शाही इमाम वोटो के फतवे पर बोले, मुस्लिमों के साथ अत्याचार हुआ तब सब खामोश क्यों थे?
दिल्ली के ऐतिहासिक जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी हर छोटे बड़े चुनाव के समय फतवा जारी किया करते थे। इस बार उन्होंने ऐलान किया है कि वे 2019 के संसदीय चुनाव में किसी भी राजनीतिक पार्टी को सपोर्ट नहीं करेंगे। विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनावों में मुसलमानों को रुख को तय करने वाले इमाम बुखारी इस बार मतदाताओं को किसी भी प्रकार सियासी पैगाम नहीं देंगे। उन्होंने सोमवार को आधिकारिक रुप इस बात की घोषणा कर दी है।
मुस्लिम आवाम को ये बात ध्यान में रखना होगा कि सभी राजनीतिक पार्टियों ने उन्हें निराश किया है और उनकी उपेक्षा की है। उनकी वादों की लंबी लिस्ट है, बड़े-बड़े बयान और घोषणाएं किए हैं लेकिन जमीनी स्तर पर इसका कोई पालन नहीं किया गया है। मुस्लिमों के साथ अन्याय की कहानी बेहद लंबी है।
समाज में फैल रही नफरत और धर्म के नाम पर फैल रहा उन्माद देश में आधारभूत मूल्यों और परंपराओं को कुचलने का काम कर रहा है। इस तरह की हालात एक सभ्य समाज के लिए बेहद खतरनाक है। उन्होंने आगे कहा कि कश्मीर आज बारुद के ढेर पर है और कश्मीरी जनता को मुख्यधारा में लाने की कोई भी स्पष्ट नीति नजर नहीं आ रही है। ये साफ नजर आ रहा है कि देश की स्वर्णिम नीतियों को अपनाना छोड़ सांप्रदायिकता का जहर चारों तरफ फैलाया जा रहा है।
बता दें कि अब मुस्लिमों के रहनुमा बने लोग अपने आप को समाज से दूर होता पा रहे है। जबकि मुस्लिम समाज कल भी पिछड़ा था, आज भी पिछाडा है, क्यों? इसका जबाब कोई भी नहीं देना चाहता है।