यूपी में अभी तक नहीं हो सका शिया वक्फ बोर्ड का गठन

वक्फ अधिनियम 1995 के मुताबिक राज्य सरकार को सांसदों, विधायकों, बार काउंसिल और मुतवल्ली कोटे से दो-दो की जगह सिर्फ एक सदस्य का भी चुनाव कराने का अधिकार है। अधिनियम के मुताबिक बोर्ड में कम से कम दो महिलाएं भी होनी चाहिए।

Update: 2021-09-20 10:40 GMT

उत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश राज्य में शिया वक्फ बोर्ड का गठन नहीं हो सका है बोर्ड में न्यूनतम नौ सदस्य होने चाहिए, जबकि वर्तमान में सिर्फ सात सदस्य ही हैं। ऐसे में चेयरमैन का चुनाव संभव नहीं है।

 जैसा कि अवगत है बोर्ड के गठन के लिए 11 सदस्य का होना अनिवार्य है इसके लिए दो शिया सांसद लोकसभा या राज्यसभा, विधानसभा या विधान परिषद से दो शिया सदस्य, बार काउंसिल के दो शिया सदस्य और दो मुतवल्ली कोटे के सदस्यों का चुनाव होता है। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार शिया समुदाय के एक मौलाना, एक सामाजिक कार्यकर्ता और उप सचिव स्तर के एक अधिकारी को नामित करती है।

हालांकि वक्फ अधिनियम 1995 के मुताबिक राज्य सरकार को सांसदों, विधायकों, बार काउंसिल और मुतवल्ली कोटे से दो-दो की जगह सिर्फ एक सदस्य का भी चुनाव कराने का अधिकार है। अधिनियम के मुताबिक बोर्ड में कम से कम दो महिलाएं भी होनी चाहिए।

शिया वक्फ बोर्ड में मुतवल्ली कोटे की दो सीटों पर पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी और सैयद फैजी चुने गए हैं। सांसद कोटे की दो सदस्यों पदों के लिए चुनाव में सिर्फ पूर्व सांसद बेगम नूर बानो के नामांकन होने से वह निर्विरोध निर्वाचित हुई हैं। 

वक्फ बोर्ड में अधिकतम 11 और न्यूनतम 9 सदस्य हो सकते हैं। ऐसे में सदस्यों की न्यूनतम संख्या होने पर ही चेयरमैन का चुनाव किया जा सकता है। 


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