RSS प्रमुख मोहन भागवत ने 'राष्ट्रवाद' शब्द का अर्थ बताया तो इसके इस्तेमाल करने से बचें रहने की कही बात

भागवत का कहना है कि हिंदू ही एक ऐसा शब्द है जो भारत को दुनिया के सामने सही तरीके से पेश करता है। बेशक देश में कई धर्म हैं लेकिन हर व्यक्ति एक शब्द से जुड़ा हुआ है जो हिंदू है। ये शब्द देश की संस्कृति को दुनिया के सामने दर्शाता है।

Update: 2020-02-20 06:04 GMT

रांची। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने रांची में एक कार्यक्रम में राष्ट्रवाद को लेकर बड़ा बयान दिया है। उनका कहना है कि राष्ट्रवाद शब्द की जगह राष्ट्र या राष्ट्रीय शब्द का इस्तेमाल होना चाहिए क्योंकि इसमें नाजी और हिटलर की झलक मिलती है। उन्होंने कहा कि आरएसएस का विस्तार देश के लिए है। हमारा लक्ष्य भारत को विश्वगुरू बनाने का है।

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि राष्ट्रवाद जैसे शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. क्योंकि इसका मतलब नाज़ी या हिटलर से निकाला जा सकता है, ऐसे में राष्ट्र या राष्ट्रीय जैसे शब्दों को ही प्रमुखता से इस्तेमाल करना चाहिए. उन्होंने कहा कि दुनिया के सामने इस वक्त ISIS, कट्टरपंथ और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे बड़ी चुनौती हैं.

यहां मोहन भागवत ने कहा कि विकसित देश क्या करते हैं, वो अपने व्यापार को हर देश में फैलाना चाहते हैं. इसके जरिए वो अपनी शर्तों को मनवाना चाहते हैं RSS प्रमुख ने कहा कि दुनिया के सामने जो बड़ी समस्याएं हैं, उनसे सिर्फ भारत ही निजात दिलवा सकता है ऐसे में हिंदुस्तान को दुनिया का नेतृत्व करने की सोचना चाहिए. देश की एकता ही असली ताकत है, इसका आधार अलग हो सकता है लेकिन मकसद समान ही है।

भागवत का कहना है कि हिंदू ही एक ऐसा शब्द है जो भारत को दुनिया के सामने सही तरीके से पेश करता है। बेशक देश में कई धर्म हैं लेकिन हर व्यक्ति एक शब्द से जुड़ा हुआ है जो हिंदू है। ये शब्द देश की संस्कृति को दुनिया के सामने दर्शाता है। उन्होंने कहा कि संघ देश में विस्तार के साथ-साथ हिंदुत्व के एजेंडे पर आगे बढ़ता रहेगा जो देश को जोड़ने का काम करेगा। हम सभी को मानवता के साथ जीना सीखना होगा। इसके लिए देश में प्यार काफी जरूरी है। संघ में हम कार्यकर्ताओं को इसे लेकर ही ज्ञान देते हैं।


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