सरकार सभी श्रेणी के 'पत्रकारों' को तत्काल 'कोरोना योद्धा' का दर्जा प्रदान करे : डॉ राजाराम त्रिपाठी

सैकड़ों 'शहीद' जांबाज पत्रकारों ने ग्राउंड रिपोर्टिंग के चलते अपनी जानें कुर्बान की, उनके परिवारों की सुध लेना हम सब का प्रमुख दायित्व.

Update: 2021-05-04 08:18 GMT

डॉ. राजाराम त्रिपाठी (फाइल फोटो)

अखिल भारतीय किसान महासंघ (आईफा) लंबे समय से पत्रकारों को कोरोना योद्धा मानने की मांग उठा रहे डॉ. राजाराम त्रिपाठी जो कि स्वयं कई पत्रिकाओं के संपादक हैं तथा विभिन्न समाचार पत्रों में नियमित रूप से विभिन्न मुद्दों पर लगातार लिखते रहे हैं, ने आज बाकायदा प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि, हमारे पत्रकार साथी समाज हित में अपनी जान हथेली पर लेकर दिन रात कार्य़ कर रहे हैं, इसलिए सरकार द्वारा तत्काल इन्हें फ्रंट लाइन वर्कर मानते हुए कोरोना योद्धा का दर्जा दिया जाना चाहिए, तथा उपरोक्त श्रेणी में रखने का तत्काल आदेश जारी किया जाना चाहिए । हमें पूरी उम्मीद है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री इस विषय पर संवेदनशीलता के साथ विचार करेंगे।

इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि, जब से इस प्रदेश में कोरोना ने दस्तक दी है, तभी से हमारे पत्रकारों ने बिना संक्रमण से डरे, नियमों का पालन करते हुए पूरी हिम्मत तथा जीवटता के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया है। इस संदर्भ में पूर्व में भी विभिन्न मंचों पर मैंने इस संदर्भ में बात उठाई है, और हमारा मानना है कि पूरे देश में पत्रकारों को कोरोनावायरस का दर्जा दिया जाना उचित होगा। इस वैश्विक महामारी के कठिन कोरोना काल में, जबकि चारों ओर अफवाहों का दौर गर्म है, हमारे पत्रकार बिरादरी ने ही वास्तविक वस्तुस्थिति से समाज तथा सरकार को परिचित कराने का महती दायित्व निभाया है।

इस भयावक परिस्थिति में भी ग्राउण्‍ड रिपोर्टिंग करके पत्रकारों ने हम सबको सच्चाई से अवगत कराया है। इस महामारी के दरमियान भी जान हथेली पर लेकर की गई रिपोर्टिंग के कारण , इसने हमारे कई जांबाज पत्रकारों को भी निशाना बनाया है, ऐसे पत्रकारों का बचा खुचा परिवार भी आज बेहद कठिन परिस्थितियों से गुजर रहा है। कई समाचार पत्रों तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के द्वारा इस दरम्यान विभिन्न कारणों से अपना व्यवसाय समेट लेने के कारण पत्रकारों का एक बहुत बड़ा वर्ग अचानक, खाली हाथ, बेरोजगार भी हो गया है । ऐसे साथी न्यूज़ पोर्टल एवं अन्य सोशल मीडिया के जरिए पत्रकारिता की अलख जगाने हेतु संघर्षरत हैं।

पत्रकार चाहे श्रमजीवी हो या फिर अखबार के हों या फिर टीवी चैनल्स में काम करने वाले हों, वे अपने परिवार के एक मात्र आर्थिक आधार थे, और उनके चले जाने के बाद परिवार के सामने एक बड़ी आर्थिक चुनौति खड़ी हो गई है। ऐसे परिवारों की सुध लेना हम सबका दायित्व है। ऐसी विषम परिस्थितियों में निश्चित तौर पर मुख्यमंत्री के द्वारा सभी श्रेणी के पत्रकारों को कोरोना इन था का दर्जा दिए जाने इस निर्णय से उन तमाम परिवार के लोगों को एक संबल मिलेगा ,जिन्होंने इस महामारी के दौर में अपनों को खोया है।

पत्रकार वर्ग इस महामारी के आने के बाद से ही, लगातार इस बात की मांग कर रहा है कि उन्हें भी फ्रंट लाइन वर्कर माना जाए। देश के 40 किसान संगठनों का सबसे बड़ा संगठन,अखिल भारतीय किसान आइफा प्रदेश के मुख्यमंत्री से इस विश्वास के साथ, विनम्र निवेदन करता है कि, इस संवेदनशील बिंदु पर प्रदेश के मुखिया के द्वारा तत्काल निर्णय लिया जाएगा तथा इसका अनुकरण अन्य प्रदेश भी करेंगे।

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