मां क्या खाना पक गया: एक बार भूखे बच्चे ने सोने के बाद पुनः उठते ही मां से पुछा लेकिन मां बेबस और लाचार थी ...
प्रशासन ने ऐसे परिवारों का सर्वे नहीं किया और ना ही अपनी जिम्मेदारी समझी और बड़े रईस लोगों ने अपने संवेदनहीनता का परिचय देकर ऐसे लोगों के लिए भोजन व्यवस्था नहीं की।
अमर राठी
शामली में लॉकडाउन के कारण बाजार बंद है, खाने पीने का सामान मिल नहीं रहा। गरीब मजलूमों के सामने लॉकडाउन में पेट भरना दूभर है। शामली में भूख से तडपते बच्चे जब मां ने देखा तो रहा नहीं गया। सडक किनारे इस मां ने बच्चों के लिए थोडा़ राशन जमा कर खाना पकाना शुरू किया तो भूखे बच्चे बार बार पूछते रहे मां क्या बन गया खाना।
प्रशासन ने ऐसे परिवारों का सर्वे नहीं किया और ना ही अपनी जिम्मेदारी समझी और बड़े रईस लोगों ने अपने संवेदनहीनता का परिचय देकर ऐसे लोगों के लिए भोजन व्यवस्था नहीं की।
भगवान के भरोसे.... सब चलता है ।
जनपद शामली की यह तस्वीर शामली के कोतवाली के बराबर में मिल रोड की है, जो हमारे युवा पत्रकार ने यह तस्वीर अपने कैमरे में कैद की, और इस लाचार मां के पास जाकर बैठ गए, और बोले क्या बना रही हो तो उस महिला ने जो जवाब दिया।
उससे दोनों पत्रकार सन्न रह गए? महिला ने मौखिक रूप से बताया रात को कुछ चावल बिखरे पढ़े थे इकट्ठा किया और रख लिया था। सुबह 4 ईट इकट्ठा किया, और कचरा लकड़ी उठाकर बच्चे के लिए भात बना रही हूं।
महिला के 4 बच्चे हैं, जोकि दुकानों के बाहर ही दिन में भी और रात को भी वही सो जाते हैं। यह वाकया वहां से गुजरते हुए कई लोगों ने देखा होगा लेकिन किसी का भी दिल नहीं पसीजा इस बेबस मां को देखकर।
वही मेरे वरिष्ठ युवा पत्रकार ने महिला को उसके चार बच्चों के लिए सामान उपलब्ध कराया, लेकिन यह महिला कौन है कुछ नहीं पता पर लोग डाउन में जिस तरीके से यह तस्वीर देखने को मिली तो मन दुखी हो पड़ा। ...
आखिर क्या बदलते हुए इक्कीसवीं सदी के भारत की असली तस्वीर यही है जो मुझे जीवन भर कचोटती रहेगी, कि आखिर इन मासूमों का क्या दोष है?