कोरोना महामारी से जुझ रहे भारत के लिए बुरी खबर है। दुनिया सबसे बड़ी या कहें खतरनाक बीमारी कैंसर धीरे-धीरे देश को जकड़ रही है। इंडियान काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल सेंटर फॉर डिसीज इन्फॉर्मेटिक्स एंड रिसर्च (NCDIR), बेंगलुरू ने ये चेतावनी जारी की है। ये चेतावनी नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम की रिपोर्ट में दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार अगले पांच साल में कैंसर की रफ्तार तेज होगी। कैंसर का ये शिकंजा महिलाओं और पुरुषों सहित बच्चों पर भी मजबूत होगा। ये रिपोर्ट 28 जनसंख्या आधारित कैंसर मामलों और 58 अस्पताल आधारित कैंसर के आंकड़ों के हिसाब से तैयार की गई है।
नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2025 तक भारत में कैंसर के मामले 12 फीसद तक बढ़ेंगे। इस साल के अंत तक भारत में कैंसर मरीजों की संख्या 14 लाख पार होगी, जो 2025 तक 16 लाख पहुंच सकती है। ICMR के अनुसार इस वर्ष देश में कैंसर के कुल मामलों में से 27.1 फीसद (करीब 3.77 लाख) मामले तंबाकू से होने वाले कैंसर के, 19.8 प्रतिशत (करीब 2.73 लाख) मामले पेट के कैंसर के, 14.8 फीसद (करीब दो लाख) मामले महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के और 5.4 प्रतिशत (75 हजार मामले) सर्विक्स कैंसर के रहने का अनुमान है। रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले समय में पुरुषों में फेफड़े, मुंह, पेट व आंत का कैंसर और महिलाओं में ब्रेस्ट व सर्विक्स कैंसर काफी तेजी से बढ़ेगा। इसकी मुख्य वजह तंबाकू होगा।
पूर्वोत्तर के राज्यों में तेजी से पांव पसार रहा कैंसर चिंता की बड़ी वजह बनता जा रहा है। सबसे चौंकाने वाली रिपोर्ट दिल्ली की है। देश की राजधानी दिल्ली में बच्चों में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (दिल्ली-एनसीआर) में 19 साल तक के लड़के और लड़कियों में कैंसर की दर देश में सबसे अधिक है। देश में कैंसर के कुल मामलों में से 3.7 प्रतिशत केस अकेले दिल्ली-एनसीआर में 0 से 14 साल तक के बच्चों के हैं। इसी तरह कुल मामलों में से 4.9 प्रतिशत कैंसर केस दिल्ली-एनसीआर में 0 से 19 साल तक के बच्चों के हैं। दिल्ली एनसीआर के बच्चे सबसे ज्यादा ल्यूकेमिया से पीड़ित हैं और इसमें लड़के व लड़कियों की संख्या लगभग बराबर-बराबर है।
नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम की रिपोर्ट में कैंसर से बचने के कई तरीके भी बताए गए हैं। इसमें कैंसर के प्रति जागरूकता, स्वस्थ जीवन और नियमित स्क्रीनिंग को सबसे अहम बताया गया है। इसके अलावा अच्छी डाइट, नियमित व्यायाम और जरूरी इलाज कराना भी कैंसर से बचाव के उपायों में शामिल है। साथ ही कैंसर से बचने के लिए बीड़ी-सिगरेट, गुटखा व अन्य तंबाकू उत्पाद और शराब का सेवन बंद करने की सलाह दी गई है।
कैंसर को लेकर जागरूक नहीं लोग
फरीदाबाद स्थित एशियन अस्पताल में ऑन्कोलॉजी विभाग (Oncology Department) के प्रमुख डॉ. प्रवीन बंसल के अनुसार देश में कैंसर बीमारी को लेकर अभी तक लोगों में जागरूकता नहीं है। कैंसर की कई वजहें हो सकते हैं। आपकी रोग प्रतिरोधक प्रणाली (Immune System) पर बहुत कुछ निर्भर करता है। इसके अलावा कैंसर के पीछ जैनेटिक वजहें भी हो सकती हैं। खाना कैसे पकाया जाता है और खाने की आदत (Food Habbits) क्या हैं, इस पर भी काफी कुछ निर्भर करता है। जैसे ज्यादा तला-भुना खाने से एक तरह का रसायन उत्पन्न होता है, जो कैंसर का कारण बन सकता है। उबला खाना सबसे सुरक्षित होता है। डॉ. बंसल के मुताबिक कुछ प्रमुख कैंसर और उसकी वजहें निम्न प्रकार हैं :-
कैंसर की वजहें
1. लंग कैंसर - इसकी प्रमुख वजह केमिकल व ऑटो मोबाइल्स के प्रदूषण में मौजूद हाइड्रोकार्बन्स के कण होते हैं।
2. स्तन कैंसर - महिलाओं में स्तन कैंसर (Breast Cancer) के कई हो सकते हैं। शारीरिक श्रम अथवा व्यायाम न करना, मोटापा, देर से शादी, बच्चे को दूध नहीं पिलाना, बच्चे पैदा न करना या जैनेटिक वजह भी हो सकती है।
3. क्रोनिक हेपेटाइटिस बी - इससे लीवर सिरोसिस अथवा लीवर कैंसर की आशंका बढ़ जाती है। इसके प्रमुख लक्षणों में पीलिया, पेट में पानी भरना, खून की उल्टी, काला दस्त, बेहोश होना शामिल है।
4. हेपेटाइटिस बी - पूरे विश्व में ये लीवर संक्रमण का सबसे सामान्य कारण है। ये संक्रमित खून से, असुरक्षित यौन संबंध अथवा संक्रमित माता से नवजात शिशु में फैलता है। दुनिया में सात लाख लोग प्रतिवर्ष हेपेटाइटिस-बी से मरते हैं। इसका इलाज संभव है। इसकी वजह से हेपेटाइटिस सी से भी लीवर कैंसर का खतरा बढ़ा जाता है।
5. गले व मुंह का कैंसर - धूम्रपान, गुटका, पान, तंबाकू, सौंफ या सुपारी का सेवन इसकी प्रमुख वजह होता है।
6. फूड पाइल कैंसर, लीवर व पेट का कैंसर - लगातार बीयर, वाइन या शराब आदि पीने से तीनों तरह के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
7. कुछ इलाकों में रहने की वजह से भी कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। जैसे केरल में जमीन के नीचे यूरेनियम (Uranium) का भंडार है। इसलिए यहां रेडिएशन से कैंसर का खतरा ज्यादा रहता है।
8. भारत में एस्बेस्टस (Asbestos) से बनीं सीमेंट की चादर बनाने का उद्योग 10 फीसद सालाना बढ़ रहा है। यहां काम करने वाले कर्मचाारियों में कैंसर का खतरा काफी ज्यादा रहता है। एस्बेस्टस जनित बीमारियों से प्रतिवर्ष करीब 90 हजार लोगों की मौत हो जाती है। इससे होने वाली बीमारियों का पता काफी देर से चलता है और उनका इलाज भी जटिल है।
क्या होता है कैंसर?
डॉ. प्रवीन बंसल के मुताबिक हमारे शरीर में नियंत्रित ढंग से कोशिकाओं (सेल्स) का लगातार विभाजन होना एक सामान्य प्रक्रिया है। जब किसी खास अंग की कोशिकाओं पर शरीर का नियंत्र नहीं रह जाता और वे असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं, तो उसे कैंसर कहते हैं। जैसे-जैसे कैंसर ग्रस्त कोशिकाएं बढ़ जातती हैं, वो ट्यूमर (गांठ) का रूप लेने लगती हैं। हालांकि, हर ट्यूमर कैंसर नहीं होता है। जो ट्यूमर कैंसर ग्रस्त है, उसका इलाज नहीं गया तो वह पूरे शरीर में फैल सकता है।
कैसे शुरू होता है कैंसर
डॉ. बसंल बताते हैं कि कैंसर की शुरूआत कोशिका के जीन में बदलाव से होती है। ये बदलाव अपने आप भी हो सकता है या इसके लिए कुछ बाहरी कारक जैसे तंबाकू, वायरस, अल्ट्रावाइलेट रे, रेडिएशन (एक्सरे, गामा रेज आदि) आदि भी जिम्मेदार हो सकते हैं। सामान्यतः हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ऐसी कोशिकाओं को खत्म कर देती है, लेकिन कभी-कभी कैंसर की कोशिकाएं इम्यून सिस्टम पर हावी हो जाती हैं और फिर बीमारी अपनी चपेट में ले लेती है।
कैंसर के इलाज के 7 तरीके
1. सर्जरी : शरीर के जिस अंग में कैंसर का ट्यूमर बना है, उसे ऑपरेशन कर निकाल देने से परेशानी काफी हद तक दूर हो जाती है।
2. कीमोथेरपी : इसमें आईवी यानी इंट्रा वेनस थेरपी के जरिए दवा देकर कैंसर को रोकने की कोशिश होती है। आजकल कीमोथेरपी के लिए सूई की जगह टैब्लेट्स का उपयोग होने लगा है।
3. रेडियोथेरपी : इस प्रोसेस में रेडिएशन का ज्यादा डोज देकर ट्यूमर को खत्म किया जाता है। रेडियोथेरपी कैंसर दूर करने में मुख्य भूमिका नहीं निभाता बल्कि यह दूसरे तरीके से इलाज होने पर कैंसर को फैलने से रोकने में सहायता करता है।
4. इम्यूनोथेरपी : इसके जरिए शरीर के इम्यून सिस्टम को ही कैंसर से लड़ने के लिए तैयार किया जाता है। इसे बायलॉजिकल थेरपी भी कह सकते हैं।
5. टार्गेटेड थेरपी : इसमें स्मॉल मॉलिक्यूलर ड्रग्स होते हैं जो सीधे कैंसर सेल्स पर हमला करते हैं। इससे दूसरे अच्छे सेल्स को नुकसान नहीं होता।
6. हॉर्मोन थेरपी : इसमें खास तरह के हॉर्मोन को शरीर में दिया जाता है। यह उन हॉर्मोन्स के असर को कम करता है जो कैंसर को बढ़ने में मदद करते हैं।
7. स्टेम सेल ट्रांसप्लांट : इस प्रोसेस में ब्लड बनाने वाले सेल्स को शरीर में बनाया जाता है। दरअसल, कीमोथेरपी और रेडियोथेरपी की वजह से शरीर की कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं।
8. प्रिसिशन मेडिसिन : इसमें हर मरीज का उसकी बीमारी के अनुसार अलग-अलग इलाज किया जाता है। इसे पर्सनलाइज्ड मेडिसिन ट्रीटमेंट भी कह सकते हैं।