क्या है सच: दाऊद की मौत या तमाशा!
What is the truth: David's death or a farce
भारत का मोस्ट वांटेड अपराधी और अंडरवल्र्ड डाॅन दाऊद इब्राहिम एक बार फिर सुर्खियों में है। उसकी मौत की खबरें सोशल मीडिया पर आग की तरह फैली है। कहा जा रहा है कि उसे जहर दिया गया है और वह कराची के एक अस्पताल में भर्ती है। इस खबर में कितनी सच्चाई है यह तो खुदा जाने लेकिन जिस तरह रविवार की रात से ही पाकिस्तान में इंटरनेट सेवाएं बाधित रही उसने इस खबर को खूब हवा दी है। पाकिस्तान की मीडिया से ही इस खबर को बल मिला है। हालांकि ग्लोबल नेटवर्क माॅनिटर नेटब्लाॅक्स ने दावा किया है कि जेल में बंदी पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को निशाना बनाकर इंटरनेट सेंशरशिप की गई है। उल्लेखनीय है कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी ने एक वर्चुवल रैली की थी जिसमें आर्टिफिशल इंटेलिजेंस की मदद से इमरान खान की क्लोन आवाज का इस्तेमाल किया गया था। वर्चुअल रैली को फेसबुक, एक्स और यूट्यूब पर 40 लाख से अधिक लोगों ने देखा। बहरहाल सच जो भी हो पर अंडरवल्र्ड डाॅन दाऊद इब्राहिम की मौत को लेकर यह तमाशा कोई पहली बार नहीं हुआ है।
2020 में भी जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में थी तब भी दाऊद इब्राहिम की मरने की खबर हवा में तैरी थी। समझना होगा कि अगर दाऊद इब्राहिम की मौत होती भी है तो पाकिस्तान उसकी पुष्टि नहीं करने वाला। वह अपनी फजीहत क्यों कराएगा। वैसे भी वह बार-बार कह चुका है कि दाऊद उसके यहां नहीं है। गौर करें तो वह ओसामा-बिन-लादेन के बारे में भी इसी तरह झूठ बोलता था। लेकिन जब वह एबटाबाद में मारा गया तो उसकी पोल खुल गई। दाऊद भी पाकिस्तान में ही है। वह कराची से लश्कर, जैश और अलकायदा से सांठगांठ कर आतंकी नेटवर्क चला रहा है। पाकिस्तान उसे 24 घंटे सुरक्षा कवच उपलब्ध कराता है। याद होगा आईएसआईएस और अलकायदा पर प्रतिबंध की निगरानी करने वाली संयुक्त राष्ट्र की समिति कड़ी जांच के बाद दाऊद इब्राहिम के पाकिस्तान में ही होने और उसके छः पतों को सही ठहराने की पुष्टि कर चुकी है। दाऊद न सिर्फ भारत का मोस्ट वांटेड है बल्कि यूनाइटेड नेशन सिक्युरिटी काउंसिल द्वारा भी वैश्विक आतंकी घाषित किया जा चुका है। उस पर ढ़ाई करोड़ डाॅलर का ईनाम घोषित है। भारत भी दाऊद इब्राहिम के ठिकाने को कई बार उद्घाटित कर चुका है। उसके कई ठिकाने पाकिस्तान स्थित कराची, इस्लामाबाद और रावलपिंडी में हैं। गत वर्ष पहले पश्चिमी देश की एक खुफिया एजेंसी ने भी दाऊद इब्राहिम के पाकिस्तान में होने की पुष्टि की थी।
उस खुफिया एजेंसी ने दाऊद इब्राहिम और दुबई के एक प्रापर्टी डीलर के बीच बातचीत रिकार्ड किया था जिसमें उसका लोकेशन पाकिस्तान के कराची के उपनगर क्लिफटन में होने का पता चला था। यही नहीं गत वर्ष पहले पकड़े गए आतंकी अब्दुल करीम टुंडा ने भी स्वीकारा था कि दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान में ही है। उसने खुलासा किया था कि उसकी डी कंपनी नकली नोट और नशे के कारोबार के अलावा रीयल स्टेट और क्रिकेट मैच फिक्सिंग के धंधे में लिप्त है। भारतीय खुफिया एजेंसियां कई बार कह चुकी हैं कि दाऊद इब्राहिम पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के संरक्षण में करांची में है। इसके कई अकाट्य प्रमाण भी दिए हैं। लेकिन पाकिस्तान मानने को तैयार नहीं। उसके सभी हुक्मरान एक सुर में अलापते हैं कि दाऊद पाकिस्तान में नहीं है। याद होगा गत वर्ष पहले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के विशेष दूत शहरयार खान ने लंदन स्थित इंडियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में स्वीकारा था कि ‘दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान में था लेकिन मेरा मानना है कि उसे पाकिस्तान से बाहर खदेड़ दिया गया है। यदि वह पाकिस्तान में है तो उसे ढुंढ लिया जाएगा और गिरफ्तार कर लिया जाएगा।’ लेकिन देखा गया कि चंद घंटे बाद ही उनके सुर बदल गए।
फिर वे कहते सुने गए कि ‘गृहमंत्रालय को शायद दाऊद के बारे में पता होगा, लेकिन विदेश मंत्रालय को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। मुझे तो यह भी पता नहीं कि वह पाकिस्तान में रहा भी है।’ विचार करें तो शहरयार खान की भाषा वही रही जो आज के पाकिस्तानी हुक्मरानों की है। नहीं भूलना चाहिए कि पाकिस्तान ओसामा-बिन-लादेन को लेकर तब तक दुनिया की आंखों में धूल झोंकता रहा जब तक कि वह मारा नहीं गया। वह अमेरिका को समझाता रहा कि ओसामा-बिन-लादेन पाकिस्तान में नहीं है। लेकिन अमेरिका उसकी झांसेबाजी में नहीं आया और एबटाबाद में घुसकर लादेन को मार गिराया। फिर समझना कठिन नहीं कि जो पाकिस्तान अमेरिका से हर वर्ष अरबों डाॅलर की भीख लेने के बावजूद भी उसकी आंखों में धूल झोंक सकता है तो उसके लिए भारत को गुमराह करना कौन सी बड़ी बात है। याद होगा ओसामा-बिन-लादेन के मारे जाने के बाद भी अलकायदा के तीसरे नंबर का आतंकी शालिद शेख मुहम्मद, अलकायदा नेटवर्क को संभालने वाला अबू जुबैदिया, यासर जजीरी और अबू फरज फर्ज सभी पाकिस्तान से ही पकड़े गए थे। जबकि पाकिस्तान शुरु से कहता रहा कि ये आतंकी पाकिस्तान में नहीं हैं। दाऊद के अलावा भारत के कई मोस्ट आतंकी भी पाकिस्तान में छिपे हैं।
लेकिन पाकिस्तान मानने को तैयार नहीं है। इसका सीधा मतलब यह हुआ कि भारत के विरुद्ध प्रायोजित आतंकवाद से पाकिस्तान बाज आने वाला नहीं है। पठानकोट के हमले के बाद उसने भरोसा दिया था कि आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा। लेकिन वह उल्टे उन्हें बेगुनाह बताने पर आमादा दिखा। कुछ वर्ष पहले भारत सरकार ने पाकिस्तान को 50 मोस्ट आतंकियों की सूची सौंपी थी। आज तक उसने एक भी आतंकी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। वह आज भी मानने को तैयार नहीं कि 26/11 मुंबई आतंकी हमले में उसका कोई हाथ भी था। जबकि शिकागों की अदालत में पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी आतंकी डेविड कोलमैन हेडली कह चुका है कि मुंबई आतंकी हमले की साजिश पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और उसकी पाल्य आतंकी संगठन लश्करे तैयबा ने रची थी। हेडली ने यह भी खुलासा किया था कि इसका मास्टर माइंड लश्करे तैयबा का संस्थापक हाफिज सईद है। गत वर्ष पहले अमेरिका ने आतकी हाफिज सईद के सिर एक करोड़ अमेरिकी डाॅलर का इनाम घोषित किया था। इसके अलावा नवंबर 2008 में मुंबई आतंकवादी हमले के बाद जमात उद दावा को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से लश्करे तैयबा का मुखौटा घोषित किया गया। लेकिन इसके बावजूद भी पाकिस्तान मानने को तैयार नहीं कि हाफिज सईद आतंकी है। अमेरिका के जेल में बंद तहव्वुर राणा और डेविड हेडली उर्फ दाऊद गिलानी द्वारा भी अमेरिकी अदालत के सामने स्वीकारा जा चुका है कि उन्होंने ही पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के कहने पर हमले से पहले मुंबई की रेकी की थी। याद होगा दक्षिण अमेरिकी देश चिली में रऊफ नाम का एक पाकिस्तानी आतंकी पकड़ा गया था जिसकी संलिप्तता भारतीय विमान अपहरण कांड में रही। रऊफ के पकड़े जाने के बाद इस कांड में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के हाथ होने के ढ़ेरों सबूत पाए गए।
लेकिन पाकिस्तान इसे मानने को तैयार नहीं है। जबकि यह सच्चाई है कि आज पाकिस्तान आतंकियों का सबसे बड़ा अड्डा है और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देती है। गत वर्ष पहले अमेरिका द्वारा पुष्टि किया जा चुका है कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ परोक्ष रुप से युद्ध छेड़ रखा है। उसकी रिपोर्ट में कहा गया था कि पाकिस्तान सीधे तौर पर भारतीय सेना का मुकाबला करने में अक्षम है इसलिए वह आतंकी संगठनों का इस्तेमाल करता है। पेंटागन भी कह चुका है कि अफगानिस्तान और भारत में दहशतगर्दी फैलाने के लिए एकमात्र पाकिस्तान जिम्मेदार है। वर्ष पहले अमेरिकी विदेश विभाग की वार्षिक रिपोर्ट से उद्घाटित हुआ कि पाकिस्तान के संघ प्रशासित कबायली क्षेत्र (फाटा), पूर्वोत्तर खैबर पख्तुनवा और दक्षिण-पश्चिम ब्लूचिस्तान क्षेत्र में कई आतंकी संगठन पनाह लिए हुए हैं और यहीं से वे स्थानीय, क्षेत्रीय और वैश्विक हमलों की साजिश बुन रहे हैं। भला ऐसे में पाकिस्तान क्यों स्वीकार करेगा की दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान में है या उसकी मौत हो चुकी है।