देवउठनी एकादशी आज! काशी में स्नान- दान के लिए गंगा घाटों पर उमड़े श्रद्धालु...

देवउठनी एकादशी आज! काशी में स्नान- दान के लिए गंगा घाटों पर उमड़े श्रद्धालु...

Update: 2022-11-04 03:28 GMT

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी मनाया जाता है। इसे देवोत्थान एकादशी, हरि प्रबोधनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस साल देवउठनी एकादशी आज 4 नवंबर 2022 को है। इस दिन भगवान विष्णु 4 महीने की योग निद्रा से जागते हैं। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है। और उन्हें शंख, घंटी आदि बजाकर जगाया जाता है। देवउठनी एकादशी के अगले दिन तुलसी विवाह किया जाता है और इसके बाद से ही सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं।

सांस्कृतिक नगरी काशी में आज देवउठनी एकादशी के अवसर पर सुबह से ही गंगा के तट पर श्रद्धालुओं का रेला उमड़ रहा है। श्रद्धालु गंगा स्नान दान-पुण्य आदि बड़े ही श्रद्धा भाव से कर रहे हैं। काशी के घाटों पर स्नान के साथ ही विधि-विधान से पूजन अर्चन हो रहे हैं। अस्सी घाट, सामने घाट, रामनगर बलुआ घाट, दशाश्वमेध व शीतला घाट के अलावा मणिकर्णिका से लगायत राजघाट तक श्रद्धालु गंगा स्नान कर है। सुबह गंगा में स्नान के बाद कथा श्रव रहेण करने के बाद श्रद्धालु ब्राह्मणों व भिक्षुकों को दान भी दे रहे हैं।

एकादशी के दिन तुलसी का काफी खास महत्व होता है. माना जाता है कि तुलसी भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है और तुलसी के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है।

इस दिन भगवान शालीग्राम और माता तुलसी का विवाह कराया जाता है। इस साल पंचांग में भेद होने के कारण देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह 4 और 5 नवंबर दोनों दिन मनाई जा सकेगी। तुलसी के पत्ते न तोड़े क्योंकि देवउठनी एकादशी के दिन प्रभु शालीग्राम और माता तुलसी का विवाह कराया जाता है। तुलसी को हिंदू धर्म में बेहद पवित्र माना गया है। देश में तुलसी का पौधा हर घर में पाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि तुलसी में माता लक्ष्मी का वास होता है। जिस घर में भी तुलसी का पौधा लगा होता है उस घर पर माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है।

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