Gyanvapi Survey: मुस्लिम पक्ष के वकील बोले- 'ज्ञानवापी के वजूखाने से आज जो मिला है वह शिवलिंग नहीं ,फब्बारा है'
ज्ञानवापी मस्जिद के भीतर शिवलिंग मिलने का दावा किया गया है।
उत्तर प्रदेश के वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद मामले (Gyanvapi Masjid Case) में सोमवार को एक नया मोड़ आया है। मस्जिद के भीतर शिवलिंग (Shivling In Gyanvapi) मिलने का दावा किया गया है।
वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में तीन दिन तक सर्वे चला। हिंदू पक्ष के वकील ने दावा किया है कि मस्जिद के अंदर एक तालाब में शिवलिंग मिला है। यूपी की एक अदालत ने उस तालाब को सील करने का आदेश दे दिया है। अब अंजुमन इंतेजामियया मस्जिद कमिटी के वकील ने कहा है कि 'शिवलिंग' पाए जाने का दावा करने वाले पक्षकार केवल गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि वजूखाना में कोई शिवलिंग नहीं पाया गया है।
वकील रईस अहमद अंसारी ने कहा, 'ज्ञानवापी मसंजिद के वजूखाना में केवल एक फव्वारा है। जिस संरचना को शिवलिंग बताया जा रहा है वह फव्वारा है। ये सभी दावे झूठे हैं।' जानकारी के मुताबिक मस्जिद के ऊपरी हिस्से में नमाज पढ़ी जाती है। वहीं वजू करने की जगह है। इसी तालाब में शिवलिंग मिलने की बात कही गई है। कोर्ट ने इस इलाके को सील करने का और कड़ा पहरा लगाने का आदेश दिया है। इसके अलावा यहां किसी के भी आने जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
रईस ने कहा, 'कोर्ट ने जल्दबाजी में आदेश दे दिया। हम इस आदेश से संतुष्ट नहीं हैं और इसे चुनौती देंगे।' इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मसस्जिद कमिटी ने आपील की है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच मंगलवार को इस याचिका की सुनवाई करेगी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कोर्ट द्वारा नियुक्त कमिश्नर को ज्ञानवापी में सर्वे करने का आदेश दिया था।
कोर्ट ने क्या दिया आदेश
कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा, हरिशंकर जैन की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र 78-ग को स्वीकार किया जाता है। इसके साथ ही वाराणसी के जिला मैजिस्ट्रेट को आदेश दिया जाता है कि जिस स्थान पर शिवलिंग प्राप्त हुआ है, उस स्थान को तत्काल प्रभाव से सील कर दे। सील किए गए स्थान पर किसी भी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित किया जाता है। इसके अलावा वाराणसी के जिलाधिकारी, पुलिस कमिश्नर, पुलिस कमिश्नरेट और सीआरपीएफ कमांडेंट की उस स्थान को संरक्षित और सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी पूर्णतः व्यक्तिगत रूप से मानी जाएगी।
कोर्ट ने कहा, 'सील किए गए स्थान को लेकर प्रशासन की ओर से क्या-क्या किया गया है, इसके सुपरविजन की जिम्मेदारी यूपी के पुलिस महानिदेशक और यूपी शासन के मुख्य सचिव की होगी।' कोर्ट ने अंत में कहा कि वाद लिपिक को आदेश दिया जाता है कि वह बिना देर किए इस आदेश की प्रति को संबंधित अधिकारियों को नियमानुसार भेजे। साथ ही पत्रावली पहले से निर्धारित तिथि 17 मई 2022 को कमीशन रिपोर्ट पर सुनवाई के लिए पेश किया जाए।
अयोध्या के संतों ने दी ये प्रतिक्रिया
मिले साक्ष्यों को लेकर के अयोध्या के संतों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि जिस जगह पर साक्ष्य जुटाए गए हैं वह सारे साक्ष्य मंदिर से संबंधित हैं. ऐसे में मुस्लिम समाज के लोगों को स्वतः ही हट जाना चाहिए. मिले हुए साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट को भी तत्काल हिंदू धर्म के पक्ष में फैसला देना चाहिए. जगतगुरु राम दिनेश आचार्य ने भी मुस्लिम समाज से अपील की है कि पढ़े-लिखे मुस्लिम समाज के लोग इस बात को मानें कि मुगल आक्रांताओं ने हिंदू धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचा कर वहां पर मस्जिद बनाई गई, क्योंकि यह शाश्वत सत्य है. तमाम प्रमाण भी मिल रहे हैं. ऐसे में मुस्लिम समाज के लोगों को यह मान लेना चाहिए कि धार्मिक स्थल हिंदुओं का है.
रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि जिस रूप से मस्जिद बनाई गई है, वह मंदिर तोड़कर बनाई गई है, जिसका साक्ष्य बाहर ही दिखाई देता है. आधा भाग मंदिर का टूटा हुआ आज भी है. आप देखते होंगे मीडिया में बराबर आता रहता है इसके लिए कोर्ट ने चाहा की साक्ष्य चाहिए और साक्ष्य के लिए जो सर्वे हुआ है वह सर्वे से स्पष्ट हो गया है कि यह मंदिर तोड़कर मस्जिद बनी है. जो भी चिन्ह वहां मिले हैं वह केवल मंदिर में ही मिलते हैं मस्जिद में नहीं मिलते हैं . ऐसी स्थिति में ज्ञानवापी भगवान शिव का मंदिर है.