अमित शाह का विधि आयोग को खत: एक साथ कराएं लोकसभा और विधानसभा चुनाव

भाजपा ने देश में लोकसभा व विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने की जोरदार वकालत की है .

Update: 2018-08-14 11:09 GMT

नई दिल्ली

भाजपा ने देश में लोकसभा व विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने की जोरदार वकालत करते हुए कहा है कि इससे देश में चुनावों पर होने वाले बेतहाशा खर्च पर लगाम कसने और संघीय ढांचे को मजबूत करने में मदद मिलेगी। विधि आयोग को अपने सुझावों के साथ लिखे पत्र में शाह ने कहा कि एक साथ चुनाव कराना केवल परिकल्पना नहीं है, बल्कि एक सिद्धांत हैं जिसे लागू किया जा सकता है।भाजपा के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को विधि आयोग में जाकर देश में एक साथ चुनाव कराए जाने को लेकर अपना पक्ष रखा। भाजपा प्रतिनिधिमंडल में केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बस नकवी, उपाध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे, महासचिव भूपेंद्र यादव व सांसद अनिल बलूनी शामिल थे। इन्होंने इस बारे में पार्टी का प्रस्तुतीकरण देने के साथ पार्टी अध्यक्ष अमित शाह का पत्र भी सौंपा। शाह ने अपने पत्र में कहा कि यह आधारहीन दलील है कि एक साथ चुनाव देश के संघीय स्वरूप के खिलाफ है।

आयोग को लिखे  आठ पृष्ठों के पत्र में शाह ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने का विरोध करना राजनीति से प्रेरित लगता है। शाह ने अपने पत्र में कहा है कि 1952 से 1967 तक देश में एक साथ चुनाव होते रहे थे। 1970 के बाद चुनाव का चक्र बिगड़ा। इसके बाद निर्वाचन आयोग ने 1983 व विधि आयोग ने 1999 में और संसदीय समिति ने 2015 में एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी व मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी अपने संबोधनों में इस विचार को रख चुके हैं। शाह ने कहा है कि इससे चुनाव पर सरकारी खर्च में कमी आएगी और आचार सहिंता से विकास कार्य रुक जाने से प्रगति में होने वाली बाधा को भी दूर किया जा सकेगा। शाह ने उदाहरण देते हुए कहा कि बीते समय में महाराष्ट्र में संसदीय विधानसभा, स्थानीय निकाय के लगातार चुनाव होने से राज्य में 365 दिनों में से 307 दिन आचार सहिंता लागू रही। उन्होंने कहा कि यह सही नहीं है कि एक साथ चुनाव कराने से एक ही पार्टी जीतती है। 1980 में कर्नाटक में जनता ने लोकसभा में कांग्रेस व विधानसभा में जद (एस) को चुना था।

कांग्रेस कर चुकी है विरोध

आयोग के सामने कांग्रेस समेत कई दल एक साथ चुनाव कराने का विरोध कर चुके हैं। विधि आयोग के सामने गोवा फारवर्ड पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, द्रमुक, तेलुगुदेशम, माकपा, भाकपा, फारवर्ड ब्लॉक व जद एस ने भी एक साथ चुनाव कराने का विरोध किया है। हालांकि चार दलों शिरोमणि अकाली दल, अन्नाद्रमुक, सपा व टीआरएस ने एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया है।


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