किस हाल में हैं कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामने वाले नेता

राहुल गांधी के करीबी और दिग्‍गज युवा नेता ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया ने पार्टी में अनदेखी से नाराज होकर कांग्रेस का साथ छोड़ बीजेपी का दामन थम लिया है. इससे पहले लोकसभा चुनाव, 2014 में बीजेपी की जीत की आहट पाकर ही कई नेताओं ने कांगेस से किनारा कर लिया था.

Update: 2020-03-12 09:39 GMT

नई दिल्‍ली. 'राजनीति में न तो कोई स्‍थायी दुश्‍मन होता है और न ही कोई स्‍थायी मित्र.' इस कहावत को कांग्रेस के दिग्‍गज युवा नेता और मध्‍य प्रदेश राजघराने से ताल्‍लुक रखने वाले ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया ने चरितार्थ कर दिया है. उन्‍होंने बुधवार को कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया. हालांकि, उन्‍हें कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता राहुल गांधी का करीबी माना जाता था.

ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया से पहले कांग्रेस को छोड़ बीजेपी में शामिल होने वाले कांग्रेसी नेताओं की लंबी फेहरिस्‍त है. इनमें कृष्‍णा तीरथ, सतपाल महाराज, जसुभाई बराड, डी. पुरंदेश्‍वरी, जगदंबिका पाल, सुरेश कोटादिया, विट्ठल राडदिया और उनके बेटे जैसे दर्जनों नेता शामिल हैं. दरअसल, लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी की जबरदस्‍त जीत और कांग्रेस की बुरी तरह हार के बाद नेता ही नहीं कई सहयोगी दलों ने भी देश की सबसे पुरानी पार्टी से किनारा कर लिया था. इनमें सपा (SP), बसपा (BSP), तृणमूल कांग्रेस (TMC) और डीएमके (DMK) शामिल हैं.

उत्‍तराखंड सरकार में मंत्री हैं सतपाल महाराज

धार्मिक गुरु सतपाल महाराज ने अपना राजनीतिक करियर कांग्रेस के साथ शुरू किया था. उत्‍तराखंड में बड़ी तादाद में उनके समर्थक हैं. उन्‍होंने मार्च 2014 में भ्रष्‍टाचार का आरोप लगाते हुए कांग्रेस से किनारा कर बीजेपी का दामन थाम लिया. इसके बाद उत्‍तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 में वह बीजेपी के टिकट पर जीते. फिलहाल वह उत्‍तराखंड सरकार में पर्यटन, संस्‍कृति और सिंचाई मंत्री हैं. वहीं, गुजरात के जूनागढ़ जिले की सोमनाथ सीट से विधायक रहे जसुभई बराड ने कांग्रेस का यह कहते हुए साथ छोड़ दिया था कि भारत नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में आगे बढ़ेगा. वह 2014 में जूनागढ़ से सांसद बने. उनका जनवरी, 2016 में निधन हो गया.

बीजेपी महिला मार्चा की प्रभारी बनीं पुरंदेश्‍वरी

आंध्र प्रदेश के दिग्‍गज कांग्रेसी नेता एनटी रामा राव की बेटी और पूर्व केंद्रीय मंत्री डी. पुरंदेश्‍वरी तेलंगाना मुद्दे पर कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गई थीं. उन्‍होंने 7 मार्च 2014 को बीजेपी का दामन थामा और उसी साल हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर राजमपेट से हार गईं. इस समय वह बीजेपी महिला मोर्चा की प्रभारी हैं. साथ ही कर्नाटक (Karnataka) बीजेपी की सह-प्रभारी भी हैं. 15वीं लोकसभा में वह कांग्रेस के टिकट पर आंध्र प्रदेश के विशाखपत्‍तनम संसदीय क्षेत्र से सांसद चुनी गई थीं. वहीं, यूपी के एक दिन के मुख्‍यमंत्री रहे जगदंबिका पाल (Jagdambika Pal) ने पुरानी और नई पीढ़ी के बीच संवाद व तालमेल की कमी का आरोप लगाते हुए मार्च, 2014 में कांग्रेस से किनारा कर लिया था. इसके बाद वह बीजेपी के टिकट पर डुमरियागंज सीट से संसद पहुंचे. वह इस समय इसी सीट से सांसद हैं.

'देश नरेंद्र मोदी को पीएम देखना चाहता है'गुजरात के साबरकांठा जिले की हिम्‍मतनगर सीट से विधायक रहे राजेंद्र सिंह चावड़ा (Rajaendra Sinh Chavda) ने 2013 में यह कहते हुए कांग्रेस से नाता तोड़ लिया कि वह नरेंद्र मोदी को देश का प्रधानमंत्री बनते हुए देखना चाहते हैं. साथ ही कहा था कि इस समय कांग्रेस के पास जीतने लायक कुछ भी नहीं है. चावड़ा ने अपने साथ 1,500 कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भी बीजेपी में शामिल कराया था. इस समय वह हिम्‍मतनगर सीट से ही बीजेपी विधायक हैं. उनके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री मनु कोटादिया के बेटे सुरेश कोटादिया ने नवंबर, 2013 में कांग्रेस छोड़ बीजेपी ज्‍वाइन कर ली थी. तब उन्‍होंने भी कहा था कि देश नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनते हुए देखना चाहता है. उन्‍होंने कांग्रेस पर दिशाहीन होने का आरोप लगाया था.

गुजरात सरकार में मंत्री हैं जयेश राडदिया

गुजरात के दिग्‍गज कांग्रेसी नेताओं में शुमार विट्ठल राडदिया (Vitthal Radadia) और उनके बेटे जयेश राडादिया ने भी कांग्रेस पर पार्टी कार्यकर्ताओं की अनदेखी का आरोप लगाते हुए बीजेपी ज्‍वाइन कर ली थी. विट्ठलभाई राडदिया पांच बार विधायक और दो बार सांसद रहे. उनका 29 जुलाई 2019 को निधन हो गया. उनके बेटे जयेश राडदिया (Jayesh Radadia) इस समय गुजरात सरकार में खाद्यान्‍न, नागरिक आपूति व उपभोक्‍ता मामलों के मंत्री हैं. इसके अलावा वह कॉटेज इंडस्‍ट्रीज, प्रिंटिंग एंड स्‍टेशनरी मंत्री भी हैं. वह बीजेपी के टिकट पर जेतपुर सीट से गुजरात विधानसभा पहुंचे. इनके अलावा गुजरात के पूर्व उपमुख्‍यमंत्री नरहरि अमीन (Narhari Amin) भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे.

कांग्रेस छोड़ इनेलो में गए अवतार भड़ाना

कांग्रेस के टिकट पर चार बार संसद पहुंचे हरियाणा के कद्दावर नेता अवतार सिंह भड़ाना ने राज्‍य विधानसभा चुनाव, 2019 से कुछ समय पहले ही ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्‍व वाले इंडियन नेशनल लोक दल को ज्‍वाइन किया. दिल्‍ली विधानसभा चुनाव 2015 से पहले कांग्रेस को झटका देते हुए कृष्‍णा तीरथ (Krishna Tirath) बीजेपी में चली गईं. उन्‍होंने 19 जनवरी 2015 को बीजेपी ज्‍वाइन की. वह बीजेपी के टिकट पर पटेल नगर सीट से चुनाव लड़ीं और हार गईं. इसोक बाद मार्च 2019 में उन्‍होंने कांग्रेस में वापसी की. दिल्‍ली विधानसभा चुनाव 2020 में वह पटेल नगर सीट से कांग्रेस के टिकट पर फिर मैदान में उतरीं और तीसरे नंबर पर रहीं.

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