राजनीति में उम्र नहीं सक्रियता और लोकप्रियता मायने रखती है गृहमंत्री जी, क्‍या 2024 चुनाव में मोदी की उम्र 73.5 साल होने के कारण उनको भी सन्‍यास दिलवायेगे नरोत्‍तम मिश्रा?

78 की उम्र में येदुरप्पा और 29 की उम्र में फारूख मरीकर सिर्फ लोकप्रियता से मुख्यमंत्री रहे थे

Update: 2022-04-06 10:47 GMT

विजया पाठक, एडिटर जगत विजन

अपने बयानों के जरिए चर्चा में बने रहने वाले मध्यप्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा एक बार फिर चर्चा का केंद्र बन गये हैं। इस बार नरोत्तम मिश्रा ने जो बयान दिया है उसके लिए वो अपनी ही पार्टी के राजनेताओं के लिए आंखों का कांटा बन गये हैं। दरअसल एक दिन पहले प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर तंज कसते हुए कहा था कि अगले विधानसभा चुनाव तक कमलनाथ 77 वर्ष के हो जाएंगे, ऐसे में वो संन्यास की उम्र में वो सेहरा सजाने का ख्वाब देख रहे हैं। नरोत्तम मिश्रा के इस बयान से न सिर्फ कांग्रेस बल्कि भारतीय जनता पार्टी के भीतर भी चर्चाएं तेज हो गई है। कई भाजपा नेताओं को नरोत्तम का यह बयान उचित नहीं लगा है। वहीं, सियासी गलियारे में नरोत्तम के इस बयान के कई मयाने निकाले जा रहे हैं। कई लोगों ने यहां तक कयास लगा लिए है कि वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को कांग्रेस पार्टी कड़ी टक्कर दे सकती है। ऐसे में कमलनाथ के मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट होने से भाजपा अभी से बौखला गई है इसलिए प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री बौखलाहट में उलूल जुलूल बयान दे रहे हैं।

तो प्रधानमंत्री खुद को पीछे हटायेंगे क्या

गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के बयान के अनुसार अगर 77 वर्ष की उम्र में किसी राजनेताओं को संन्यास ले लेना चाहिए तो इस हिसाब से सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुद को वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव से खुद को पीछे हटा लेना चाहिए। यही नहीं देखा जाए तो भारतीय जनता पार्टी में ऐसे कई वरिष्ठ नेता रहे हैं जो 80 वर्ष से अधिक उम्र तक राजनीति में पूरी तरह से सक्रिय रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को 79 वर्ष से ऊपर और लालकृष्ण आडवाणी को 82 वर्ष की उम्र में भाजपा संसदीय बोर्ड ने आम चुनाव 2004 और 2009 में प्रधानमंत्री चेहरा बनाने की घोषणा की थी। यही नहीं सुमित्रा महाजन, मुरली मनोहर जोशी सहित ऐसे कई वरिष्ठ नेताओं के नाम इस सूची में शामिल है जो अपनी बढ़ती उम्र के बावजूद भी राजनीति में सक्रिय रहे है।

उम्र नहीं अनुभव मायने रखा है गृहमंत्री जी

प्रदेश की खस्ताहाल होती कानून व्यवस्था को दुरस्त करने के बजाय फालतू की बयानबाजी करके प्रदेश की जनता का दिमाग डायवर्ट करने वाले गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा को एक बात अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए कि राजनीति में उम्र नहीं अनुभव मायने रखता है। जो जितना अधिक उम्र का होता है उसे राजनीति की समझ उतनी अधिक होती है। बात अगर दूसरे पक्ष की करें तो राजनीति में आपकी सक्रियता और लोकप्रियता ही आपको पद दिलवाती है। यही वजह है कि एक तरफ कर्नाटक में 78 वर्ष की उम्र में येदुरप्पा को भाजपा ने मुख्यमंत्री बनाया था तो दूसरी तरफ अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू महज 37 साल और झारखंड में मुध कोड़ा 35 साल की उम्र में मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी पर युवा होने के बावजूद सबसे भ्रष्‍ट मुख्‍यमंत्री कहलाये। राजनीति में उम्र मायने नहीं रखती है। इसका सीधा उदाहरण भारत के बजाय विदेशों में भी देखने को मिला है। जहां अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन 77 वर्ष की उम्र में पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे। प्रदेश के गृहमंत्री होने के नाते नरोत्तम मिश्रा द्वारा दिया गया यह बयान निश्चित तौर पर भारतीय जनता पार्टी की छवि को खराब करने वाला है। मिश्रा के इस बयान को पार्टी नेताओं को आड़े हाथ लेते हुए उनसे जबाव तलब करना चाहिए ताकि फिर दोबारा इस तरह की घटिया मानसिकता रखने वाले नरोत्तम मिश्रा इस तरह के सवाल न उठा सके।

शिवराज सिंह है संवेदनशील मुख्यमंत्री

एक बात स्पष्ट है कि राजनीति में सभी नेता एक दूसरे से आपसी प्रतिस्पर्धा रखते है। लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं कि एक दूसरे पर व्यक्तिगत छींटाकशी करें। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस मामले में संवेदनशील है वे कभी भी किसी विपक्षी नेता के ऊपर व्यक्तिगत छींटाकशी नहीं करते। राजनीति करना अच्छी बात है लेकिन राजनीति की आड़ में किसी के ऊपर गलत सवाल उठाना आपकी औछी मानसिकता को प्रदर्शित करता है। नरोत्तम मिश्रा का यह बयान निश्चित तौर पर उनकी औछी मानसिकता को प्रदर्शित करता है।

कहीं हार का डर तो नहीं सता रहा

कांग्रेस पार्टी पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में मिशन 2023 में जुट गई है। ऐसे में नरोत्तम मिश्रा सहित भाजपा नेताओं के मन में एक भय की स्थिति बन गई है कि कहीं ऐसा तो नहीं इस बार फिर उन्हें कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस से पटकनी मिलेगी। यही वजह है कि भाजपा के नेता उलूल-जुलूल बयानबाजी कर लोगों को ध्यान भटकाने का प्रयास कर रहे है।

कानून व्यवस्था को दुरस्त क्यों नहीं करते मिश्रा

प्रदेश में आये दिन हो रही क्राइम की घटनाओं को रोकने में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा पूरी तरह से विफल रहे हैं। यही वजह है कि प्रदेश में आये दिन बच्चियों के साथ बालात्कार, छेड़छाड़, लूट-खसोटा, मारपीट, चोरी जैसी घटनाएं हो रही है। इन सब घटनाओं को रोकने के बजाय गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा और उनके पुलिसिया अफसर पूरी तरह से नाकाम है। अगर प्रदेश में क्राइम की घटनाएं इसी तरह से बढ़ती रही तो वह दिन दूर नहीं जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद आगे बढ़कर प्रदेश के गृहमंत्री पद से नरोत्तम मिश्रा का इस्तीफा मांग लेंगे।

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