घोटाला व लाखों रुपयों का बंदरबांट
जहां के सैकड़ों ग्रामीणों ने प्रधान,एड़ियों पंचायत व सेक्रेटरी पर आरोप लगाते हुए कहा है कि विजय कुमार वर्मा व रंजीत वर्मा ने बताया कि पहले के प्रधान द्वारा सड़क निर्माण हुआ था उसके बाद सरोजा देवी द्वारा फ़र्जी तरीके से सड़क निर्माण व शौचालय निर्माण दिखा कर लाखों रुपये हड़प कर बंदरबांट कर लिए है और गांव भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है।
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर के विकास खंड भदैयाँ के अंतर्गत ग्राम पंचायत मिश्रपुर पुरैना में कई वर्ष से चल रहे विवाद में एड़ीओ पंचायत सेक्रेटरी और प्रधान जहां सब अपने को पाक-साफ व ईमानदार बताते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ गांव की सैकड़ों जनता क्यों कहती हैं कि ग्राम प्रधान, एड़ीओ पंचायत, व सेक्रेटरी के आपसी मिलीभगत के चलते पूरा गांव भ्रष्टाचार का भेंट चढ़ गया है। अब सवाल यह उठता है कि हम किसकी बातों को सही मानें...... ? या फिर प्रधान, सेक्रेटरी, व एड़ीओ पंचायत जिनके हाथों मे प्रदेश सरकार सही को गलत, व गलत को सही बनाने का अधिकार दे रखा है। वीडियो साहिबा आपके विभाग मे जब सब ही ईमानदार हैं, तो आखिर बेईमान कौन और कहां से......? या उसे जिन्हें इनके द्वारा अपना हक प्राप्त होना है।
दरअसल सुल्तानपुर जिले के भदैयाँ ब्लॉक के मिश्रपुर पुरैना गांव है मामला। ऎसा ही विकास खंड भदैया के ग्राम पंचायत मिश्रपुर पुरैना का कुछ करनामा प्रकाश में आया है। जहां के सैकड़ों ग्रामीणों ने प्रधान,एड़ियों पंचायत व सेक्रेटरी पर आरोप लगाते हुए कहा है कि विजय कुमार वर्मा व रंजीत वर्मा ने बताया कि पहले के प्रधान द्वारा सड़क निर्माण हुआ था उसके बाद सरोजा देवी द्वारा फ़र्जी तरीके से सड़क निर्माण व शौचालय निर्माण दिखा कर लाखों रुपये हड़प कर बंदरबांट कर लिए है और गांव भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। वही शिकायतकर्त्ता रंजीत वर्मा ने बताया कि मैंने हर शिकायत पर शिकायत किया था लेकिन आज तक जो भी काम किया गया है वह केवल कागजों पर ही हो रहा है और फर्जी तरह से लगभग 5 लाख रुपयों का बंदरबांट कर लिया गया ज़रा आगे आप स्वयं सुने शिकायतकर्ता की ज़ुबानी........... जिसकी शिकायत की गई थी आज वही शासन से आई जांच पर आज 3 वर्ष से अधिकारी शिकायतकर्ता समेत सैकड़ों ग्रामीणों गुमराह करते रहे है।
वही गांव मिश्रपुर पुरैना की सुने क्या है कहानी। जहां योगी सरकार गाँव के बेहतर बनाने की बात कर रही है तो वही इनके नामित अधिकारी कर्मचारी अपनी हरकतों बाज नहीं आ रहे है ग्रामीणों का आरोप है कि किसी के घर को जाने का रास्ता नहीं है तो कोई कहता है कि मेरे शौचालय का अभी तक रुपये नहीं मिले है कोई यह कहता है कि मेरे पास रहने को घर नहीं है मुझे कालोनी नहीं मिली है तो कोई यह भी कहता है शौचालय नहीं है किसी का शौचालय बना भी है तो उसको आज तक रुपये ही नहीं मिले है और आप को दिखाता हूँ इस गांव कि क्या है हक़ीक़त........ कुछ लोग तो कहते है कि यह गांव प्रधान और अधिकारीयों की भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। भ्र्ष्टाचार की भेंट चढ़ी गांव की जाँच करने अधिकारी आ रहे थे कि इसकी शिकायत प्रधान प्रतिनिधि ने अधिकारीयों तक पहुंचा दी। कि कुछ मीडिया गांव में पहुंची है,सूचना मिलते ही अधिकारीयों ने बहाना बना कर जाँच मामले को आगे को टाल दिया। जिसको लेकर आज ग्रामीण काफ़ी आक्रोशित है और प्रधान तथा अधिकारीयों पर आरोप लगाते हुए नारे लगाए।
हालांकि जांच अधिकारी प्रवीण कुमार सिंह उद्यान अधिकारी कहना है कि जो जांच भदैयाँ ब्लॉक के मिश्रपुर पुरैना गांव का करना है निम्न बिन्दुओ सड़क,शौचालय,आवास पर करना है लेकिन जब तक सही नामित अधिकारी हमारे साथ नही जाएंगे तब तक यह जांच करना मुश्किल है। यह बहाना बताते हुए अपना पल्ला झाड़ रहे है। फिलहाल जांच अधिकारी किसी दूसरे अधिकारी के शिफारिस पर सामने आये तो लेकिन उससे पहले अपनी रोना रोयें, जरा सुनिए ध्यान लगा कर.....
दरअसल सुल्तानपुर जिले के विकास खंड भदैया के ग्राम पंचायत मिश्रपुर पुरैना का करनामा प्रकाश में आया है। जन सूचना का अधिकार से प्राप्त सूचना के आधार पर ग्राम पंचायत पुरैना में वैसे तो वहां की प्रधान सरोजा देवी है, और सहायक विकास अधिकारी पंचायत अजय श्रीवास्तव, सेक्रेटरी संध्या दूबे व कुछ रसूखदार की क्षत्रछाया के चलते इनका सारा कार्य कोई और देख रहा है, जिस पर एड़ीओ पंचायत व सेक्रेटरी द्वारा अहम भूमिका निभाई जाती है। वही इस गांव के ग्रामीणों द्वारा जिलें से लेकर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी तक विभिन्न विन्दुओ पर की गई शिकायत पर आज जिलें से हकीकत की परख के लिए जिला उद्यान अधिकारी प्रवीण कुमार सिंह व सिचाई विभाग के एक अधिकारी को विभिन्न विन्दु पर निष्पक्ष जांच कर आख्या मांगी गई है। अब देखना यह है कि जिलें से गठित की गई टीम गाँव में जाकर किस तरह से जांच करती है....? क्या इस जांच मे प्रधान सहित विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों के काली करतूतों से पर्दा उठेगा। या फिर तारीख पर तारीख मिलने का सिलसिला जारी ही रहेगा। हालाँकि इस मामले को लेकर ब्लॉक व उच्चाधिकारीयों के तफ्तर का चक्कर लगाते रहे लेकिन कोई भी अधिकारी कैमरे के सामने आने को तैयार नहीं। फिलहाल जांच अधिकारी किसी दूसरे अधिकारी के शिफारिस पर सामने आये तो लेकिन उससे पहले अपनी रोना रोयें..