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कविता: कुछ पीड़ाएं सदियों तक पीछा करती हैं
जीवन में रिश्ते बनते हैं , ढह जाते हैं, कुछ स्वप्न दर्द की आँधी में बह जाते हैं
24 Oct 2021 3:48 PM IST
इक कशिश यूँ खींचे जाती है, मुझको मुझसे ही भींचे जाती है
#कशिशइक कशिश यूँ खींचे जाती हैमुझको मुझसे ही भींचे जाती हैरंगीले ख़्वाब जो दिखाती हैमेरी तिशनगी यूँ बढ़ाती हैवो कशिश रौशन है बहुत लेकिनमुझे वो तीरगी दिखाती हैख़्वाब में उसके तवानाई हैजिस से नज़र मेरी...
21 Sept 2021 7:12 PM IST