हेमंत बिस्वा सरमा बने असम के नए मुख्यमंत्री, राज्यपाल जगदीश मुखी ने दिलाई शपथ
बिस्वा पूरे नॉर्थ-ईस्ट में काफी प्रभावी माने जाते हैं।
असम में हिमंत बिस्वा सरमा ने सोमवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ नए मंत्रीमंडल ने भी श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में शपथ ग्रहण की। इससे पहले रविवार को सर्वसम्मति से भाजपा और NDA विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (NEDA) के संयोजक हिमंत का असम का 15वां मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया था।
असम में तीन चरणों में हुए चुनाव में भाजपा गठबंधन को 75 सीटें मिली हैं। यह आंकड़ा बहुमत से अधिक है। भाजपा की इस जीत ने असम में इतिहास रच दिया है, क्योंकि इससे पहले यहां 70 साल में कभी किसी गैर-कांग्रेसी पार्टी ने लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी नहीं की।
सरमा ने एक लाख वोट से जीता चुनाव
सोनोवाल ने कांग्रेस नेता राजिब लोचन पेगू को 43,192 वोट से हराकर माजुली में लगातार दूसरी बार जीत हासिल की। वहीं हिमंत बिस्वा सरमा ने कांग्रेस के रोमेन चंद्र बोरठाकुर को 1.01 लाख मतों के अंतर से हराकर जालुकबारी सीट पर कब्जा बरकरार रखा। सोनोवाल और सरमा के अलावा भाजपा के 13 अन्य मंत्री भी आसानी से अपनी सीट बरकरार रखने में कामयाब रहे।
बिस्वा पूरे नॉर्थ-ईस्ट में काफी प्रभावी माने जाते हैं। सोनोवाल सरकार में उन्होंने फाइनेंस, प्लानिंग एंड डेवलपमेंट, हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर, एजुकेशन और PWD जैसे अहम विभागों का जिम्मा संभाला था। केंद्रीय नेतृत्व के शीर्ष नेताओं से भी उनके अच्छे संबंध हैं। ऐसे में मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि बीजेपी पर बिस्वा को असम की कमान सौंपने का दबाव था।
बिस्वा 2015 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। माना जाता है कि उस वक्त बिस्वा के पॉलिटिकल मैनेजमेंट स्किल्स से अमित शाह काफी प्रभावित हुए थे। नॉर्थ-ईस्ट में बीजेपी के विस्तार में भी बिस्वा की अहम भूमिका मानी जाती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमित शाह ने भी इस बात को माना था।