शिमला: एक के बाद एक भाजपा नेताओं के निधन की खबरें सामने आ रही है। अब भाजपा की कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री श्यामा शर्मा(Shyama Sharma) का निधन हो गया है। बताया जा रहा है कि पूर्व मंत्री बीते कई दिनों से बीमार चल रही थी, वही पिछले दो दिनों से उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।वही उनकी रिपोर्ट भी कोरोना पॉजिटिव आई थी। सोमवार को इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। श्यामा शर्मा का अंतिम संस्कार कोविड नियमों के तहत होगा। सीएम जयराम ठाकुर (CM Jairam Thakur) ने श्यामा शर्मा के निधन पर शोक जताया है। उनके निधन की खबर से भाजपा में शोक की लहर छा गई है।
मिली जानकारी के अनुसार, हिमाचल प्रदेश की तेजतर्रार नेत्री व पूर्व मंत्री सुश्री श्यामा शर्मा का सोमवार को 70 वर्ष की आयु में पंचकूला के एक निजी अस्पताल सोमवार सुबह निधन हो गया।बताया जा रहा है पूर्व मंत्री की कोरोना जांच हुई थी, रिपोर्ट नेगेटिव आई थी, लेकिन मौत के बाद किए गए कोविड टेस्ट में उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई है।बताया जा रहा है कि सोमवार को सुबह ही तकरीबन साढ़े 9 बजे उनकी तबीयत ज्यादा खराब होने के बाद उन्हें चंडीगढ़ रेफर कर दिया। पंचकूला के अस्पताल पहुंचते ही उन्हें डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। बताया जा रहा है कि उन्हें लंग्स में इंफेक्शन (Lungs infection) हो गया था। उन्हें सांस की तकलीफ भी हो गई थी।
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष एवं शिमला से सांसद सुरेश कश्यप, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, राज्य के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर समेत कई नेताओं ने सुश्री शर्मा के निधन पर गहरा दुख एवं शोक व्यक्त करते हुये इसे पार्टी के लिये एक अपूरणीय क्षति बताया है। पार्टी नेताओं ने दिवंगत आत्मा की शांति की भी कामना की।
ऐसा रहा राजनैतिक सफर
वह नाहन विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक भी रहीं।
पहला चुनाव वर्ष 1977 में लड़ा तथा 18 मई 1997 को वह राज्य की खाद्य एवं आपूर्ति तथा विधि मंत्री रहीं।
वह भाजपा छोड़ कर हिमाचल विकास पार्टी में चली गईं थीं।
श्यामा शर्मा और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज दोनों गहरी मित्र थीं।दोनों का राजनीतिक सफर भी वर्ष 1977 में शुरू हुआ था।
शांता कुमार के साथ कई आंदोलनों में भाग लिया व जेल में भी रहीं।
शर्मा एक कुशल राजनीतिज्ञ और अधिवक्ता थीं।
प्रदेश भाजपा की कद्दावर नेता थीं। सिरमौर जिले में भाजपा को विशेष पहचान दिलाने और संगठन के लिए उनका अहम योदान रहा।
वर्ष 1977 में जब केंद, में जनता पार्टी सत्ता में आई तो उस समय प्रदेश में शांता कुमार सरकार में वह पहली बार मंत्री बनीं।