UP Budget 2023 | यूपी पुलिस को मिले इस 'बम्पर बजट' के मायने को समझिए

योगी सरकार के बजट में पुलिस विभाग का दबदबा दिखा और उसे 2260 करोड़ रुपये मिले, उसके लिए मौजूदा सरकार बधाई की पात्र है।

Update: 2023-02-25 15:08 GMT

 कमलेश पांडेय/वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार

उत्तर प्रदेश में अपराध और अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति पर चलने वाली योगी आदित्यनाथ सरकार के ताजा यूपी बजट (वर्ष 2023-24) में कानून व्यवस्था को हर हाल में बनाए रखने और इसमें निरंतर सुधार के लिए जो बजट आवंटन बढ़ाया गया है, उससे दूसरे राज्यों को सबक लेनी चाहिए। क्योंकि यूपी पुलिस को मिले 'बम्पर बजट' के विभिन्न प्रावधानों में देश के अन्य राज्यों के लिए बहुत कुछ सीखने-समझने के अवसर उपलब्ध हैं, जिनकी अनदेखी करना उन्हें यूपी के मुकाबले बहुत पीछे छोड़ सकता है।

मसलन, जिस तरह से योगी सरकार के बजट में पुलिस विभाग का दबदबा दिखा और उसे 2260 करोड़ रुपये मिले, उसके लिए मौजूदा सरकार बधाई की पात्र है। खास बात यह है कि देश की यह पहली सरकार है, जिसने पुलिस कर्मियों की आवासीय परेशानियों को समझने की कोशिश करते हुए अपने बजट में पुलिस विभाग को सबसे बड़ी धनराशि यानी कुल 1400 करोड़ रुपए पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को आवासीय सुविधा प्रदान करने के लिए आवंटित की है, जिससे देश के अन्य राज्यों को भी सीखने की जरूरत है।

बता दें कि योगी सरकार ने वर्ष 2023-24 के बजट में सबसे बड़ी धनराशि पुलिस विभाग को आवासीय सुविधाओं के विस्तार के लिए दिये हैं ताकि प्रदेश के विभिन्न शहरों में तैनात पुलिस विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने आवास के लिए इधर-उधर न भटकना पड़े। इसी नजरिये से योगी सरकार ने पुलिस विभाग को आवासीय सुविधा के लिए एक हजार करोड़ रुपये की धनराशि दी है। इससे पुलिस विभाग विभिन्न शहरों में अपने अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए आधुनिक आवास का निर्माण कर सकेगा। वहीं शहरी क्षेत्रों में आवासीय सुविधा के लिए 400 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है, जिससे पुलिस महकमों में खुशी की लहर दौड़ गई है।

राज्य सरकार के आंकड़ों पर यदि आप गौर फरमाएंगे तो पता चलेगा कि जनवरी 2022 से नवम्बर तक वर्ष 2016 यानी समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव की तत्कालीन सरकार के सापेक्ष डकैती में 79.83 प्रतिशत, लूट में 63.49 प्रतिशत, हत्या में 33.89 प्रतिशत, बलवा में 53.22 प्रतिशत, चोरी में 17.22 प्रतिशत और फिरौती के लिए अपहरण में 44 प्रतिशत की कमी आयी है, जो कि उत्तरप्रदेश जैसे बड़े राज्य के लिए बहुत बड़ी बात है। वहीं,

उक्त अवधि में महिलाओं के खिलाफ घटित अपराधों में दहेज मृत्यु में 15.81 प्रतिशत, बलात्कार में 21.24 प्रतिशत व अपहरण में 9.17 प्रतिशत की कमी आयी है, जिससे इस बात की पुष्टि होती है कि सरकार अपराध के हरेक पहलुओं पर गौर करते हुए उसे नियंत्रित करने के वास्ते जी-जान से जुटी हुई है और अपने स्तर से किसी भी प्रकार के धनाभाव को नहीं रहने देना चाहती है, क्योंकि किसी भी प्रदेश के संतुलित व समग्र विकास के लिए विधि-व्यवस्था को बनाए रखना बहुत जरूरी ह4।

बता दें कि प्रदेश में एण्टी भू-माफिया पोर्टल पर अवैध कब्जे से सम्बन्धित 3,41,236 शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिसमें से 3,39,552 शिकायतें निस्तारित की गईं। महत्वपूर्ण बात यह कि इस अभियान के अन्तर्गत कुल 68,841.03 हेक्टेयर क्षेत्रफल अवैध अतिक्रमण से अवमुक्त कराया गया है। जबकि 23,920 राजस्व वाद, 923 सिविल वाद एवं 4504 एफआईआर दर्ज करायी गयी हैं। वहीं, 776 अतिक्रमणकर्ताओं को भू-माफिया के रूप में चिन्हित किया गया है, जिसमें वर्तमान में 189 भू-माफिया जेल में निरूद्ध हैं। किसी भी सरकार के लिए यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है, जिसके लिए उसका पुलिस महकमा बधाई का पात्र है।

जाहिर है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सूबे की सत्ता संभालते ही प्रदेश में अपराध और अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति के तहत जो सख्त से सख्त कार्रवाई की जा रही है, यह उसी का नतीजा है कि जिस प्रदेश को वर्ष 2017 से पहले पूरे देश में लचर और बीमारू कानून व्यवस्था के लिए जाना जाता था, आज उसी उत्तर प्रदेश को मजबूत कानून व्यवस्था के लिए देश ही नहीं बल्कि दुनिया के अन्य देशों में भी भरपुर सराहना मिल रही है।

आलम यह है कि प्रदेश में कानून का राज स्थापित होने से देश ही नहीं विदेशी निवेशक भी यूपी में उद्योग स्थापित करने के लिए आकर्षित हो रहे हैं, जो कि बहुत बड़ी बात है। कम से कम भारतीय राजनीति में यूपी का जुड़वां भाई समझे जाने वाले बिहार को तो इस मामले में यूपी सरकार से सीखने की कोशिश करनी चाहिए और अपने राज्य के विशेषज्ञ दल को लखनऊ भेजकर उस प्रशासनिक नीतियों को समझने का प्रयत्न करना चाहिए, जिसके बल पर यूपी आज वहां पहुंच चुका है, जहां बिहार को 2010 के दशक में ही पहुंच जाना चाहिए। परंतु दुर्भाग्य से राजनीतिक दुर्भावनावश बिहार ऐसा कतई नहीं करेगा। वहां पर एनडीए के शासनकाल में भी वह स्थिति कायम नहीं की जा सकी, जो कि आज करने में उत्तरप्रदेश कामयाब दिखाई दे रहा है।

ताजा बजट आंकड़ों पर नजर डालने से पता चलता है कि योगी सरकार ने वर्ष 2023-24 के बजट में कानून व्यवस्था को और अधिक मजबूत करने और उसके प्रभावी नियंत्रण के लिए 2260 करोड़ रुपये की भारीभरकम धनराशि दी है, जिससे पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सरकारी आवास की सुविधा तो मिलेगी ही, विभिन्न जिलों के पुलिस कमिश्नरेट कार्यालय भी अपनी भूमि पर संचालित हो सकेंगे। खास बात यह कि जिस तरह से आजकल साइबर अपराध का बोलबाला हर जगह दिखाई दे रहा है, उसी तरह से साइबर क्राइम की रोकथाम के लिए प्रदेश सरकार के निर्देश पर पुलिस महकमें द्वारा प्रदेश के प्रत्येक परिक्षेत्र में साइबर क्राइम पुलिस थाना की स्थापना की गयी है। वहीं, प्रदेश के समस्त 1531 थानों में साइबर हेल्प डेस्क की स्थापना की गयी है। वहीं, परिक्षेत्रीय मुख्यालयों पर बेसिक साइबर फॉरेंसिक लैब एवं पुलिस मुख्यालय पर एडवांस्ड डिजिटल साइबर फाॅरेंसिक लैब की स्थापना करायी जा रही है, जो कि बहुत बड़ी बात है। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि प्रदेश में आपदाओं से निपटने वाली एसडीआरएफ (स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स) को नये वाहनों की खरीद के लिए 10 करोड़ की धनराशि दी गई है ताकि वह और मजबूती से आपदा से निपट सकें। यह भी एक अच्छी पहल है।

सबसे ज्यादा गौर करने वाली बात यह है कि कर्तव्य पालन के दौरान शहीद "मृत पुलिस कर्मियों एवं उत्तर प्रदेश राज्य के मूल निवासी केन्द्रीय अर्द्ध सैन्य बलों/अन्य प्रदेशों के अर्द्ध सैन्य बलों अथवा भारतीय सेना में कार्यरत रहते हुये 73 शहीद/मृत कर्मियों के आश्रितों को 17 करोड़ 96 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की गयी, जिससे इन सभी लोगों का मनोबल सदैव ऊंचा रहेगा और वो देश-प्रदेश की सुरक्षा में और अधिक अपनी जान की बाजी लगा सकेंगे, क्योंकि विषम परिस्थिति में उनके आश्रितों के खातिर यूपी सरकार खड़ी दिखाई दे रही है।

खुद वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने अपने बजट भाषण में दो टूक कहा है कि प्रदेश की 25 करोड़ आबादी को सुरक्षित माहौल देने, कानून व्यवस्था के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के साथ पुलिस व्यवस्था को और अधिक सक्षम एवं सुदृढ़ करना योगी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। इसके साथ ही महिलाओं एवं समाज के कमजोर वर्गों के खिलाफ अपराधों को नियन्त्रित करने के लिए प्रभावी कार्यवाही करके उन्हें सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराने के प्रति योगी सरकार निरन्तर प्रयासरत है।

सरकार ने अपनी इसी रणनीति के तहत प्रदेश के विभिन्न शहरों में लागू पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए कार्यालय और कार्यालय से जुड़ी अन्य गतिविधियों के संचालन के लिए 850 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है, जिससे विभिन्न शहरों में लागू पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था को और अधिक रफ्तार मिलेगी। क्योंकि इस प्रचुर धनराशि से पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था वाले शहरों में पुलिस विभाग अपनी जमीन पर कार्यालय का निर्माण कर सकेंगे, जो विभिन्न शहरों में अभी किराये पर चल रहे हैं। वहीं, वह अपनी आवश्यकताओं के अनुसार कार्यालय का निर्माण समेत अन्य सुविधाओं के लिए इस धनराशि का इस्तेमाल कर सकेंगे। कहा भी गया है कि अग्रसोची सदा सुखी, यानी अपराध नियंत्रण के मामले में यूपी सरकार आर्थिक रूप से भी जो दूरदर्शितापूर्ण रणनीति है, उससे उत्तरप्रदेश में अपराध काबू में रहेगा और यहां के लोगों के सुख-शांति के दिन निरन्तर मजबूत होते जाएंगे।

योगी सरकार ने अपने बम्पर बजट से पुलिस महकमे को स्पष्ट सन्देश देने की कोशिश की है कि आप अपराध को काबू में रखिए, योगी सरकार आपकी हर जरूरत पूरी करने को तैयार बैठी है और एक सकारात्मक कदम उठाने की शुरुआत कर चुकी है,शेष आपके परफॉर्मेंस पर निर्भर करेगा।

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