क्या भाजपा जातीय जहर घोल कर लड़ेगी चुनाव ?

Update: 2018-12-25 15:27 GMT

चंडीगढ़ से जग मोहन ठाकन

पहले ही जाट आरक्षण के मुद्दे पर जातीय विद्वेष का दंश झेल चूका हरियाणा क्या अब जातीय आधार पर वोट बटोरने के घिनोने प्रयास को झेल पायेगा ? क्या भाजपा अब अपने पुराने धार्मिक मुद्दे को आगामी चुनावों में निष्प्रभावी मान कर समाज का जातीय आधार पर विभक्तिकरण कर वोट लेना चाहती है ? यदि सोलह दिसम्बर को हुए पांच नगर निगमों के चुनावों में भाजपा के करनाल नगर निगम के चुनाव प्रत्यासी की फोटो सहित ठीक चुनाव के ही दिन एक राष्ट्रीय हिंदी समाचार पत्र में प्रकाशित करवाए गये विज्ञापन ( विज्ञापन संलग्न ) को देखा जाए तो भाजपा के प्रत्याशी की जातीय आधार पर वोटर के बंटवारे की मंशा साफ़ दृष्टिगोचर हो रही है .

विज्ञापन , जिस पर भाजपा का चुनाव चिन्ह 'कमल का फूल' , प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी तथा हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (जो पंजाबी समुदाय से सम्बन्ध रखते हैं तथा अपने हर सरकारी विज्ञापन में 'हरियाणा एक –हरियाणवी एक' का स्लोगन अंकित करवाते हैं ) , राष्ट्रीय हिंदी दैनिक अमर उजाला में ठीक चुनाव के दिन (सोलह दिसम्बर ) प्रकाशित करवाया गया है . विज्ञापन में भाजपा को वोट देने का अनुरोध किया गया है और लिखा गया है – बी जे पी को वोट दें - क्योंकि , "52 साल में मिला हरियाणा का पहला पंजाबी मुख्यमंत्री . अगर आज गलती की तो साठ साल में फिर मौका नहीं मिलेगा . आज़ाद प्रत्याशी के कंधे पर बन्दूक रखकर पंजाबी समाज के मुख्यमंत्री को हटाना चाहते हैं कुछ जाति विशेष के नेता . पंजाबी समाज के लोगों का अनुरोध –पंजाबी मुख्यमंत्री का खुलकर करें समर्थन ."


करनाल नगर निगम के मेयर पद की उम्मीदवार रेणु बाला गुप्ता की फोटो समेत ठीक चुनाव के दिन प्रकाशित इस विज्ञापन में जातीय आधार पर वोटों की मांग क्या चुनाव आचार संहिता का खुलम खुल्ला उल्लंघन नहीं है ? क्या यह जातीय विद्वेष को बढ़ावा देने वाला तथा जातीय आधार पर वोट माँगने का सीधा सीधा मामला नहीं है ? क्या यह सब प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा करनाल से ही विधायक मनोहर लाल खट्टर के ध्यान में लाये बिना ही प्रकाशित करवाया गया है और किस के द्वारा छपवाया गया है ? यदि भाजपा या भाजपा प्रत्याशी ने यह विज्ञापन नहीं छपवाया है ,तो क्या भाजपा तथा भाजपा प्रत्याशी इस कथित जातीय जहर फैलाने वाले विज्ञापन प्रकाशन की जांच करवाएगी ? क्या इस विज्ञापन पर चुनाव आयोग कोई संज्ञान लेकर जांच कारवाई करेगा या आँखे मूंदकर इग्नोर कर देगा ? सवाल कई उठ रहे हैं , जवाब कौन देगा और क्या देगा यह भाजपा तथा चुनाव आयोग की कार्य प्रणाली को अवश्य दर्शाएगा . 

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