प्याज के दाम कहीं कर न दे मोदी सरकार को परेशान, महंगी प्याज ने बीजेपी की बढ़ा दी थी मुश्किलें

टमाटर की कीमतों में 700 फीसदी तक के उछाल के बाद नए फसल के आवक शुरू होने के बाद से रिटेल मार्केट में टमाटर की कीमतें घटने लगी हैं। लेकिन अब प्याज के दाम में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। पढ़िए पूरी खबर...

Update: 2023-08-23 06:14 GMT

प्याज की कीमतें में हो रही बढ़ोत्तरी। 

Onion Price: टमाटर की कीमतों में 700 फीसदी तक बढ़ने के बाद अब टमाटर के नए फसल के आने के बाद एक बार फिर से रिटेल मार्केट में टमाटर की कीमतें घटने लगी हैं। लेकिन इससे गरीब को राहत नहीं मिलने वाली है। दरअसल टमाटर के बाद अब प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी, मोदी सरकार के साथ सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी की सिरदर्दी बढ़ा सकती है। इस साल कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव है और अगले साल यानी की 2024 में लोकसभा चुनाव है। ऐसे में सब्जी के दामों में बढ़ोत्तरी सरकार के सामने मुश्किल खड़ी कर सकती है। जुलाई महीने में खाद्य महंगाई दर वैसे ही डबल डिजिट में जा पहुंची थी। ऐसे में प्याज की कीमतें बढ़ी तो महंगाई दर में और भी उछाल देखने को मिल सकता है।आप को बता दें कि 1998 में प्याज की कीमतों में बढ़ोत्तरी के कारण बीजेपी सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ा

इसी साल होने हैं कई राज्यों में विधानसभा चुनाव

इस साल देश के कई बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं जिसमें राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना शामिल है। टमाटर की कीमतों में उछाल से सबक लेते हुए अभी से केंद्र सरकार प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर एक्शन में आ गई है। सरकार ने प्याज के एक्सपोर्ट पर नकेल कसने के लिए 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगा दिया है। तो 25 रुपये किलो में रिटेल मार्केट में प्याज बेचा जा रहा है। प्याज की कीमतों में उछाल सत्ताधारी दलों के आंखों से आंसू निकाल सकती है। वैसे ही महंगे प्याज के चलते पूर्व में सत्ताधारी दल सत्ता पाने से दूर रह गई थी। इसलिए सरकार अभी से बेहद सावधान है।

टमाटर की कीमतों को लेकर हुई थी सरकार की आलोचना

टमाटर की कीमतों में उछाल के बाद सरकार की भारी आलोचना का सामना करना पड़ा था। केंद्र सरकार ने कई राज्यों जहां टमाटर की खपत ज्यादा होती है वहां नेफेड और एनसीसीएफ के जरिए सस्ती कीमत पर टमाटर बेचा है। पर अब प्याज की बारी है।

अगस्त महीने के पहले हफ्ते में क्रिसिल मार्केट इंटेलीजेंस एंड एनालिटिक्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि सप्लाई-डिमांड में खाई होने के चलते अगस्त के आखिर में प्याज की कीमतों में उछाल देखने को मिल सकता है। रिपोर्ट में कहा गया था कि प्याज की कीमतों बढ़कर सितंबर महीने में 60 से 70 रुपये प्रति किलो तक जा सकती है। इस साल फरवरी-मार्च में पैनिक सेलिंग के चलते ओपन मार्केट में प्याज की स्टॉक में अगस्त सितंबर में कमी देखने को मिलेगी। इस दौरान डिमांड और सप्लाई में मिसमैच देखने को मिल सकता है। महाराष्ट्र में 40 फीसदी प्याज का उत्पादन होता है। वहां मानसून में बारिश कम हुई है ऐसे में प्याज की फसल प्रभावित हो सकती है. इससे भी सरकार की चिंता बढ़ी हुई है।

कहीं बीजेपी को महंगा न पड़ जाए प्याज का महंगा दाम

ऐसे में प्याज को लेकर सरकार की ओर से लिया गया फैसला ये इशारा कर रहा कि महंगाई को लेकर सरकार कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती है। खाद्य महंगाई में उछाल से केंद्र में बीजेपी और मोदी सरकार को चुनाव में नुकसान हो सकता है। आरबीआई ने पिछले हफ्ते जो बुलेटिन जारी किया था उसमें कहा गया कि सप्लाई में जो दिक्कतें पैदा हुई हैं वो फिलहाल खत्म होने वाली नहीं है। महंगाई दर मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 6 फीसदी के ऊपर बनी रह सकती है। तो वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग ने भी कहा है कि आने वाले महीनों में महंगाई का दबाव बना रह सकता है। उसने केंद्र सरकार और आरबीआई को इसे लेकर बेहद सतर्क रहने की नसीहत दी है।

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