ढाई साल जहन्नुम सी जिंदगी बितायी फिर ख़ुदा बन कर आये सीएम रघुवर दास, ईद पर बिछुड़े भाइयों को मिला दिया
यह कहानी है झारखंड के मुफीज की. काम छोड़कर भाग जाने के बाद मुफीज के मालिक ने उस पर चोरी का आरोप लगाया. फिर शुरू हुआ पुलिस का चक्कर.
शिवानंद गिरि/नवीन कुमार शर्मा
रांची: विदेशों में पैसा कमाने जाने वाले लोगों की क्या परेशानी होगी हसि ये झारखंड के मजीद से ही पता चल जाएगा जो वहां से सीएम रघुवर दास की पहल पर अपने वतन लौट सका वार्ना यातना में जीते दम तोड़ देता।
दरअसल, तीन साल पहले 2017 में आंखों में सुनहरे ख्वाब लिए वह यह सोचकर कि दुबई गया था कि कुछ पैसे कमाकर वह वतन अपने परिवार को भेजेगा पर ऐसा हुआ नहीं. एक वर्ष तक तो किसी तरह काम किया लेकिन उसके बाद वह बंधुआ मजदूर सा बन गया. उसके साथ अपराधी और गुलामों जैसा व्यवहार होने लगा. उसके मालिक का नाम मोहम्मद जहिया हुसैन था. एक दिन किसी तरह वह जहिया के चंगुल से निकल भागा. फिर उस पर चोरी का आरोप लगाया गया. यह कहानी है झारखंड के मुफीज की. काम छोड़कर भाग जाने के बाद मुफीज के मालिक ने उस पर चोरी का आरोप लगाया. फिर शुरू हुआ पुलिस का चक्कर.
मुफीज ने बताया कि भागने के बाद किसी तरह किराये के घर पर उसने 4 महीने व्यतीत किये जो किस जहन्नुम से कम नहीं था. फिर अपने परिवार वालों को अपनी आपबीती सुनाई और परिवारवालों ने राज्य के मुख्यमंत्री तक मेरी पीड़ा को पहुंचाया. देखते ही देखते मुख्यमंत्री जी ने पहल की और आज मैं अपने घर आ गया. मुझे वतन वापसी की उम्मीद नहीं थी. मुख्यमंत्री जी खुदा बन कर आये. मुख्यमंत्री के आप्त सचिव श्री के पी बालियन ने भी मेरी बहुत मदद की है.
बकरीद के मौके पर मुफीज का भाई ख़ुर्शीद को अपार खुशियां मिलीं. वह एयरपोर्ट से बाहर आने वाले लोगों को बड़ी बेसब्री से देख रहा था. उसकी आंखें अपने भाई मुफ़ीज़ को ढूंढ रहीं थीं और वह पल आ भी गया. जब मुफ़ीज़ उसे नजर आया. दौड़ता हुआ ख़ुर्शीद अपने भाई मुफ़ीज़ के गले लग गया. भाई को आंखों के सामने देख खुर्शीद के आंसू छलक गए. बरबस रुंधे गले से बोला. ईदु-उल अजहा मुबारक भाई जान. फिर क्या था दोनों भाई ऐसे गले मिले मानो वर्षों बाद मिल रहें हों..सच भी तो था ,पूरे ढाई साल बाद यातनाओं और मुसीबतों को झेल कर खुर्शीद का भाई मुजीब उसके सामने खड़ा था. वह भी बकरीद जैसे मुबारक दिन में. बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर इस नजारे को देख सभी खुश थे.
मजीद पर लगा चोरी का आरोप गलत साबित हुआ
मुफीज ने कहा कि सऊदी अरब की पुलिस ने उसे पकड़ा और फिर छोड़ भी दिया. लेकिन पुलिस लगातार उससे पूछताछ करती रही. उसपर लगा चोरी का आरोप गलत साबित हुआ. मोजन अली मुझे लेकर गया था. उसने गलत ढंग से मेरे कागजात बनवाये थे. वह भी मेरी परेशानी का सबब बना. मैं तो लोगों से अपील करूंगा अपने वतन में काम करो. लेकिन गैर वतन जाकर कभी काम मत करो.
मुख्यमंत्री की पहल रंग लायी,भाई से मिलवाया
मुफ़ीज़ के भाई ने बताया कि वर्ष 2017 में मुफ़ीज़ सऊदी अरब काम करने गया था. वह एक कुशल मैकेनिक है. उसे लेकर जाने वाला उसके दोस्त ने काम का आफर दिया था. लेकिन वहां जाकर उसे पता चला कि उसे बताया गया वेतन नहीं मिल रहा है और अधिक काम लिया जा रहा है. लेकिन 1 वर्ष का अनुबंध होने की वजह से मुफीज चुप रहा. जब एक वर्ष 2018 में पूरा हुआ तो उसने रांची वापसी की गुहार लगाई, . बावजूद इसके उससे जबरन काम कराया जाता रहा. इसके बाद हमलोगों ने झारखण्ड़ के मुख्यमंत्री से गुहार लगाई और उन्होंने हमारे भाई की वतन वापसी करवाई.