शामली में सड़कों पर उतरे किसान, कलेक्ट्रेट पर किसानों का एक दिवसीय धरना प्रदर्शन शुरू
कोर कमेटी के आह्वान पर जनपद की कलेक्ट्रेट पर भारतीय किसान यूनियन के सैकड़ों किसान कार्यकर्ताओ द्वारा सरकार द्वारा लाए गए कृषि अध्यादेशों के विरोध में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन शुरू हो चुका है।जहा आज भाकियू के नेतृत्व में सैकड़ों किसान दर्जनों ट्रैक्टर ट्रालियों में सवार होकर एसटी तिराहा पहुंचे।जहा से सभी किसान इकठ्ठा होकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए जनपद की कलेक्ट्रेट पहुंचे।जहा किसानों को पुलिस द्वारा बैरिकेडिंग लगाकर ट्रैक्टरों को रोकने का प्रयास किया गया।लेकिन आक्रोशित किसान बैरिकेडिंग तोड़कर अपने ट्रैक्टर कलेक्ट्रेट के अंदर ले गए।हालाकि हंगामा बढ़ता देख पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने स्तिथि को संभाला। किसानों के धरने को लेकर पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए कलेक्ट्रेट में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
भारतीय किसान यूनियन के कोर कमेटी के आह्वान पर भारतीय किसान यूनियन के सैकड़ों कार्यकर्ता अपने अपने ट्रैक्टरों ट्रॉलियों पर सवार होकर नगर के एसटी तिराहा पहुंचे।जहा किसानों में सरकार के खिलाफ बड़ा आक्रोश दिखा।आक्रोशित किसान एसटी तिराहा से सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे।जहा कलेक्ट्रेट के बाहर पुलिस प्रशासन द्वारा बैरिकेडिंग लगाकर किसानों के ट्रैक्टरों को रोकने का प्रयास किया गया।लेकिन किसान नहीं माने और वे कलेक्ट्रेट में ट्रैक्टरों ट्रॉलियों को लेकर घुस गए।वहीं मौके पर मौजूद पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने स्तिथि को संभाला जिसके बाद काफी ट्रैक्टर ट्रॉलियों को कलेक्ट्रेट के बाहर ही रुकवा दिया गया।
धरना दे रहे भाकियू जिला अध्यक्ष ने जानकारी देते हुए बताया की 6 माह पहले सरकार द्वारा जो काले कानून लागू किए है। उनके विरोध में आज भारतीय किसान यूनियन द्वारा सभी जिला मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन किया जा रहा है।उन्होंने बताया कि धरना प्रदर्शन के बाद डीएम को एक ज्ञापन सौंपा जाएगा।जिसके बाद दिल्ली कूच का आह्वान किया जाएगा।उन्होंने भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता के सरकार को गोला लाठी देने वाले बयान पर कहा की दिल्ली में किसान पूरे भारत के किसान जुटने शुरू हो गए है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश का किसान अभी तक शादियों या अन्य कारणो से दिल्ली नहीं पहुंच पा रहा था।जो कि अब दिल्ली पहुंचने के लिए तैयार है और आने वाले समय में चोतारफा विरोध के चलते सरकार को खुद ब खुद गोला लाठी आ जाएगी।
उन्होंने बताया कि सरकार किसानों के इस मुद्दे का हल नहीं करना चाहती।किसानों ने सरकार के समक्ष 12 मांगे रखी थी।लेकिन सरकार केवल 8 मांगे मानने को तैयार है।लेकिन ये आठ मांगे इतनी जरूरी नहीं है।जो जरूरी मांगे है जैसे एमएसपी है सरकार एमएसपी पर कानून नहीं बना पा रही है।वहीं आवश्यक वस्तु भंडारण सीमा पर भी सरकार कुछ नहीं कर पा रही है।किसानों के धरने को लेकर पुलिस प्रशासन भी चाक चौबंद दिखा और सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए कलेक्ट्रेट में भारी पुलिस बल और पीएसी तैनात की गई है।