कांग्रेस पार्टी के नये अध्यक्ष की कमान संभालते ही सोनिया गांधी का पहला बड़ा फैसला
सोनिया गांधी को आने वाले दिनों में कांग्रेस पार्टी के लिए कई अहम फैसले करने हैं, पार्टी में गुटबाजी को खत्म करना और सहयोगी दलों के साथ तालमेल बिठाना ।
नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी के नये अध्यक्ष का फैसला भले ही लंबे समय के बाद हुआ हो लेकिन ये फैसला सही साबित होने वाल है। और सोनिया गांधी के कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष बनने के बाद कुछ शुरुआती फैसले होने वाले हैं। सबसे पहले नजर उन राज्यों पर है, जहां विधानसभा के चुनाव होने हैं। 10 अगस्त को देर रात अंतरिम अध्यक्ष चुने जाने के बाद रविवार और ईद-उल-अजहा की छुट्टी के बाद सोनिया गांधी मंगलवार से सक्रिय हो जाएंगी। दिल्ली, झारखंड, हरियाणा, महाराष्ट्र वे अहम राज्य हैं, जहां आने वाले दिनों में विधानसभा के चुनाव होने हैं।
अंतरिम अध्यक्ष पद संभालने वाली सोनिया के सामने बड़ी चुनौतियां हैं. लगातार दो बार पार्टी 50 सांसदों के इर्द गिर्द सिमटी रही और मोदी के मुकाबले टिक नहीं पाई, लेकिन सबसे पहले सोनिया को तुरंत सामने दिख रही चुनौतियों पर फैसला लेना है। वैसे अंतरिम अध्यक्ष बनते ही सोनिया ने अपने तेवर जता दिए हैं. कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में जब नेताओं ने बैठक के बीच खबरें बाहर लीक होने की बातें कहीं तो आनन-फानन में सोनिया ने बैठकों में मोबाइल लाने पर पाबंदी लगाने का पहला फैसला किया।
सोनिया के पास जिम्मेदारी आने के बाद यूपी को लेकर पार्टी की सक्रियता पर सवाल उठेंगे। यूपी वे अकेली सांसद हैं और महासचिव बेटी प्रियंका पूर्वी यूपी की प्रभारी हैं। अध्यक्ष रहते हुए राहुल गांधी का छोटे-छोटे राज्यों में भी अध्यक्ष के साथ कुछ कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का फार्मूला लागू हो गया है लेकिन सबसे बड़े राज्यों में अध्यक्ष को लेकर भी अभी तक फैसला नहीं हो सका है।
सोनिया गांधी को आने वाले दिनों में कांग्रेस पार्टी के लिए कई अहम फैसले करने हैं, पार्टी में गुटबाजी को खत्म करना और सहयोगी दलों के साथ तालमेल बिठाना सोनिया गांधी के लिए मुश्किल चुनौती साबित हो सकता है। तो हरियाणा में प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का विवाद किसी से छिपा नहीं है. हुड्डा खुलेआम तंवर को बदलने की मांग कर चुके हैं. साथ ही अपनी ताकत दिखाने के लिए 18 अगस्त को रैली बुला चुके हैं।
सूत्रों का मानना है कि प्रभारी गुलाम नबी आजाद लगातार हुड्डा के संपर्क में हैं, क्योंकि कुछ लोग उनके नई पार्टी बनाने की अटकलें भी लगा रहे हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र में एनसीपी से तालमेल और सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप देना भी चुनौती है।