झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय ने 17 नवंबर 2022 को लगभग 10 घंटे तक पूछताछ की है।
संक्षेप में चर्चा कर लेते हैं कि पूरा मामला क्या है। इस मामले की शुरुआत वर्ष 2007 से मानी जा सकती है। वर्ष 2007 में झारखण्ड राज्य के खूंटी एवं चतरा जिले में 18.6 करोड़ रुपए के मनरेगा घोटाले का मामला प्रकाश में आया था। इस मामले में उस समय वहां डीसी रह चुकी आईएएस पूजा सिंघल पर गड़बड़ी के आरोप लगे थे। राज्य सरकार ने इसकी जांच कराई और कहीं कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई। लेकिन मामला रफा-दफा नहीं हो पाया।
अरुण कुमार दुबे ने झारखंड हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करके कहा कि इतना बड़ा घोटाला हुआ है और केवल छोटे कर्मचारियों पर कार्रवाई हो रही है। इतनी बड़ी राशि का गबन बिना वरीय अधिकारियों की मिलीभगत से संभव नहीं। हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई चल ही रही थी और इसी बीच ईडी ने जांच शुरू कर दी और कोर्ट को इस बात की जानकारी भी दी। उसके बाद प्रर्वतन निदेशालय ने चतरा और खूंटी में मनरेगा में हुई गड़बड़ी के साथ-साथ पलामू के कठौतिया माइंस के लिए गलत तरीके से वन भूमि के आवंटन की जांच भी शुरू कर दी।
जांच करते हुए ईडी ने मई में कई जगह छापेमारी की। इन जगहों में पूजा सिंघल के सरकारी व निजी आवास, उनके पति अभिषेक झा और उनके सीए (चार्टर्ड अकाउंटेंट) सुमन कुमार के आवास भी शामिल हैं। सीए सुमन कुमार के आवास से ईडी को 19.31 करोड़ रुपये भी मिले। इतने सुबूत मिलने के बाद 11 मई 2022 को ईडी ने पूजा सिंघल को गिरफ्तार कर लिया और पूछताछ शुरू कर दी। जिसमें कई अहम सुराग भी ईडी को प्राप्त हुए।
उसके बाद जांच और आगे बढ़ी और ईडी ने 8 जुलाई 2022 को 19 जगहों पर छापेमारी की। इस छापेमारी में हेमंत सोरेन के करीबी और विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा और उनसे जुड़े दाहू यादव के 37 बैंक खातों में जमा 11.88 करोड़ रुपये तथा 5.34 करोड़ रुपये नकदी जब्त किए। इसके अतिरिक्त पांच अवैध स्टोन-क्रशर तथा कुछ अवैध कारतूस भी जब्त किए गए। ईडी का कहना है कि जब्त नकद/बैंक बैलेंस अवैध खनन से जुड़े हैं, और इसके पास इसके सबूत भी हैं।
उसके बाद दाहू यादव और बच्चा यादव से ईडी के अधिकारियों ने कई दिनों तक पूछताछ की। फिर 19 जुलाई को, पहले पंकज मिश्रा से पूछताछ की गई, उसके बाद पंकज मिश्रा को दाहू यादव और बच्चा यादव के सामने बैठाकर पूछताछ की गई। तीनों के बयान लेने के बाद ईडी ने पंकज मिश्रा को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की आपराधिक धाराओं के तहत गिरफ्तार कर लिया। दाहू यादव और बच्चा यादव ने ईडी को जानकारी दी थी कि उनके अवैध खनन मामलों तथा अन्य काले धंधों में पंकज मिश्रा की हिस्सेदारी है। पंकज मिश्रा इन दोनों के माध्यम से अपना काला धन खपाने का काम करते थे। यह भी बताया कि पंकज मिश्रा ने करोड़ों की संपत्ति निवेश की है।
इसी बीच जुलाई में बंगाल में ईडी की कार्रवाई लगातार चल रही थी और लगभग 50 करोड़ रुपये नकद पकड़े जा चुके थे। इसी सिलसिले में 30 जुलाई को बंगाल पुलिस ने एक कार से 49 लाख रुपये नकद बरामद किए, जिसमें झारखंड के तीन कांग्रेसी विधायक सवार थे। इस नकदी के तार भी खनन घोटाले से जुड़े हुए पाए गए।
मिश्रा के अलावा इस मामले में बच्चू यादव और प्रेम प्रकाश को भी आरोपी बनाया गया था। इन दोनों को भी 4 और 5 अगस्त को गिरफ्तार किया गया। दोनों अब भी न्यायिक हिरासत में हैं। प्रेम प्रकाश के ठिकानों पर ईडी ने 24 अगस्त को छापेमारी की। इस दौरान ईडी को अन्य वस्तुओं के साथ-साथ दो एके-47 राइफलें भी मिली थीं, जिन्हें बाद में झारखण्ड पुलिस का बताया गया। ईडी ने 16 सितंबर को चार्जशीट दाखिल की। ईडी ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के पूर्व कोषाध्यक्ष रवि केजरीवाल का बयान भी दर्ज किया, जिसमें कहा गया है कि उनकी मौजूदगी में मुख्यमंत्री ने पंकज मिश्रा को संथाल परगना से पत्थर और रेत खनन से आने वाला धन सीधे प्रेम प्रकाश को सौंपने के लिए कहा था। इसके अतिरिक्त पंकज मिश्रा के घर से सबसे महत्वपूर्ण वस्तु जो जब्त हुई थी, वह थी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साइन किए हुए ब्लैंक चेकबुक। आरोप यह भी है कि मुख्यमंत्री रहते हुए भी हेमंत सोरेन ने अपने ही नाम पर खनना पट्टा जारी कर दिया था। इस मामले में हेमंत सोरेन को चुनाव आयोग ने दोषी पाते हुए विधायक पद के लिए अयोग्य ठहराया था लेकिन चुनाव लड़ने पर रोक नहीं लगाई थी। झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने मुख्यमंत्री सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की अनुशंसा की और लिफाफा चुनाव आयोग को पकड़ा दिया। वह लिफाफा अभी तक खुला नहीं है।
इन बातों को ध्यान में रखते हुए ईडी ने 02 नवंबर को पूछताछ के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को समन किया और 03 नवंबर को रांची स्थित ईडी कार्यालय में बुलाया। यह ऐसा पहला मामला है, जब ईडी ने किसी मुख्यमंत्री को पूछताछ के लिए समन किया है। हालांकि मुख्यमंत्री ने राजकीय कार्यों का हवाला देकर तीन हफ्तों का समय मांगा था। ईडी ने दो हफ्ते का समय दिया और फिर 17 नवंबर को बुलाया।
हेमंत सोरेन उक्त तिथि को ईडी कार्यालय पहुंचे और उनसे लगभग दस घंटे तक पूछताछ हुई है। मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार सोरेन ने ईडी को बताया कि उन्हें जानकारी नहीं है कि पंकज मिश्रा साहेबगंज में हुए अवैध खनन में शामिल थे। प्रेम प्रकाश के सिलसिले में पूछे गये सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें मैं नहीं जानता। अपने नाम पर खनन पट्टा लेने के प्रश्न को यह कहते हुए टाल गए कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए इस मामले में कुछ भी कहना सही नहीं होगा। इसके अलावा भी कई तरह के सवाल ईडी ने किए। कुल मिलाकर अभी तक का मामला यही है।
झारखंड में विपक्षी पार्टी भाजपा लगातार मुख्यमंत्री एवं सरकार पर हमलावर है। वह मुख्यमंत्री का इस्तीफा मांग रही है। भाजपा सांसद निशिकांत दूबे लगातार हमले कर रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ईडी की कार्रवाई को राज्य की गठबंधन सरकार को अस्थिर करने के लिए केंद्र सरकार का प्रयास बताते रहे हैं। उन्होंने ईडी को पत्र भी लिखा है, जिसमें सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा गया है कि दो वर्ष में राज्य सरकार को दो जिलों में चल रहे खनन से कुल 1000 करोड़ की आय भी नहीं होती, जबकि ईडी कह रही है कि दो वर्षों में इतना घोटाला हो चुका है। इसके अलावा वे यह भी कहते हैं कि आदिवासी होने के कारण उन्हें परेशान किया जा रहा है। मुख्यमंत्री पूछते हैं कि क्या हम आपको चोर-उचक्का या हत्यारे लगते हैं? उन्होंने यह भी कहा कि यदि उन्होंने कोई संगीन गुनाह किया गया है, तो ईडी समन क्यों भेज रही है, सीधे आकर अरेस्ट क्यों नहीं कर लेती?
जिस प्रकार झारखण्ड के पदासीन मुख्यमंत्री पर आरोप लगे हैं, और वे जिस प्रकार की प्रतिक्रिया दे रहे हैं, वह कई तरह के सवाल खड़े करता है। ईडी को दिए गए जवाब भी घुमाव-फिराव के अलावा और कुछ भी प्रतीत नहीं होते। सीधे-सीधे तौर पर तो कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन आसार यही दिखाई दे रहे हैं कि मामला लंबा खिंचेगा और एक बड़ा घोटाला सामने आएगा। विडंबना यह है कि सबकुछ साफ होने में काफी समय लग जाएगा और तब तक काफी देर हो चुकेगी। इस घटना से होने वाली क्षति की पूर्ति तब संभव नहीं रह जाएगी।