जानिए- कौन हैं वसीम रिजवी, जिन्होंने की है कुरान शरीफ की 26 आयतों को हटाने की मांग
वसीम रिजवी इस समय अंडरग्राउंड हैं. उन्होंने कहा कि परिवार ने मेरा साथ छोड़ दिया, पत्नी, बच्चों, भाई सबने साथ छोड़ दिया है.
नई दिल्ली : शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी की उस जनहित याचिका पर बवाल हो गया है जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि कुरान शरीफ की 26 आयतों को हटाया जाए. रिजवी के मुताबिक, ये खास आयतें मनुष्य को हिंसक बना रही हैं और आतंकवाद सिखा रही हैं. इन्हीं आयतों को कोट करके दुनिया के लोग आतंकी बनाए जाते हैं, ऐसा वसीम रिजवी का दावा है. एक बड़े इस्लामी सम्मेलन में, जिसमें शिया और सुन्नी समुदाय के उलेमा शामिल हुए,
उन्होंने कहा कि रिजवी को इस्लाम से खारिज किया जाता है और मुल्क के किसी क्रबिस्तान में दफन नहीं होने दिया जाएगा. इस बीच, देर रात लखनऊ के तालकटोरा की करबला में, जहां रिजवी ने एडवांस में कब्र बुक कराई है जिसे हयाती कब्र कहते हैं. बहुत सारे मुस्लिम, किसी कब्रिस्तान या करबला में अपने पसंद की जगह खरीद लेते हैं, अपने नाम का पत्थर लगा देते हैं. इस कब्र का रिप्लिका बना देते हैं, बाद में यहां दफनाए जाए हैं. वसीम रिजवी के नाम की कब्र के नाम के पत्थर को कुछ लोगों ने तोड़ दिया है.
वसीम रिजवी इस समय अंडरग्राउंड हैं. उन्होंने कहा कि परिवार ने मेरा साथ छोड़ दिया, पत्नी, बच्चों, भाई सबने साथ छोड़ दिया है. उनके भाई ने वीडियो जारी कर कहा कि वसीम से परिवार का संबंध नहीं है. वे नहीं आते, वे इस्लाम विरोधी हो गए हैं और वे जो कह रहे हैं, उसका परिवार से कोई संबंध नही है.
अब दो अहम पहलू यह हैं कि क्या क्या सुप्रीम कोर्ट इस याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करेगा और दूसरा सवाल यह है कि क्या कुरान शरीफ की ये 26 आयतें क्या वाकई आतंकवाद सिखाती हैैं. सुप्रीम कोर्ट का याचिका को स्वीकार करना शक के दायरे में है क्योंकि वह किसी धर्मग्रंथ के किसी हिस्से को हटाने का काम नहीं करता है. यह प्रारंभ होगा कि दूसरे धर्मग्रंथ लोग भी इस तरह की मांग करने लगेंगे और लंबी परंपरा शुरू हो जाएगी.
लगता है कि सुप्रीम कोर्ट इसे स्वीकार नहीं करेगा. दूसरा सवाल यह है कि क्या ये 26 आयतें वाकई आतंकवाद सिखाती हैं. इस्लाम में चार तरह के जिहाद का जिक्र है इस्लाम में हमले की इजाजत नहीं, बचाव के लिए हमले का ही जिक्र है. जहां तक वसीम रिजवी के मकसद की बात है तो कई लोगों को कहना है कि वे मुस्लिमों को 'हेट सिंबल' बनाने कीकोशिश कर रहे हैं, ताकि समाज के धु्वीकरण को बढ़ाया जा सके और इससे जिन लोगों के साथ वे जुड़े हैं, उन्हें लाभ पहुंचाया जा सके.