'क्या औरंगजेब इतना बेवकूफ था कि मंदिर तोड़ दिया और शिवलिंग छोड़ दिया?', AIMIM के नेता को इस सवाल पर मिला ये जवाब
एआईएमआईएम की ओर से यह दावा किया जा रहा है कि जिसे शिवलिंग बताया जा रहा है दरअसल वह एक फव्वारा है।
वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग को लेकर चल रहे विवाद के बीच एआईएमआईएम की ओर से यह दावा किया जा रहा है कि जिसे शिवलिंग बताया जा रहा है दरअसल वह एक फव्वारा है। एक न्यूज चैनल पर बहस के दौरान एआईएमआईएम के प्रवक्ता वारिस पठान ने कहा है कि मस्जिद के केयरटेकर मोहम्मद यासीन ने भी एक याचिका डाली है जिसमें उन्होंने कहा है कि यह एक फव्वारा है।
एआईएमआईएम की ओर से पूरे मामले पर बीजेपी पर सियासत करने का आरोप लगाया गया है। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि किसी ने ट्वीट करते हुए कहा कि क्या औरंगजेब इतना बेवकूफ था कि उसने पूरे मंदिर को तोड़ दिया और शिवलिंग को छोड़ दिया ताकि भाजपा उस पर सियासत करती रहे।
इसके साथ ही, उन्होंने कहा, अब चक्रपाणी स्वामी महाराज कह रहे हैं कि दिल्ली की जामा मस्जिद भी खोदने की इजाजत दो क्योंकि हमें लगता है वहां भी मंदिर है और मूर्तियां हैं। तो मेरी भी आस्था है और मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री जिस घर में रह रहे हैं उसके नीचे मस्जिद है। मैं भी चला जाऊंगा किसी कोर्ट में इजाजत मांगूंगा कि मुझे वहां खुदाई करने दिया जाए, तो करने देंगे क्या?"
एआईएमआईएम प्रवक्ता के इस तंज का जवाब देते हुए वीएचपी प्रवक्ता विजय शंकर तिवारी ने कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद में मौजूद सारे साक्ष्य ये चीख-चीख कर कह रहे हैं कि वह बाबा विश्वनाथ का स्थान था। जब तक भगवान विश्वनाथ का ज्योतिर्लिंग नहीं मिला था, उससे पहले भी सारे साक्ष्य इसी दिशा में जा रहे थे।
उन्होंने कहा कि 1936 में जब ब्रिटिश शासन था, उस वक्त तो बीजपी-कांग्रेस नहीं थी। उस वक्त भी ये मामला कोर्ट के पास गया था। तब भी कहा गया कि ये मस्जिद नहीं, विश्वनाथ मंदिर है। इसके बाद जब 1942 में हाई कोर्ट गया मामला, तब भी बाबा विश्वनाथ का स्थान बताया गया। इसके बाद, 1983 और 1997 में रामास्वामी ने बताया कि कैसे कैसे बाबा विश्वनाथ का स्थान तोड़कर मस्जिद बनाई गई।