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ऐतिहासिक खबर : अमरोहा के बावनखेड़ी हत्याकांड की कातिल शबनम को नहीं लगेगी फांसी
अपने प्रेमी के साथ मिलकर परिवार के 7 सदस्यों की हत्या करने वाली अमरोहा की शबनम पिछले कई वर्षों से अपनी फांसी का इंतजार कर रही थी. लेकिन ऐन वक्त पर उसके वकील ने यूपी के राज्यपाल से उसकी सजा को बदलने की गुहार लगाई.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की वकील सहर नकवी ने गवर्नर आनंदीबेन पटेल को दी गई अपनी अर्जी में शबनम के महिला होने के नाते उसकी सजा उम्रकैद में बदलने की अपील की थी. इस अर्जी पर विचार कर गवर्नर ने यह मामला यूपी सरकार को रेफर कर दिया. तब से शबनम अपने भविष्य के फैसले का इंतजार कर रही है. अमरोहा की शबनम की फांसी को उम्रकैद में बदलने को लेकर गवर्नर के निर्देश पर उनके विशेष सचिव ने प्रदेश के कारागार विभाग के प्रमुख सचिव को कार्रवाई का निर्देश दे रखा है. नियमों के मुताबिक उचित निर्णय लिए जाने का आदेश दिया गया है.
शबनम की सजा को बदलने के लिए गवर्नर को दी गई अर्जी में उसकी वकील सहर नकवी ने दलील दी है कि देश में अब तक किसी भी महिला को फांसी की सजा नहीं दी गई है. इसलिए शबनम को फांसी दिए जाने से पूरी दुनिया में देश की छवि खराब होगी. शबनम के किए अपराध में उसकी सजा का तरीका बदला जा सकता है. अर्जी में शबनम के इकलौते बेटे 13 साल के ताज उर्फ बिट्टू का हवाला भी दिया गया है. अर्जी में कहा गया है कि शबनम को फांसी दिए जाने से उसके बेटे के भविष्य पर गलत असर पड़ेगा. अधिवक्ता सहर नकवी ने कहा है कि इस दुनिया में बच्चे का कोई अपना नहीं है. फांसी दिए जाने से बच्चे को जीवनभर ताना सुनना पड़ेगा. फांसी की वजह से सामाजिक परिस्थितियों के चलते बच्चे के मानसिक विकास व भविष्य पर बुरा असर पड़ सकता है. मां के अपराध की सजा बच्चे को दिया जाना कतई न्याय संगत नहीं होगा.
कारागार विभाग में मजबूत पैरवी की तैयारी
गवर्नर सचिवालय ने एडवोकेट सहर नकवी की अर्जी पर यूपी सरकार को उचित कार्रवाई का आदेश दिया है. इसके बाद ही यह अर्जी कारागार विभाग के प्रमुख सचिव के पास पहुंची है. बताया गया है कि प्रमुख सचिव नियमों के मुताबिक उचित फैसला लेंगे. शबनम की वकील सहर नकवी को गवर्नर सचिवालय के आदेश की कॉपी कुछ महीने पहले 22 जुलाई को मिली थी. इसके आधार पर नकवी ने दावा किया है कि प्रमुख सचिव के यहां अब तमाम दलीलों व पुरानी नजीरों के आधार पर मजबूत पैरवी की जाएगी. शबनम की फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कराने हरसंभव प्रयास किया जाएगा.
प्रेमी के साथ मिलकर घर के 7 लोगों को उतारा था मौत के घाट
गौरतलब है कि शबनम और उसके प्रेमी सलीम को माता-पिता, दो भाइयों और भाभी समेत परिवार के 7 सदस्यों की हत्या का दोषी करार दिया गया है. अप्रैल 2008 में यूपी के अमरोहा जिले के बावनखेड़ा में हुई यह वारदात काफी चर्चित रही थी. अपने प्रेमी सलीम से शादी करने के लिए शबनम ने 7 कत्ल किए थे. प्रेमी सलीम को भी कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है. सलीम इस समय नैनी सेंट्रल जेल में बंद है, जबकि शबनम बरेली जेल में. इन दोनों के ही पास फांसी से बचने के लिए बहुत कम विकल्प बचे हैं, क्योंकि राष्ट्रपति ने भी दोनों की दया याचिका खारिज कर दी है. हालांकि उसकी वकील सहर नकवी का दावा है कि वह सिर्फ महिला होने के नाते शबनम को फांसी के फंदे से बचाना चाहती हैं. उन्होंने शबनम के अपराध पर अपनी तरफ से कोई सफाई नहीं दी. अधिवक्ता को उम्मीद है कि उन्हें अपने मकसद में कामयाबी जरूर मिलेगी.
क्या है पूरा मामला ?
अमरोहा का नाम एक बार फिर से विश्व स्तर पर रोशन होने जा रहा है लेकिन इस बार रोशनी में खूनी शाजिस, दुखी आत्माओं, गिले-शिफे और झूठे वादो के अलावा कुछ नही मिलेगा। जिस अमरोहा ने शायरो के बादशाह जाॅन एलिया, नखत अमरोही और कमाल के लेखक एवं फिल्म निर्देशक कमाल अमरोही को जन्मा, वहीं शबनम और सलीम के खूनी प्रेम की शाजिस भी रची गई। 15 फरवरी को लगभग सभी याचिका खारिज होने के बाद बावनखेड़ी हत्याकांड की दोषी शबनम को फांसी होना तय हो चुका है। यदि ऐसा होता है, तो शबनम देश की प्रथम महिला होगीं जिसे फांसी की सजा मिली हो। जबकि भारत में रेयरेस्ट आॅफ रेयर मामलो में ही फांसी का प्रावधान है।
उस काली रात के मुखबिर गवाह क्या कहते हैं ? जब यह कांड हुआ , तो उस रात बावनखेड़ी के ही पास के गाँव मेें रामायण सम्पन्न हुई थी जिसमे शिरकत करने के लिए ब्लाक गजरौला, बांसली गाँव के निवासी दिनेश शर्मा, राम कुमार शर्मा, कृष्ण कुमार शर्मा, विनोद शर्मा और केशव शर्मा पैदल ही रामायण पढ़ने के लिए वहाँ गए थे, ये सभी निवासी आज भी बताते हैं कि लगभग 2 बजे रामायण पढ़कर जैसे ही बावनखेड़ी गांव मेंं शबनम के घर के सामने से ही गुजरे तो उन्हे शबनम के घर से कोलाहल सुनाई दिया, लेकिन इनमे से किसी ने भी इस प्रकार की आशंका नही जताई और करीब सुबह के चार बजे सीधे अपने घर लौट आए।
थोड़ी बहुत देर सोने के बाद जब सुबह इस कांड के बारे में इन्हे पता चला तो मानो सभी के पैरो तले जमीन ही खिसक ही गई हो। ये सब अचंभित हो उठे। उन दिनो मेेेेरी भी छोटी उम्र थी, जिसके कारण घरवालो ने इस कांड को मुझे भी नही बताया, लेकिन इस खबर को छुपा पाना असंभव था।लगभग हर मां-बाप अपनी औलाद से इस बारे मे कोई संवाद ही नही चाहता था। लोग बात करते थे, लेकिन छुप-छुपकर। क्योंकि आज किसी ने प्रेम प्रसंग के नाम पर खूनी संघर्ष को जन्म दिया था। आसपास ऐसा माहौल था कि लोग अपने बच्चो को दूसरे के घर भेजने से भी कतराते थे।
15 अप्रैल सन् 2008 को यह एक ऐसी घटना घटी थी जिसके 48 घंटे बाद इस पर वीडियो - फिल्मे बननी स्टार्ट हो गई थी, एक फिल्म का टाइटल था- "शबनम बनी शोला" शबनम ने न जाने उस वक्त कितने मासूूूम बच्चो की पढ़ाई भी छुड़वा दी थी जो संगत केे असर होने की झूठी आशंका के शिकार हुए थे। बावनखेड़ी के इस कांड ने अमरोहा को विश्व स्तर पर शर्मसार किया।ये केस इतना हाई प्रोफाइल बन गया था कि अगले दिन खुद तत्कालीन मुख्यमंत्री, मायावती शबनम से मिलने और उसे सांत्वना देने आईं। इसकी वीभत्सता का पता इससे लगाया जा सकता है कि इसे एक दशक बाद आज भी 'अमरोहा मास मर्डर केस' के नाम से जाना जाता है।
आज एक परंपरा बन गई है, जब कोई युवा/युवती आपस में बेइंतहा प्रेम करते हैं तो उन पर अक्सर लैला-मजनू ,हीर-रांझा ,शीरी-फरहाद और रोमियो-जूलियट होने का टोंट कसा जाता है यहां तक कि एक प्रदेश सरकार ने रोमियो को ही नही बख्शा, एन्टी-रोमियो स्क्वायड चलाकर प्रेम की खूब धज्जी उड़ाई , शायद विदेशी नाम होने की वजह रही हो जबकि खुद के प्रदेश में शबनम और सलीम प्रेम के सबसे कद्दावर हत्यारे हैं।13 साल बाद खूनी इश्क का अंजाम यहां तक पहुँच गया है कि 7 मर्डर के बावजूद भी एक दोषी को सजा नही हो सकी है।अन्तिम याचिका खारिज होने के बाद अब शबनम को फांसी होना लगभग तय हो गया है।
मथुरा की जेल आज देश की पहली महिला को फांसी देने के लिए बेताब है। बताया जा रहा है, शबनम इन दिनो रामपुर की जेल में बन्द है।आज भी अमरोहा के लोग इस कांड को अपने जहन में दबाये हैं। जिस अमरोहा ने इश्किया शायर जौन को हमेशा प्यार की तालीम दी, वो अमरोहा आज कह रहा है मेरे साथ छल हुआ है, जिस अमरोहा ने फिजाओ को भी मोहब्बत करना सिखाया ,आज मोहब्बत के नाम पर उसका हरण हुआ है। ये अमन की नगरी कभी किसी के साथ अन्याय नही होने देती।