अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर विश्व हिंदू परिषद ने लिया ये बड़ा फैसला
विश्व हिंदू परिषद का कहना है कि वह नहीं चाहता है कि राम मंदिर मामला चुनावी मुद्दा बने। वीएचपी ने राम मंदिर निर्माण अभियान को चार महीने तक के लिए रोक दिया है।
नई दिल्ली : आम चुनाव से पहले अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा जोरों पर है, लेकिन इन सबके बीच अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर कई सालों से आंदोलन चला रहे विश्व हिंदू परिषद ने इसको लेकर बड़ा ऐलान किया है। विश्व हिंदू परिषद ने साफ किया है कि अब लोकसभा चुनाव तक वो राम मंदिर का मुद्दा नहीं उठाएगा। विश्व हिंदू परिषद का कहना है कि वह नहीं चाहता है कि राम मंदिर मामला चुनावी मुद्दा बने। वीएचपी ने राम मंदिर निर्माण अभियान को चार महीने तक के लिए रोक दिया है।
विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन ने साफ किया है कि अयोध्या राम मंदिर निर्माण के लिए चल रहे अभियान को लोकसभा चुनाव तक नहीं चलाया जाएगा। हम नहीं चाहते हैं कि यह कोई चुनावी मुद्दा बने, क्योंकि राम मंदिर लिए आस्था और पवित्रता से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि हमारे ऊपर अक्सर आरोप लगते हैं किसी विशेष दल को राजनीतिक फायदा के लिए राम मंदिर निर्माण का अभियान चला रहे हैं। ऐसे में हम इसें किसी राजनीतिक दल-दल में इस मुद्दे को नहीं फंसाना चाहते हैं। ये एक पवित्र मुद्दा है इसे हम राजनीति से परे रखना चाहते हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान जब भी कोई आंदोलन होता है, उसे राजनीति से जोड़ा जाता है। इसीलिए हमने फैसला किया है कि इसे हम चार महीने तक कोई आंदोलन नहीं चलाएंगे।
आपको बात दें कि इससे पहले प्रयागराज में चल रहे कुंभ में पिछले महीने ज्योतिष पीठाधीश्वर स्वरूपानंद सरस्वती की अगुवाई में 3 दिन तक चली धर्म संसद में कहा गया कि साधू संत प्रयागराज से सीधे अयोध्या जाएंगे और 21 फरवरी को अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास का कार्यक्रम होगा। शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा, 'हम अयोध्या में 21 फरवरी 2019 को राम मंदिर की नींव रखेंगे। हम कोर्ट के किसी भी आदेश का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं। जब तक सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के आदेश को खारिज नहीं कर देता, तब तक यह लागू है। वहां राम लला विराजमान हैं, वह जन्मभूमि है।'
आपको बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद से जुड़ा केस अदालत में 1950 में चल रहा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 30 सितंबर, 2010 में फैसला दिया था। हाई कोर्ट ने विवादित भूमि को तीन हिस्सों में बांटने का फैसला सुनाया था। कोर्ट ने तीनों पक्षों रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड में 2.77 एकड़ जमीन को बराबर बांटने का आदेश दिया था। इसके बाद दोनों पक्षकारों ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, तब से ये मामला देश की सबसे बड़ी अदालत में है। सुप्रीम कोर्ट मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व में पांच जजों की बेंच इस पर सुनवाई कर रही है। हालांकि, अगली सुनवाई की तारीख तय नहीं हो सकी है।