सहारनपुर में होगा राजनीतिक घमासान, उत्तर प्रदेश विधानसभा नंबर एक से नंबर सात तक की कहानी
उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र के महत्वपूर्ण जिले सहारनपुर में राजनीतिक घमासान मचने शुरू हो गया है...पढ़िए- ये रिपोर्ट
स्पेशल कवरेज न्यूज़ की खास रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र के महत्वपूर्ण जिले सहारनपुर में राजनीतिक घमासान मचने शुरू हो गया है, इसकी वजह यह है कि सहारनपुर में चार प्रमुख दलों के बीच कांटे का मुकाबला होना है और चारों दलों के पास बेहतरीन युवा चेहरे भी हैं और सब के पास जीतने की अपनी-अपनी समीकरणें भी. यदि सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी की बात की जाए तो उसके पास जिले की सात विधानसभाओं में चार विधायक हैं और जिला पंचायत अध्यक्ष भी भारतीय जनता पार्टी के पास है तो दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी के पास सांसद है. कांग्रेस भी सहारनपुर में कमजोर नहीं है. क्योंकि उसके पास बहुत कद्दावर नेता इमरान मसूद के साथ-साथ दो विधायक भी हैं. अब बात करें समाजवादी पार्टी की तो उसके साथ भी अच्छे लोकप्रिय नेता मौजूद हैं और सहारनपुर नगर विधायक संजय गर्ग हैं. इस स्थिति में सहारनपुर में चार दिनों का बड़ा घमासान मचने वाला है. पुराने समाजवादी नेता स्व. जनेश्वर मिश्र के जन्मदिन पर समाजवादी नेताओं ने साइकिल यात्रा कर जिले में अपना दमखम दिखा कर खुद को साबित करने की कोशिश की है. अब लगने लगा है कि समाजवादी पार्टी भी जोरदार टक्कर देने की कोशिश में है. सहारनपुर में अगर हम विधानसभा वार चर्चा करें तो सबसे पहले उत्तर प्रदेश की विधानसभा नंबर एक बेहट की चर्चा करते हैं.
बेहट विधानसभा मुस्लिम बहुल विधानसभा मानी जाती है जिस में दलितों का अभी अच्छा खासा वोट है. फिलहाल बेहट विधानसभा कांग्रेस की झोली में है. बेहट में समाजवादी पार्टी के विधान परिषद के पूर्व सदस्य और लोकप्रिय नेता उमर अली खान भी समाज प्रत्याशी के तौर पर अपनी पकड़ बना रहे हैं तो दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी ने रईस मलिक को विधानसभा प्रभारी बनाया है और वह भी बेहट से ही विधानसभा जाने की तैयारी कर रहे हैं. अगर भारतीय जनता पार्टी के नजरिए से देखें तो बेहट विधानसभा में ठाकुर बिरादरी भी बड़ी तादाद में रहती है. इस विधानसभा में ठाकुर बिरादरी के दो बड़े परिवार रानी देवलता और पूर्व सांसद जगदीश राणा परिवार दोनों भारतीय जनता पार्टी के साथ हैं और उम्मीद है कि भारतीय जनता पार्टी की ओर से कोई ठाकुर ही चुनाव मैदान में उतरेगा. हालांकि पिछली बार कांग्रेस ने सैनी बिरादरी के नरेश सैनी को टिकट देकर मैदान में उतारा था जिसकी बदौलत वह जीतने में कामयाब रहे क्योंकि इस विधानसभा मैं सैनी बिरादरी के भी काफी वोट हैं और इमरान मसूद के समर्थन से मुस्लिम वोट भी कांग्रेस को मिला था इस बार चर्चा यह है कि नरेश सैनी को बेहट विधानसभा की बजाए नकुड विधानसभा से टिकट दिया जाएगा.
वहां भारतीय जनता पार्टी के आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी विधायक हैं और नकुड़ विधानसभा में सैनी बिरादरी बहुत बड़ी तादाद में रहती है इसलिए धर्म सिंह का मुकाबला नरेश सैनी से कराने की कोशिश चल रही है. बेहट विधानसभा में समाजवादी पार्टी को भी कम नहीं आंका जा सकता क्योंकि वहां समाजवादी पार्टी का मोर्चा संभाले हैं पूर्व विधायक उमर अली खान जो लोकप्रिय भी हैं और अपने शालीन व्यवहार के लिए जाने जाते हैं. उमर अली खान एक नवाब खानदान से संबंध रखते हैं इसलिए उनका प्रभाव भी इलाके की हर बिरादरी में माना जाता है. प्रयास यह भी लगाए जा रहे हैं के कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इमरान मसूद बेहट विधानसभा से कांग्रेस के उम्मीदवार हो सकते हैं. इसके साथ साथ यह भी अफवाहें हैं कि इमरान मसूद जल्दी ही समाजवादी पार्टी का दामन थाम सकते हैं अगर समाजवादी पार्टी उनकी तीन टिकट की डिमांड पूरी कर दे. इमरान मसूद की डिमांड अपने टिकट और अपने होने वाले दामाद शयान मसूद की टिकट के लिए भी है और साथ ही लोकदल का दामन थाम चुके उनके बड़े भाई नोमान मसूद के लिए भी वह गंगोह से टिकट चाहते हैं. लेकिन समाजवादी पार्टी के जिले के सभी नेता इमरान मसूद के पार्टी में आने का प्रबल विरोध कर रहे हैं.
इससे पहले भी जो जब इमरान मसूद समाजवादी पार्टी में हुआ करते थे तब टिकट बंटवारे को लेकर ही उनके चाचा पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय रशीद मसूद ने समाजवादी पार्टी को छोड़ दिया था और कांग्रेस में शामिल हो गए थे. इमरान मसूद भी तब से कांग्रेस के साथ चले आ रहे हैं. इमरान मसूद को यह लगता है कि जिले में कांग्रेस से ज्यादा समाजवादी पार्टी की पकड़ है. हालांकि वह पिछले विधानसभा चुनाव में दो विधायक कांग्रेस से जिताने में कामयाब हो गए थे लेकिन इस बार उन्हें लगता है कि समाजवादी पार्टी उनके लिए ज्यादा फायदे का सौदा होगी. अब अगर इमरान मसूद समाजवादी पार्टी में जाते हैं या नहीं भी जाते हैं और बेहट से विधानसभा चुनाव लड़ते हैं तो इस विधानसभा में बड़ा रोमांचक मुकाबला होने की उम्मीद है.
अब बात करते हैं विधानसभा नंबर दो पर आने वाली सहारनपुर की नकुड़ विधानसभा की. नकुड़ विधानसभा से उत्तर प्रदेश सरकार के आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी विधायक हैं. हालांकि धर्म सिंह सैनी खुद इस विधानसभा के निवासी नहीं हैं बल्कि सैनी बिरादरी की अच्छी खासी संख्या इस विधानसभा में रहती इसलिए धर्म सिंह सैनी ने इस विधानसभा को अपने लिए चुना था तब वह बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे और जीते थे. उनका मुकाबला दिग्गज नेता इमरान मसूद से था लेकिन समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार फिरोज़ आफताब की मजबूत पकड़ ने उन्हें जीतने नहीं दिया. इस बार नकुड़ सीट पर कुछ अलग करने की कोशिश की जा रही है.
कांग्रेस के बेहट से विधायक नरेश सैनी को नकुड़ से लड़ाने की कोशिश चल रही है. जब दो सैनी बिरादरी के नेताओं का तो मुकाबला होगा तो बडा रोमांचक मुकाबला होगा. इसके साथ ही बहुजन समाज पार्टी भी मजबूती के साथ मैदान में उतरेगी. यदि समाजवादी पार्टी की बात करें तो उसके लिए तीन नाम सबसे आगे हैं. कैराना पूर्व सांसद तबस्सुम, पूर्व विधायक शगुफ्ता खान के पुत्र साहिल खान और जिले में कुशल वक्ता के तौर पर पहचान रखने वाले फिरोज़ आफताब भी मजबूती के साथ दावेदार हैं. कुल मिलाकर इस सीट पर भी बडा सख्त मुकाबला देखने को मिलेगा.
विधानसभा नंबर तीन सहारनपुर नगर सीट की चर्चा करते हैं जहां से समाजवादी पार्टी के संजय गर्ग विधायक हैं. संज का अपना गणित है जिसकी बदौलत वह कई बार इस सीट से जीतते रहे हैं. उन्हें बनिया और मुस्लिम बहुतायत में मिलता है जिसके सहारे वो जीतने में कामयाब हो जाते हैं. संजय गर्ग रशीद मसूद के तराशे हुए नेता है. और उन्होंने कभी समाजवादी पार्टी का दामन नहीं छोड़ा. इसलिए वह अपनी बनिया बिरादरी के साथ-साथ मुसलमानों में भी काफी लोकप्रिय हैं और उम्मीद की जाती है कि इसी गणित के सहारे अगले इस विधानसभा चुनाव में भी वह अपनी सीट बरकरार रखें. यदि भारतीय जनता पार्टी ने किसी बनिए बिरादरी को ही टिकट दिया और कांग्रेस ने किसी पंजाबी बिरादरी के आदमीको टिकट दिया तब सहारनपुर नगर की समीकरण ने भी उलट जाएंगे. शहर विधानसभा में कभी बहुजन समाज पार्टी का आधार नहीं रहा है इसलिए बसपा उम्मीदवार कौ मुकाबले में नहीं आंका जा सकता.
अब हम बात करें सहारनपुर की वीआईपी रही विधानसभा सीट सहारनपुर देहात. ये सीट पहले हरौड़ा सुरक्षित सीट हुआ करती थी और जिस पर निर्वाचित होकर मायावती दो बार मुख्यमंत्री बनी. यह सीट परंपरागत रूप से बसपा की मानी जाती है और कई बार विधानसभा चुनाव में बसपा ही जीतती रही है. लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के मसूद अख्तर ने बसपा के सिटिंग विधायक जयपाल को 10000 वोटों से शिकस्त देकर कांग्रेस का झंडा फहराकर लोगों को चंबे में डाल दिया था. जब से यह सीट सामान्य हुई तब यहां पहली बार किसी मुसलमान को जीतने का अवसर मिला था, इसलिए इस सीट पर मुसलमानों ने एक तरफा वोटिंग कांग्रेस के पक्ष में की तथा कांग्रेस को समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन का फायदा भी मिला था. इस बार विधानसभा चुनाव में बसपा से भी किसी मुस्लिम को और समाजवादी पार्टी से भी किसी मुस्लिम को टिकट देने की बात चल रही है तब कांग्रेस के लिए राह मुश्किल हो गई है. हालांकि कांग्रेस के मौजूदा विधायक मसूद अख्तर एक अच्छी छवि और ईमानदार व भले आदमी माने जाते हैं. खुद विधायक मसूद अख्तर का कहना है कि मेरे से ज्यादा किसी विधायक ने जिले में विकास कार्य नहीं कराया इसलिए मैं जनता की उम्मीदों पर जरूर खरा उतरूंगा. वैसे तो टिकट मिलने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी लेकिन इतना तय है कि अबकी बार इस सीट पर भी अच्छा घमासान देखने को मिलेगा.
विश्व प्रसिद्ध देवबंद विधानसभा जो विधानसभा नंबर पांच कहलाती है की बात करें तो देवबंद विधानसभा में अक्षर ठाकुर बिरादरी का दबदबा रहा है. हालांकि बीच में माविया अली भी वहां जीतने में कामयाब रहे लेकिन उस सीट के लिए कहा जाता है कि जिस उम्मीदवार को ठाकुर बिरादरी का समर्थन मिलेगा वही कामयाब हो पाएगा. फिलहाल भी वहां भारतीय जनता पार्टी के विधायक ठाकुर हैं और समाजवादी पार्टी की ओर से पूर्व मंत्री राजेंद्र राणा का परिवार और शशिबाला पुंडीर भी घराने के तौर पर मौजूद हैं. टिकटों के बंटवारे से के बाद ये साफ होगा कि यहाँ किसका पलड़ा भारी रहेगा. देवबंद नगर खुद मुस्लिम बहुल माना जाता है लेकिन पूरी विधानसभा में ठाकुरों का प्रभाव रहता है. यदि इस स्थिति में भाजपा और समाजवादी पार्टी ने ठाकुर उम्मीदवार उतारे और कहीं कांग्रेस ने किसी मुस्लिम को टिकट दिया तो कांग्रेस की दावेदारी भी बहुत मजबूत मानी जाएगी. बहुजन समाज पार्टी भी अपना मजबूत उम्मीदवार देकर यह सीट पर मुकाबले को रोमांचकारी बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी.
अब जिले की एकमात्र सुरक्षित सीट और विधानसभा नंबर छह रामपुर मनिहारान की बात करें तो फिलहाल सुरक्षित सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है लेकिन इस विधानसभा चुनाव में यहां भी रोमांचक मुकाबला होने की उम्मीद है. रामपुर सीट जी विधान सभा चुनाव 2017 में सुरक्षित घोषित की गई थी और इस सीट का नया सृजन किया गया था. इस विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट पर कब्जा जमाया लेकिन इस बार मुकाबला आसान नहीं होने वाला है. क्योंकि सहारनपुर से चार बार हरौड़ा सुरक्षित सीट पर विधायक रहे जगपाल सिंह अपने लड़के और बसपा के पूर्व जिलाअध्यक्ष योगेश को बसपा से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं . इसके साथ ही पूर्व विधायक रविंद्र मोलू भी इस इलाके में मजबूत पकड़ रखते हैं और इमरान मसूद भी किसी मजबूत उम्मीदवार को कांग्रेस से उतार कर इस सीट के मुकाबले को दिलचस्प बनाने में कामयाब रहेंगे.
अब आखिर में बात करते हैं विधानसभा नंबर सात गंगोह विधानसभा की. इस सीट पर जिले के दो बड़े राजनीतिक घरानों की प्रतिष्ठा दांव पर लगने वाली है.जिला सहारनपुर में एक लंबे समय तक काजी रशीद मसूद और चौधरी यशपाल दो राजनीतिक घरानों का वर्चस्व रहा है और दोनों गंगोह विधानसभा के रहने वाले हैं. इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प बनाने के लिए कैराना विधायक नाहिद हसन भी अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं. उधर इमरान मसूद के बड़े भाई और गंगोह नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन नोमान मसूद लोकदल का दामन थाम कर गंगोह विधानसभा के लिए कमर कस चुके हैं.
नोमान मसूद को यह लगता है कि यदि लोकदल और समाजवादी पार्टी का गठबंधन होता है तो ये सीट लोकदल के हिस्से में जा सकती है. इस स्थिति में लोकदल की ओर से वह बहुत मजबूत उम्मीदवार होंगे. इसके साथ ही चौधरी यशपाल के पुत्र और समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष रूद्रसेन भी अपनी सीट को नहीं चाहते. अब देखना यह है कि यह सीट किस पार्टी के हिस्से में जाती है और पार्टी किसे अपना उम्मीदवार बनाएगी. फिलहाल गंगोह सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है. बहुजन समाज पार्टी भी बहुत मजबूत कैंडिडेट उतारकर अच्छा मुकाबला करेगी.
सातों विधानसभाओं का विश्लेषण देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि जिला सहारनपुर में विधानसभा चुनाव कितना रोमांचकारी होने वाला है.