अनुदेशकों के ट्रांसफर आदेश में अनगिनत हैं विसंगतियां, ट्रांसफर आदेश को लेकर बेहाल हैं अनुदेशक।
ट्रांसफर आदेश में जो अनुदेशक ट्रांसफर नहीं चाह रहा है, उसको भी सरप्लस दिखाकर उसका जबरन ट्रांसफर किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में तैनात अनुदेशकों का ट्रांसफर आदेश (स्थानांतरण) आया है। जिससे वे अपने पसंद के विद्यालय में अपना ट्रांसफर करा सकेंगे। लेकिन जबसे यह आदेश आया है, तबसे अनुदेशक परेशान हो गए हैं। क्योंकि उनके इस आदेश में इतनी विसंगतियां हैं, कि जो अनुदेशक ट्रांसफर नहीं चाहता होगा। जबरन उसका ट्रांसफर भी कर दिया जायेगा।
आइए जानते हैं ट्रांसफर आदेश के बारे में
1. जिन विद्यालयों में 100 बच्चों से कम की संख्या है। उन विद्यालयों में कार्यरत अनुदेशकों को सरप्लस दिखाकर उनका जबरन ट्रांसफर किया जाएगा। जिससे अगर वहां कार्यरत अनुदेशक ट्रांसफर नहीं चाहता होगा, तब भी उसका ट्रांसफर हो जायेगा।
2. ट्रांसफर आदेश में 100 की छात्र संख्या वाले नए विद्यालयों (वर्ष 2023) को नहीं जोड़ा गया है। बल्कि वर्ष 2022 वाले विद्यालयों को ही शामिल किया गया है।
3. सरकार इसे ट्रांसफर आदेश नहीं मान रही है। बल्कि इसे अनुबंध नवीनीकरण नाम दिया है। जिसका मतलब है की, यदि किसी अनुदेशक का ट्रांसफर होता है तो उसकी नई नियुक्ति मानी जाएगी।
जानिए इस बाबत प्रदेश अध्यक्ष विक्रम सिंह ने क्या कहा
अनुदेशक प्रदेश अध्यक्ष विक्रम सिंह ने इस आदेश को तानाशाहीपूर्ण करार दिया है। उन्होंने कहाकि, इस नए ट्रांसफर आदेश द्वारा अनुदेशकों का जमकर शोषण किया जा रहा है। जिससे की जो अनुदेशक ट्रांसफर नहीं चाह रहा है उसको भी सरप्लस दिखाकर उसका जबरन ट्रांसफर किया जा रहा है।