UP Elections : अखिलेश यादव को करहल में मुलायम के PSO रहे व केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल देंगे चुनौती, जानिए- पूरा समीकरण
भाजपा ने कभी मुलायम सिंह यादव के सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) रहे आगरा से सांसद और केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को करहल से मैदान में उतार दिया है
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का रण दिनोंदिन दिलचस्प होता जा रहा है। इस चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं और दोनों को उनके ही गढ़ में घेरने की कोशिश एक-दूसरे के दल कर रहे हैं। इन कोशिशों के तहत सपा जहां गोरखपुर से कोई दमदार प्रत्याशी उतारने की तैयारी में है तो वहीं भाजपा ने कभी मुलायम सिंह यादव के सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) रहे आगरा से सांसद और केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को करहल से मैदान में उतार दिया है। खास बात यह है कि आज ही अखिलेश यादव ने नामांकन किया तो कुछ देर बाद ही सत्यपाल सिंह बघेल (एसपी सिंह बघेल) ने भी अपना पर्चा भर दिया।
माना जाता है कि एसपी सिंह बघेल का ब्रज क्षेत्र में अच्छा-खासा प्रभाव है। इलाके में बघेल समाज के करीब 35 से 40 हजार वोट बताए जाते हैं। भाजपा से उनके ताल ठोंकने के चलते करहल में अखिलेश को कुछ चुनौती मिल सकती है। हालांकि करहल का जातीय गणित और इतिहास समाजवादी पार्टी के पक्ष में रहा है। क्षेत्र में एक लाख से अधिक यादव वोट बताए जाते हैं। इसे अखिलेश यादव के लिए काफी सुरक्षित सीट माना जा रहा है। फिर भी एसपी सिंह बघेल के जरिए भाजपा अखिलेश की करहल में घेराबंदी करना चाहती है।
कभी मुलायम के करीब थे बघेल
बघेल की जिंदगी और उनका राजनीतिक सफर काफी दिलचस्प रहा है। 1989 में मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद सत्यपाल सिंह बघेल उनकी सुरक्षा टीम में शामिल हो गए थे और तबसे उनके करीब माने जाते थे। समाजवादी पार्टी ने 1998 में बघेल को जलेसर सीट से उम्मीदवार बनाया और वह जीते। उसके बाद दो बार सांसद चुने गए लेकिन 2009 के लोकसभा चुनाव के समय उन्होंने सपा छोड़कर बहुजन समाज पार्टी ज्वाइन कर ली। बघेल, वर्ष 2010 में बसपा से राज्यसभा सांसद बने। 2014 में फिरोजाबाद लोकसभा से रामगोपाल यादव के पुत्र अक्षय यादव के सामने वह चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। इसके बाद वह राज्यसभा से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए। 2017 के पिछले विधानसभा चुनाव में वह भाजपा के टिकर पर टूंडला से जीतकर प्रदेश सरकार में मंत्री बने। फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने आगरा से उन्हें टिकट दिया तो यहां से भी बघेल ने शानदार जीत दर्ज की। भाजपा ने उन्हें केंद्र में राज्यमंत्री भी बनाया है।
करहल सीट का इतिहास
करहल विधानसभा सीट 1956 के परिसीमन के बाद प्रकाश में आई। 1957 में पहलवान नत्थू सिंह यादव प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से पहले विधायक चुने गए। इसके बाद तीन बार स्वतंत्र पार्टी का प्रत्याशी जीता। अगले चुनाव में भारतीय क्रांति दल व जनता पार्टी के टिकट पर नत्थू सिंह निर्वाचित हुए। कांग्रेस के टिकट पर 1980 में पहली बार शिवमंगल सिंह जीते लेकिन उसके बाद जाति की हवा बहने लगी। 1980 में हारने वाले बाबूराम लगातार पांच बार विधायक चुने गए। 1985 में लोकदल के टिकट पर और उसके बाद क्रमश: दो बार जनता पार्टी व दो बार सपा के टिकट पर निर्वाचित हुए। 2002 से सोबरन सिंह भाजपा से जीते लेकिन कुछ दिन बाद ही सपा में आ गए और उसके बाद हुए तीनों चुनाव सपा के टिकट से जीत हासिल की है।
अखिलेश ने दे दी थी खुली चुनौती
अखिलेश यादव ने आज नामांकन भरने के बाद कहा था कि करहल से जो भी बीजेपी से उतरेगा उसे हार का मुंह देखना पड़ेगा। ऐसे में बीजपी के इस पिछड़े कार्ड का दांव सपा चीफ को चौंका सकता है। एसपी सिंह बघेल नरेंद्र मोदी सरकार (PM Narnerdna Modi) में केंद्रीय कानून राज्य मंत्री हैं।