असम : सोनोवाल ने मुख्यमंत्री पद से दिया इस्तीफा, हिमंत बिस्वा हो सकते हैं नए CM

असम विधानसभा चुनाव के नतीजों के एक हफ्ते बाद भी मुख्यमंत्री के नाम पर सस्पेंस बरकरार है।

Update: 2021-05-09 07:10 GMT

असम विधानसभा चुनाव के नतीजों के एक हफ्ते बाद भी मुख्यमंत्री के नाम पर सस्पेंस बरकरार है। इस बीच मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने राज्यपाल जगदीश मुखी को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। सूत्रों के मुताबिक सोनोवाल सरकार में कैबिनेट मंत्री और राज्य के बड़े नेता हिमंत बिस्वा सरमा को इस बार मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। गुवाहाटी में आज दोपहर भाजपा विधायक दल की बैठक होगी, जिसमें राज्य के अगले मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लगाई जाएगी। इस दौरान केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पार्टी महासचिव अरुण सिंह केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर मौजूद रहेंगे। भाजपा के असम प्रभारी बैजयंत पांडा भी मीटिंग में शामिल होंगे।

शनिवार को दिल्ली में हुआ फैसला

इससे पहले शनिवार को दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा के आवास पर हाईप्रोफाइल मीटिंग हुई। इसमें सर्बानंद सोनोवाल और हिमंत बिस्वा सरमा मौजूद थे। मीटिंग में गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के जनरल सेक्रेटरी (संगठन) बीएल संतोष की मौजूदगी में नए मुख्यमंत्री के नाम पर चर्चा हुई।

असम में भाजपा+ ने जीती 75 सीटें

असम में तीन चरणों में हुए चुनाव में भाजपा गठबंधन को 75 सीटें मिली हैं। यह आंकड़ा बहुमत से अधिक है। भाजपा की इस जीत ने असम में इतिहास रच दिया है, क्योंकि इससे पहले यहां 70 साल में कभी किसी गैर-कांग्रेसी पार्टी ने लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी नहीं की।

हिमंत ने एक लाख वोट से जीता चुनाव

सोनोवाल ने कांग्रेस नेता राजिब लोचन पेगू को 43,192 वोट से हराकर माजुली में लगातार दूसरी बार जीत हासिल की। वहीं हिमंत बिस्वा ने कांग्रेस के रोमेन चंद्र बोरठाकुर को 1.01 लाख मतों के अंतर से हराकर जालुकबारी सीट पर कब्जा बरकरार रखा। सोनोवाल और सरमा के अलावा भाजपा के 13 अन्य मंत्री भी आसानी से अपनी सीट बरकरार रखने में कामयाब रहे।

NRC-CAA से भाजपा को नुकसान नहीं

इन नतीजों ने यह बता दिया है कि NRC यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स और CAA यानी सिटिजन अमेंडमेंटशिप एक्ट का मुद्दा भाजपा को नुकसान नहीं पहुंचा पाया। यह दावा इसलिए भी पुख्ता हो जाता है, क्योंकि पिछली बार 12 सीटें जीतकर भाजपा को सत्ता दिलाने में मदद करने वाला बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट इस बार कांग्रेस और लेफ्ट के साथ था। इसके बावजूद भाजपा को नुकसान नहीं हुआ।

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