 में उन्होंने दोबारा एग्जाम दिया और सिलेक्ट हो गए।
पिता हैं टीचर और मां हैं हाउसवाइफ
मूल रूप से बिहार प्रांत के जमुई डिस्ट्रिक्ट के अंतर्गत मलयपुर गांव के रहने वाले सुकीर्ति माधव का निक नेम चंदन है। उनके पिता कृष्ण कांत मिश्रा जूनियर हाईस्कूल में टीचर हैं। उनकी मां कविता मिश्रा हाउस वाइफ हैं। उनसे बड़ी उनकी एक बहन है रिचा मिश्रा। जिनकी शादी हो चुकी है, उनके बहनोई विकास मिश्रा नौसेना में हैं।
सरकारी विद्यालय से की पढ़ाई, करने के बाद मिल गई थी नौकरी
सुकीर्ति माधव मिश्रा की प्रारंभिक पढ़ाई अपने गांव के प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूल में हुई है। ग्रेजुएशन उन्होंने भुवनेश्वर यूनिवर्सिटी से किया है। 2010 में उन्होंने एमएनआईटी दुर्गापुर से एमबीए की डिग्री हासिल की। उसी साल उन्हें कोल इंडिया में मैनेजर पद की नौकरी मिल गई और वो नौकरी करने चले गए।
रिजेक्ट होने पर परेशान हो गए थे सुकीर्ति माधव, 1 मार्च 1988 को जन्मे सुकीर्ति माधव के लिए सबसे कठिन पल वो था जब वो एमबीए कर रहे थे और कैंपस सिलेक्शन में आईडीबीआई बैंक के लोगों ने उन्हें रिजेक्ट कर दिया था। जिससे वह काफी फ्रेस्टेट हुए थे, लेकिन बाद में घरवालों ने और टीचर्स ने उन्हें समझाया। उसके बाद ही उन्हें कोल इंडिया में नौकरी मिल गई।
2010 में पिता-पुत्र को एक साथ मिली थी नौकरी, लालू यादव थे रीजन
सुकीर्ति माधव बताते हैं- ''वर्ष 2010 हमारे पूरे परिवार के लिए बहुत खुशियों वाला था क्योंकि इस वर्ष में मुझे और मेरे पिताजी को एक साथ नौकरी मिली। मेरे पिताजी की जो भर्ती थी, उस पूरी भर्ती प्रक्रिया को ही 1987-88 में पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव की पहल पर निरस्त कर दिया गया था। इससे हजारों शिक्षक बेरोजगार हो गए थे, उनका मुद्दा कोर्ट में लंबित था।
करीब 22 साल की लंबी लड़ाई के बाद 2010 में पिताजी को न्याय मिला और उन्हें दोबारा नियुक्ति मिली और पीछे का पूरा पेमेंट भी दिया गया। बड़ी बहन की हो चुकी है शादी, बहनोई है नौसेना में, इन 22 सालों में हमारे माता-पिता ने बहुत से अभाव देखे, लेकिन कभी हम भाई-बहन को उसका आभास नहीं होने दिया। खेती किसानी के बूते ही उन्होंने मेरी दीदी ऋचा मिश्रा को एमए और बीएड कराया, मुझे एमबीए कराया।'' जब 2010 में दोनों लोगों को साथ में नौकरी मिली तो उसके बाद सबसे पहला काम हम लोगों ने दीदी की शादी 2011 में की।
पिता ने कहा- आईपीएस बनो, छोड़ी 15 लाख पैकेज की जॉब
तब तक मेरे जेहन में सिविल सर्विसेज को लेकर कोई हरकत नहीं थी, मैं कोल इंडिया के मैनेजर पर से संतुष्ट था। क्योंकि वहां कंपनी अच्छी थी और पैसे भी बढ़िया मिल रहे थे। मुझे साल के 15 लाख रुपए मिलते थे। दीदी की शादी के बाद मम्मी-पापा ने एक दिन बुला कर कहा कि अगर चाहो तो सिविल सर्विसेस ट्राई कर सकते हो। आम आदमी से जुड़ने का मौका मिलेगा, उनकी सेवा करने का मौका मिलेगा। जो पैसे से कहीं ज्यादा अच्छा होगा।
2012 में शुरू की तैयारी सुबह नौकरी और रात में करते थे पढ़ाई
तब तक मेरी नौकरी के करीब दो साल हो चुके थे। पिता जी के कहने के बाद मैंने सिविल सर्विसेस के बारे में जानना शुरू किया और फिर नौकरी करते-करते ही तैयारी शुरू कर दी। कोल इंडिया में जहां मेरी पोस्टिंग थी, वहां भी दो-चार लड़के सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे थे उनका भी प्रभाव पड़ा। 2012 से मैंने तैयारी शुरू कर दी, जो काफी कठिन थी लेकिन लक्ष्य तय था इसलिए दिक्कत नहीं हुई। सुबह 9:00 बजे से शाम को 6:00 बजे तक ऑफिस का काम निपटाता था। पढ़ाई कभी घंटे में बांधकर तो नहीं की लेकिन 9-10 बजे से बजे से लेकर रात में 1:00 से 2:00 बजे तक जरूर पढ़ता था। 2 साल की कड़ी तैयारी के बाद वर्ष 2014 में मैंने सिविल सर्विसेज का पहला एग्जाम दिया। पहले ही अटेंप्ट में मेरा सिलेक्शन हो गया। लेकिन मुझे आईआरएस मिला जिसे मैंने छोड़ दिया उसके बाद दूसरे अटेंड में वर्ष 2015-16 में मुझे आईपीएस कैडर मिल गया।
स्पेशल कवरेज न्यूज़ की टीम द्वारा आज युवा दिलों की धड़कन और युवाओं के आदर्श एसपी शामली सुकीर्ति माधव के साथ शामली जिले में अपराध पर शिकंजा कसने के लिए विशेष बातचीत की गई ।जिसमें एसपी ने माना कि शामली जिला छोटा भले ही हो लेकिन संवेदनशील है। उन्होने साफ तौर पर कहा की अपरधियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।वहीं एसपी द्वारा अपनी कार्यप्रणाली और कार्यकुशलता का ट्रेलर पेट्रोल पम्प लूट करने वाले बदमाशो को एनकाउंटर के बाद गिरफ्तार करके दिखाया जा चुका है।जिससे उन्होंने अपराधियों के खिलाफ अपने इरादे जाहिर कर दिए है। जिससे कहीं ना कहीं अपराधियों में पुलिस का खोफ उत्पन्न हुआ है।
आपको बता दे कि 'स्पेशल कवरेज न्यूज़' के चीफ एडिटर शिव कुमार मिश्रा द्वारा युवा आईपीएस सुकीर्ति माधव मिश्रा, शामली एसपी से बात चीत की गई। सबसे पहले हम आपको इस तेज तर्रार आईपीएस सुकीर्ति माधव मिश्रा का परिचय करा दे।
सुकीर्ति माधव मिश्रा 2015 बैच के आईपीएस अधिकारी है। शामली उनका एसपी के रूप में पहला जनपद है। इससे पहले वह इलाहाबाद और प्रयागराज में एसपी और एएसपी के पद पर तैनात रह चुके है। जहां उन पर वाराणसी में सुरक्षा की बड़ी जिम्मेदारी थी जहा वे एएसपी के पद पर तैनात थे। उनकी नियुक्ति अभी हाल ही में शामली एसपी के पद पर हुई थी।जहा उन्होंने 2 दिसंबर को चार्ज लिया था। यूपी के इलाहाबाद में 1 जनवरी 2018 सीओ सिटी थर्ड के रूप में उनकी पहली नियुक्ति हुई थी। जहां उन्होंने अपने माता पिता के सपनों को साकार करने के लिए लाखो रुपए का पैकेज ठुकरा दिया।और आईपीएस बनने का ठन लिया था। जहां उन्होंने अपने पहले प्रयास में देश के इस सबसे बड़े इस एग्जाम को पासआउट कर लिया लेकिन 2014 में उन्हें जो सफलता मिली थी वो आईआरएस था।लेकिन उन्हें तो आईपीएस बनना था। जहां उन्होंने पुनः फिर प्रयास किया। जहां वे फिर सेलेक्ट हो गए और उन्होंने आईपीएस बन अपने माता पिता के सपनों को साकार कर दिया।वहीं उन्होंने देश के करोड़ों युवाओं के रोल मॉडल का बनते हुए उनके लिए एक जीवंत मिसाल कायम की है।
वहीं उनके एसपी के रूप मे पहले जनपद शामली में उनकी नियुक्ति हुई है। शामली जिला भले ही छोटा हो लेकिन संवेदनशील है। क्योकि एक तरफ तो शामली जनपद की सीमाएं हरियाणा में लगी है। जहां खादर में अवैध खनन भी चलता है जो कि अपराध की जननी बाई। वहीं अपराध के मामले में शामली के समीपवर्ती जिले सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बागपत भी अहम स्थान पाते है।ऐसे में वे किस तरह से शामली को अपराध मुक्त करेंगे ये एक बड़ी चुनौती है। एसपी का कहना है। शामली संवेदनशील जिला है, लेकिन हमने अपने विभाग को पूरी तरह सतर्क किया है, वहीं इसके लिए पूरा रोड मैप तैयार किया गया है उसी के तहत अपराधियों पर सख्त से सख्त कार्यवाही करनी है। जिससे अपराधियों पर लगाम लग सके और उनके दिलो में पुलिस का खोफ कायम किया जाएगा। वहीं विभाग के अधिकारियों या कर्मचारियों कि लापरवाही भी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।लोगो में सुरक्षा की भावना उत्पन्न करेंगे।
उन्होंने किसान आंदोलन पर कहा कि माना की शामली कृषि प्रधान जिला है जहा आजकल किसानों को लेकर आजकल समस्याएं आ रही है। लेकिन संवाद बनाए रखने से लगातार समाधान निकल रहा है। हम लगातार किसान नेताओ और किसानों से वार्ता कर रहे है। हम लगातार किसानों की विद्युत की आदि की समस्याओं का समधन भी करा रहे है। यहां के किसान पुलिस प्रशासन को सपोर्ट कर रहे है।किसानों की यह पर काफी समस्याएं है। लेकिन एक दूसरे के सपोर्ट के चलते धीरे धीरे सभी समस्याओं का निदान किया जा रहा है।
उन्होने फरियादियों के लिए पुलिस को संवेदनशील बनने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि कोई भी फरियादी पुलिस के पास तब जाता है जब वह समस्या में होता है। अगर हम उसके स्थान पर खुद को रखकर देखे की अगर हम इस समस्या में होते तो हमे पुलिस से किस तरह का व्यवहार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वे लगातार अपने विभाग के लोगो को जनता से भावनात्मक रूप से जुड़ने के लिए प्रेरित करते है। उन्होंने कहा कि जब तक हम जनता के जूतों में अपने पैर नहीं डालेंगे तब तक हम उनके दर्द को नहीं समझ सकते। हम उसे अपना रिलेटिव या कोई भी जानकर मानकर देखे तो हम कैसा व्यवहार करेंगे। उन्होंने पुलिस को जनता से भावनात्मक रूप से जुड़ने को प्रेरित किया।संवेदनशील पुलिस ही अच्छी पुलिस हो सकती है।
उन्होंने ग्राम स्तर पर रांजिशो को लेकर कहा की कुछ विवाद ग्राम स्तर पर होते है। जिनमे अगर समय रहते कार्यवाहीं ना की जाए तो ये विवाद बड़ा रूप धारण कर लेते है। लेकिन खास तौर पर ग्राम पंचायत चुनावों को लेकर ऐसे मामलों के लिए रूप रेखा तैयार कर ली गई है। कोई भी अप्रिय घटना नहीं होने दी जाएगी।