अखिलेश यादव को झटका देकर BJP में शामिल होने के लिए क्यों तैयार हैं शिवपाल यादव

शिवपाल की नारजगी की शुरुआत करीब 6 साल पहले उस समय हुई जब सपा की बागडोर मुलायम सिंह यादव के हाथ से निकलकर अखिलेश यादव के पास चली गई।

Update: 2022-03-31 07:23 GMT

शिवपाल की नारजगी की शुरुआत करीब 6 साल पहले उस समय हुई जब सपा की बागडोर मुलायम सिंह यादव के हाथ से निकलकर अखिलेश यादव के पास चली गई। मुलायम के सपा मुखिया रहते शिवपाल सपा में हमेशा नंबर दो की हैसियत में रहे। उनका सम्मान होता रहा। मगर, सपा की कमान अखिलेश के हाथ में आने के बाद सम्मान न मिलने की वजह से यह दूरियां बढ़ती गईं। शिवपाल का राजनीतिक घर ही पराया हो गया। उन्होंने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) का गठन करके अपनी अलग जमीन तैयार करने की कोशिश की, लेकिन इसमें कोई खास सफलता नहीं मिल पाई।

गठबंधन में नहीं मिला सम्मान

राजनीतिक मजबूरियों के चलते विधानसभा चुनाव में शिवपाल यादव ने एक बार फिर अखिलेश का साथ मंजूर किया। बड़े भाई मुलायम सिंह यादव के कहने पर वह भतीजे के साथ गठबंधन को तैयार हो गए। लेकिन जिस तरह अखिलेश यादव ने उनकी पार्टी को एक भी सीट नहीं दी और उन्हें सपा के सिंबल पर ही लड़ने को मजबूर किया, उससे प्रसपा प्रमुख बेहद आहत हो गए। इस हालत में प्रसपा के कई बड़े नेता साथ छोड़कर दूसरे दलों में शामिल हो गए। चुनाव के दौरान ही शिवपाल यादव का दर्द कई बार जुबान पर आ गया था।

विधानमंडल दल की बैठक में नहीं बुलाए जाने से लगा झटका

सपा विधानमंडल दल की बैठक में नहीं बुलाए जाने पर भी शिवपाल ने अपमानित महसूस किया। उन्होंने मीडिया से खुलकर कहा कि वह दो दिन से इस बैठक के इंतजार में थे, सभी विधायकों को बुलाया गया, लेकिन उन्हें इसकी सूचना नहीं दी गई, जबकि वह सपा के सिंबल पर ही विधायक बने हैं और चुनाव में सपा संगठन में ही सक्रियता से काम किया है।

बड़ी भूमिका देने से अखिलेश का इनकार

सूत्रों के मुताबिक, 24 मार्च को अखिलेश यादव और शिवपाल यादव की आखिरी बार मुलाकात हुई थी। सपा के सिंबल पर लड़कर विधायक बने शिवपाल यादव ने अब सपा संगठन में ही बड़ी भूमिका मांगी, लेकिन अखिलेश यादव ने उन्हें अपनी पार्टी प्रसपा का आधार बढ़ाने की सलाह दी।

बेटे का राजनीतिक भविष्य

माना जा रहा है कि शिवपाल अब उम्र के इस पढ़ाव पर चाहते हैं कि उनके पास भी एक सुरक्षित घर हो और बेटे का राजनीतिक भविष्य भी संरक्षित हो सके। इस बार भी शिवपाल अपने बेटे आदित्य यादव को चुनाव लड़वाना चाहते थे, लेकिन अखिलेश ने इससे इनकार कर दिया। शिवपाल की भाजपा से नजदीकियों के पीछे भी यही अहम वजह मानी जा रही है।

Tags:    

Similar News