काशी विश्वनाथ धाम का दूसरा वर्षगांठ! दो वर्षों में पहुंचे 12 करोड़ से अधिक श्रद्धालु...

काशी विश्वनाथ धाम का दूसरा वर्षगांठ! दो वर्षों में पहुंचे 12 करोड़ से अधिक श्रद्धालु...

Update: 2023-12-12 15:28 GMT

शिव की नगरी काशी में विश्व प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के दूसरे वर्षगांठ के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम काशी में आयोजित किया जा रहे हैं। जहां एक तरफ भव्य शिव बारात में चंद्रयान से लेकर राम मंदिर की झलक दिखेगी। तो वहीं काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में रुद्राभिषेक व हवन पूजन के साथ-साथ वेद परायण का भी पाठ होगा।


कैसे मनाई जाएगी दूसरी वर्षगांठ...

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की दूसरी वर्षगांठ बनाने की भव्य व्यवस्था की गई है। मंदिर के जनसंपर्क अधिकारी पीयूष तिवारी ने बताया कि 13 दिसंबर को प्रातः काल भोर से ही मंदिर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किया जा रहे हैं। मंदिर चौक में सुबह 7:00 बजे से 10:00 तक वेद पारायण का पाठ होगा, इसके बाद 10 बजे से 10.15 तक डमरू दल द्वारा डमरू वादन, फ़िर 10:30 बजे से 11:00 तक महा रुद्राभिषेक, 11 से 11:30 बजे तक हवन पूजन होगा। हवन पूजन के प्रसाद श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरण किया जाएगा। इसके साथ ही साथ इस शुभ अवसर पर बाबा का विशेष श्रृंगार के साथ विशेष आरती भी की जाएगी। इस अवसर पर मंदिर परिसर को भव्य सजाया गया है।



काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास...


वाराणसी जिसका प्राचीन नाम काशी है एक अत्यंत ही प्राचीन नगरी है। जिसका जिक्र हमें महाजनपद काल से लेकर वर्तमान समय तक में मिलता है। काशी के बारे में एक प्राचीन मान्यता यह भी है कि यह भगवान शंकर द्वारा बसाया गया शहर है। और इसी काशी में वास करते हैं काशी के मालिक देवाधिदेव काशी विश्वनाथ। काशी विश्वनाथ मंदिर धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अत्यंत ही पुराना है। काशी विश्वनाथ मंदिर का जिक्र स्कंद पुराण में भी मिलता है। इसके लिखित इतिहास पर भी इतिहासकारों में कई मत है। अगर इतिहास में उपलब्ध साक्ष्य और सर्वमान्य की दृष्टि से देखा जाए तो सन् 1735 में इंदौर की महारानी देवी अहिल्याबाई ने इस मंदिर का निर्माण कराया जहां पर आज काशी विश्वनाथ मंदिर स्थित है। इस मंदिर पर तीन स्वर्ण जड़ित गुंबद भी हैं। जिसे महाराजा रणजीत सिंह ने सन् 1839 में 22 मन सोने से जड़वाया था। इस विश्व प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर में आदि गुरु शंकराचार्य, संत एकनाथ, आचार्य रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, महर्षि दयानंद एवं गोस्वामी तुलसीदास सहित अन्य विख्यात संतों ने यहां दर्शन पूजन किया है। काशी विश्वनाथ मंदिर का जो प्रमुख शिवलिंग है जिसे आदि विशेश्वर भी कहते हैं वह 60 सेंटीमीटर लंबा और 90 सेंटीमीटर के गोल परिधि में है। मंदिर के अंदर ही भगवान गणेश, शिव पार्वती, माता अन्नपूर्णा, विष्णु- लक्ष्मी सहित आदि देवी देवताओं के मंदिर हैं।


क्या है काशी विश्वनाथ कॉरिडोर

वाराणसी से सांसद व देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी विश्वनाथ मंदिर जो की बहुत छोटे में था और कई बार भक्तों को सहूलियत भी नहीं होती थी। इसी को ध्यान में रखते हुए एक भव्य कॉरिडोर बनाने की परिकल्पना की। इस परिकल्पना को धरातल पर उतारने का काम यूपी की योगी सरकार ने बखूबी किया। वर्तमान काशी विश्वनाथ कॉरिडोर साढ़े पांच लाख स्क्वायर फीट से ज्यादा जगह में बसाया गया है। इस परियोजना की कुल लागत 1000 करोड रुपए आई है। जिसमें 400 करोड रुपए घर पुनर्वास और मंदिर के आसपास घर खरीदने में लगा है। वही 400 करोड रुपए से अधिक का खर्च मंदिर निर्माण में लगा है। इसके अलावा 200 करोड रुपए सुरक्षा व मंदिर के देखरेख के काम करने वाले संस्थानों सहित आदि चीजों में लगा। इस परियोजना के निर्माण के दौरान काशी खण्ड लोक के 27 मंदिर एवं अन्य 127 मंदिर जो की खुदाई से प्राप्त हुए उनको संरक्षित किया गया और भव्य मंदिर निर्माण किया गया। 8 मार्च 2019 को देश के वर्तमान प्रधानमंत्री व वाराणसी से सांसद नरेंद्र मोदी ने इसका शिलान्यास किया था। मात्र 33 महीनों में भव्य कॉरिडोर बनकर तैयार हुआ और 13 दिसंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भव्य काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को राष्ट्र को समर्पित किया। इस कॉरिडोर के बनने से भक्तों को बहुत सहूलियत हुई पहले भक्तों को काशी के तंग गलियों से होकर गुजरना पड़ता था। लेकिन वर्तमान में काशी विश्वनाथ मंदिर सीधा गंगा से जुड़ गया है। श्रद्धालु अब गंगा द्वार के साथ-साथ जलासेन घाट, मणिकर्णिका और ललिता घाट घाट में गंगा स्नान करके सीधा बाबा विश्वनाथ का दर्शन प्राप्त करते हैं। वर्तमान में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर हर सुख सुविधाओं से लैस है। इस भव्य मंदिर कॉरिडोर में यात्रियों के रहने के लिए आवास, उनके खाने-पीने के लिए रेस्टोरेंट, एस्केलेटर की सुविधा, लिफ्ट की सुविधा के साथ-साथ बुजुर्गों और मरीजों के लिए मुमुक्षु भवन जो कि मोक्ष केंद्र भी माना जाता है वह भी है। इसके अलावा मंदिर परिसर में ही माला फूल व प्रसाद की दुकान, मुफ्त में जूता चप्पल स्टैंड के साथ-साथ मोबाइल बैग रखने की भी सुविधा है। मंदिर में प्रवेश के लिए कुल चार गेट हैं। इसके अलावा काशी विश्वनाथ मंदिर का अपना अन्न क्षेत्र है। जिसमें प्रतिदिन श्रद्धालु दोपहर के समय भोजन प्रसाद ग्रहण करते हैं। इसके अलावा मंदिर परिसर में सनातन तरीके से परंपरागत विवाह और अन्य मांगलिक कार्यक्रम करने की भी सुविधा उपलब्ध हैं।


काशी में क्या बदला कॉरिडोर बनने के बाद...

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनने के बाद काशी में बड़े तेजी से बदलाव हुआ। जहां एक तरफ काशी के टूरिज्म इंडस्ट्री के साथ-साथ काशी के लोकल इंडस्ट्री को अच्छा खासा मुनाफा हुआ। इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि पिछले दो वर्षों में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में 12 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन पूजन किया है। इसमें देश की कई जानी-मानी हस्तियों से लेकर कई प्रमुख साधु संत भी शामिल हैं। इसके अलावा काशी आने वाले यात्री काशी विश्वनाथ मंदिर के साथ-साथ विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती, बाबा काल भैरव मंदिर, संकट मोचन मंदिर, दुर्गाकुंड मंदिर व सारनाथ भी जाते हैं। इससे वाराणसी का चौतरफा विकास हो रहा है।

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