कर्नाटक में सरकार गठन मायावती नाराज, उधर असम में शिक्षकों को मन चाही ड्रेस पहनने पर सरकारी फरमान!
रमेश शर्मा
राजनीति में अगर उठापटक और बयान बाजी, टीका टिप्पणी, आरोप-प्रत्यारोप और गुट बंदी नहीं हो तो वह कैसी राजनीति।। कोई दिन ऐसा नहीं निकलता जब ऐसी राजनीति से जुड़ी खबरें चर्चा में न हो। राजस्थान की बात तो छोड़ दो राजस्थान तो पिछले कुछ समय से 365 दिन ही राजनीति चर्चाओं में अग्रणी रहने लगा है।
बात करते हैं कर्नाटक की, कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी के विधान सभा चुनाव में प्रचंड जीत के बावजूद भी आलाकमान को मुख्यमंत्री के चयन को लेकर पसीना आ गया लेकिन जैसे तैसे दो प्रमुख नेताओं को संतुष्ट कर एक को मुख्यमंत्री और एक को डिप्टी बनाकर एक बार तो मामला शांत कर दिया। इसके बाद उत्तर प्रदेश के दो दिग्गज नेताओं ने भी ट्विटर के माध्यम से अपनी वैचारिक टिप्पणी ट्वीट के माध्यम से की है।
जिसमें सपा नेता अखिलेश यादव ने नये मुख्यमंत्री के रूप में सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री के रूप में डीके शिवकुमार को शपथ लेने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं.'' दी है। इसी ट़वीट में उन्होंने कहा है, ''आशा है नया नेतृत्व नये कर्नाटक का निर्माण करेगा। हो सकता है उनका इशारा विपक्षी गठबंधन को लेकर भी हो।
दूसरी तरफ बसपा नेता मायावती ने ट्वीट किया, ‘‘ कर्नाटक मंत्रिमण्डल में डी. के. शिवकुमार को उपमुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस ने अपनी अन्दरुनी कलह को थोड़ा दबाने का प्रयास किया है, किन्तु दलित और मुस्लिम समाज की उपेक्षा क्यों, जबकि इन दोनों वर्गों ने एकजुट होकर कांग्रेस को वोट देकर विजयी बनाया।
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस द्वारा कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद के लिए दलित समाज की उठी दावेदारी की पूरी तरह से अनदेखी करने के बाद अब किसी भी दलित और मुस्लिम को उपमुख्यमंत्री नहीं बनाना, यह इनकी जातिवादी मानसिकता को दर्शाता है अर्थात इन्हें ये वर्ग केवल अपने खराब दिनों में ही याद आते हैं. ये लोग सतर्क रहें.’’ । खेर उत्तर प्रदेश के चुनाव में तो बसपा फिलहाल कोई रुचि नहीं दिखा रही है लेकिन लोकसभा चुनाव को लेकर वह सक्रिय है जिसको लेकर कांग्रेस के वोट साधने को लेकर शायद हो सकता है बहन जी ने टिप्पणी की हो!
असम सरकार का फरमान
अब बात करते हैं असम सरकार की जहां शिक्षकों को विद्यालय में किस तरह के कपड़े पहनकर आना होगा इससे का आदेश असम शिक्षा विभाग के सचिव नारायण कोंवर ने जारी किया है जिस में "पुरुष शिक्षकों के लिए अब औपचारिक शर्ट और पैंट पहनना अनिवार्य होगा, जबकि महिला शिक्षकों को सलवार-सूट, साड़ी और मेखला-चादोर (पारंपरिक असमिया पोशाक) पहनने के लिए कहा गया है."
वर्जित कपड़ों में पुरुषों और महिला शिक्षकों के लिए टी-शर्ट और जींस के साथ महिला शिक्षकों के लिए लेगिंग शामिल हैं।। आदेश के अनुसार शिक्षकों को "साफ, विनम्र और सभ्य " दिखने वाले शांत रंगों के कपड़े ही धारण करने और ऐसे कपड़े नहीं पहनने को भी कहा है जो चमकदार दिखे।
कुल मिलाकर तीनों ही तरह की टिप्पणियां अपना-अपना महत्व रखती है भले ही असम सरकार का आदेश सीधा-सीधा राजनीति से जुड़ा ना हो लेकिन कहीं ना कहीं तो इसे राजनीति संबंध से जोड़कर देखा जा रहा है।