भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर को सशर्त मिली जमानत, तो हर शनिवार को करना होगा ये काम
दिल्ली के दरियागंज इलाके में 21 दिसंबर को सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के मामले में चंद्रशेखर आजाद समेत 16 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था।
दिल्ली की एक अदालत ने दरियागंज हिंसा मामले में गिरफ्तार भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आजाद को जमानत दे दी है। वहीं, कोर्ट ने आजाद को 16 फरवरी तक प्रदर्शन नहीं करने का आदेश जारी किया है। कोर्ट ने शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन में शामिल होने पर भी रोक लगा दी है। साथ ही कोर्ट ने शर्त भी रखी है. इस शर्त में कोर्ट ने कहा कि चंद्रशेखर अगले 4 सप्ताह तक दिल्ली में नही रहेंगे।
दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने वाले है. ऐसे में सुरक्षा की दृष्टि से दिल्ली चुनाव में कोई दखल न हो, इसलिए चंद्रशेखर को सख्त निर्देश दिए गए हैं. कोर्ट ने ये भी कहा कि इस मामले में जबतक चार्जशीट दायर नहीं होती, चंद्रशेखर सहारनपुर में हर शनिवार को एसएचओ के सामने अपनी हाजरी देंगे. वहीं कोर्ट की तरफ से चंद्रशेखर को यह निर्देश भी मिला है कि वो दिल्ली के शाहीन बाग भी नहीं जाएंगे और ना ही वहां चल रहे प्रोटेस्ट में किसी भी तरह से शामिल होने की कोशिश करेंगे.
भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर उर्फ रावण की जमानत पर सुनवाई के दौरान तीस हजारी कोर्ट ने चंद्रशेखर को फटकार लगाई. कोर्ट ने चंद्रशेखर को कहा कि 'आपको इंस्टीट्यूशन और प्रधानमंत्री का सम्मान करना चाहिए' कोर्ट ने ये भी कहा कि जो ग्रुप प्रोटेस्ट करता है उसी पर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप भी लगता है और इस मामले में पुलिस ने कहा है कि हिंसा हुई है और पुलिस बैरीकेडिंग, दो प्राइवेट गाड़ियों को नुकसान पहुंचा है. इसकी जवाबदेही भी चंद्रशेखर की है।
चंद्रशेखर के वकील महमूद प्राचा ने कोर्ट में चंद्रशेखर के ट्वीट पढ़े. रमा प्रसाद बिस्मिलाह के कोट को चंद्रशेखर ने ट्वीट किया. इसे वो रोज गाते हैं. जिस पर कोर्ट ने कहा कि क्या वाकई में रोज गाते है. इस ट्वीट से क्या जनता भड़केगी नहीं? इस पर चद्रशेखर के वकील ने कहा कि आरएसएस का भी ट्वीट है. जिस पर कोर्ट और भड़क गया और कहा कि आप किसी और के ट्वीट का जिक्र यहां मत कीजिए. महमूद प्राचा ने कोर्ट से कहा कि सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन था. मोदी जी को जब किसी से दिक्कत होती है तो पुलिस को आगे कर देते हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि आपको प्रधानमंत्री और इंस्टिट्यूशन का सम्मान करना चाहिए।
इससे पहले मंगलवार को अदालत ने भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद के खिलाफ एक भी सबूत पेश नहीं कर पाने को लेकर दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी. इस दौरान अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लाउ ने पुलिस से सवाल किया था, 'मुझे कुछ भी ऐसा दिखाएं या कानून बताएं, जो इस प्रकार से इकट्ठा होने पर रोक लगाता हो. हिंसा कहां है? कौन कहता है कि आप प्रदर्शन नहीं कर सकते? क्या आपने संविधान पढ़ा भी है? प्रत्येक नागरिक का यह संवैधानिक अधिकार है कि सहमत न होने पर वह विरोध प्रदर्शन करे.'
बता दें कि पुलिस ने जामा मस्जिद से भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर को हिरासत में ले लिया था। बाद में पुलिस ने चंद्रशेखर पर सरकारी काम में बाधा पहुंचाने, लोगों को उकसाने और दंगा भड़काने समेत अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर उसे 21 दिसंबर को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के मामले में चंद्रशेखर आजाद समेत 16 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था.
इससे पहले दिल्ली में प्रदर्शन के दौरान भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर पुलिस को चकमा देकर वहां से भागने में कामयाब रहा था। लेकिन शाम में एक बार फिर चंद्रशेखर जामा मस्जिद में मौजूद अपने समर्थकों के बीच पहुंच गया और नारेबाजी शुरू कर दी। वहां उन्होंने कहा था कि जब तक यह काला कानून वापस नहीं लिया जाता, तब तक विरोध जारी रहेगा।