मुस्लिम समाज के निशाने पर अखिलेश!
क्या समाजवादी पार्टी भी नरम हिंदुत्व की छाव में रहना चाहती है और भाजपा के गरम हिंदुत्व से डर गयी है?
माजिद अली खान (राजनीतिक संपादक)
लखनऊ के चर्चित विवेक तिवारी हत्याकांड में राजनीति शुरू हुई तो अभी सभी नेताओं का ध्यान इस घटना की तरफ मुड़ गया. बहुत सारे नेता विवेक तिवारी की पत्नी कल्पना तिवारी से मिलने पहुँच गए. इसी क्रम में अखिलेश यादव भी मृतक विवेक तिवारी के परिवार से मिलने उनके घर गए. इस मुलाक़ात को लेकर सोशल मीडिया पर मुस्लिम समुदाय के तरफ से वाजिब सवाल खड़े किये जा रहे हैं.
मुस्लिम समाज अखिलेश से सवाल कर रहा है की अलीगढ एनकाउंटर में मारे गए दो मुस्लिम के घर वालो ने भी उन्हें निर्दोष बताया है जिस तरह फ़िल्मी अंदाज़ में अलीगढ पुलिस ने ये एनकाउंटर किया उससे भी लगता है की कहानी कुछ और ही है.
खैर बात ये है की मुसलमानो को उम्मीद थी की समाजवादी पार्टी इस मुद्दे पर उनके साथ कड़ी होगी और भाजपा सरकार के खिलाग ज़रूर धरना प्रदर्शन करेगी लेकिन समाजवादी पार्टी की किसी बड़े नेता ने इस मामले में कुछ भी बोलने से गुरेज़ किया. क्या समाजवादी पार्टी भी नरम हिंदुत्व की छाव में रहना चाहती है और भाजपा के गरम हिंदुत्व से डर गयी है.
लखनऊ में हुए विवेक तिवारी की हत्या के बाद अखिलेश यादव विवेक के घर पहुंचे और संवेदना ज़ाहिर की. इस संवेदना के ज़ाहिर करने पर किसी को ऐतराज़ नहीं है लेकिन मुस्लिम समुदाय को ऐतराज़ ये है की आखिर जिस मुस्लिम समाज के दम पर समाजवादी पार्टी राजनीति करती रही हैं उसी समाज के दो लोगो को अलीगढ में फ़र्ज़ी तरीके से मार दिया जाता है लेकिन अखिलेश जी इस पर कुछ भी कहने का साहस नहीं जुटा पाते लेकिन ऐसा क्या है जो विवेक तिवारी के घर पर पहुँच जाते हैं जबकि ब्राह्मण समाज का समर्थन कभी समाजवादी पार्टी को नहीं मिला. इस सवाल का जवाब देना बहुत कठिन हो सकता है. यदि अखिलेश यादव ने मुस्लिम मुद्दों को लेकर यही रवैय्या रखा तो आने वाले वक़्त में उनके लिए दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं.