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दिल की तकलीफ़ कम नहीं करते  अब कोई शिकवा हम नहीं करते : जौन

दिल की तकलीफ़ कम नहीं करते अब कोई शिकवा हम नहीं करते : जौन

दिल की तकलीफ़ कम नहीं करते अब कोई शिकवा हम नहीं करते जान-ए-जाँ तुझ को अब तिरी ख़ातिर याद हम कोई दम नहीं करते दूसरी हार की हवस है सो हम सर-ए-तस्लीम ख़म नहीं करते वो भी पढ़ता नहीं है अब दिल से हम भी...

12 Sept 2021 7:36 PM IST
कविता: कृषक के मुखड़े पे मुस्कान छाई....दामिनी दिखाई है

कविता: कृषक के मुखड़े पे मुस्कान छाई....'दामिनी दिखाई है'

आई बरसात ऋतु चहुँ ओर घन घोर।मेघ बीच गर्जना में दामिनी दिखाई है।।बदरी आकाश बीच छाई है अन्हार जसचहुँ ओर धारा जल वृष्टि की दिखाई हैघोर जलवृष्टि अंधकार छाई चहुँ ओरभूतल समस्त जल-जलद दिखाई हैआई बरसात...

1 Aug 2021 2:15 PM IST