हर साल आयोजित होता है भूतों का मेला, कोरोना के कारण ओझा खेती- बाड़ी करने पर मजबूर

झारखंड के पालमु जिले के हैदरनगर देवी धाम में हर वर्ष नवरात्रि (Navratri) के मौके पर लगने वाला भूतों का मेले में कथित तौर पर प्रेत बाधा पीड़ित हजारों की संख्यां में लोग पहुंचते हैं...

Update: 2022-04-11 12:19 GMT

 कोरोना काल (Covid 19) ने कई वैज्ञानिक सोच दिए है। इंजीनियरिंग से लेकर पहली कक्षा में पढ़ने वाले छात्र भी ऑनलाइन क्लास करने लगे। वहीं भूत- प्रेत, जादू - टोना जैसे अंधविश्वास पर भी कुछ हद तक लगाम भी लगा है। झारखंड (Jharkhand) के पालमु जिले के हैदरनगर देवी धाम में हर वर्ष नवरात्रि (Navratri) के मौके पर लगने वाला भूतों का मेला (Fair of Ghost) इस बात का गवाह है। इसमें कथित तौर पर प्रेत बाधा पीड़ित हजारों की संख्यां में लोग पहुंचते हैं। सिर्फ झारखंड के जिलों के नहीं बल्कि, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, बिहार एवं उत्तर प्रदेश के लोग भी काफी संख्या में पहुंचते हैं।

लॉकडाउन में दो वर्षों तक मेले का विधिवत आयोजन नहीं हुआ। प्रेत बाधा से मुक्ति दिलाने की बात कह अंधविश्वास की दुकानदारी चलाने वाले ओझा गुणी के कारोबार पर असर पड़ा। कई ओझा गुणियों ने इस धंधे को छोड़ खेती-बाड़ी, बागवानी एवं पशुपालन में जुट गए। मंदिर प्रबंधन समिति भी मान रही है कि इस बार यहां पहुंचने वाले लोगों की संख्या कोविड पीरियड से पूर्व के मुकाबले मात्र 60 प्रतिशत रही है। यह अनुमान से काफी कम है। कमाई कम होने के कारण कई ओझा गुनी का धंधा करने वाले लोग इस कार्य को छोड़ कर दूसरे कार्य में जुए हुए हैं।

देवी धाम प्रबंधन समिति के अधिकारियों के अनुसार दो साल बाद विधिवत तौर पर इस बार मेला लगा लेकिन अपेक्षा के मुताबिक श्रद्धालु नहीं पहुंच सके। पहले लगभग डेढ़ सौ ओझा पहुंचते थे। इस बार मात्र 100 ओझा ही मेला पहुंच सके हैं। देवी धाम मंदिर प्रबंधन समिति, हैदरनगर (पलामू) कोषाध्यक्ष रविंद्र सिंह का कहना है कि कोविड काल के पूर्व की स्थिति की तुलना में मात्र 60 प्रतिशत श्रद्धालु ही मेला में पहुंच सके हैं। यहां झारखंड के अलावा ओडिशा, यूपी, बिहार, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों से लोग आते हैं।

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