आज के अखबार : टाइम्स ऑफ इंडिया में गलत तथ्य और अन्य अखबारों में गो रक्षकों की करतूत कई दिनों बाद!

सरकार अपने ऐसे समर्थकों और प्रचारकों के लिए कोई प्रौढ़ या युवा शिक्षा केंद्र चलायेगी उसकी उम्मीद किस दम पर की जाये।

Update: 2024-09-04 08:46 GMT

संजय कुमार सिंह, वरिष्ठ पत्रकार 

आज टाइम्स ऑफ इंडिया को छोड़कर सभी अंग्रेजी अखबारों में गोरक्षकों द्वारा स्कूली छात्र आयर्न मिश्र की हत्या की खबर पहले पन्ने पर प्रमुखता से है। हिन्दी के मेरे दोनों अखबारों में यह खबर पहले पन्ने पर है नहीं है जबकि कोलकाता के द टेलीग्राफ में भी पहले पन्ने पर सिंगल कॉलम की खबर है। पहले पन्ने पर नहीं होने के कई कारण गिनाये जा सकते हैं पर मुद्दा यह है कि अंग्रेजी के पांच में से चार अखबारों में यह खबर पहले पन्ने पर है। टाइम्स ऑफ इंडिया में पहले पन्ने पर ब्रुनेई में मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री, सिंगल कॉलम का शीर्षक भर है। इसके साथ एक फोटो है जिसका कैप्शन हिन्दी में इस तरह होगा, प्रधानमंत्री मोदी मंगलवार को ब्रुनेई के बंदर सेरी बेगवान स्थित ओमर अली सैफुद्धीन मस्जिद में एक बच्चे को दुलारते हुए। इसके जरिये अखबार ने बताया है कि खबर पेज 14 पर है लेकिन शीर्षक असत्य है।

यू-ट्यूब चैनल, डीबी लाइव पर कल रात संपादक, राजीव श्रीवास्तव बता रहे थे कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ वे ब्रुनेई के दौरे पर गये थे। सुबह टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर देखकर मैंने गूगल किया तो पता चला कि वाकई मनमोहन सिंह बतौर प्रधानमंत्री ब्रुनेई गये थे। आप जानते हैं कि नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद विदेश दौरे पर अपने साथ पत्रकारों को ले जाना बंद कर दिया है। तब उनके समर्थकों और प्रचारकों ने दावा किया था कि उन्हें पत्रकारों की खुशामद करने की जरूरत नहीं है। बाद में पता चला कि वे अपने साथ जिन लोगों को ले जाते रहे हैं उनके बारे में जानकारी आम नहीं हो इसलिए पत्रकारों को नहीं ले जाते होंगे। पहले के प्रधानमंत्री लौटते समय विमान में प्रेस कांफ्रेंस कर यात्रा के बारे में बताते थे और लौटकर राष्ट्रपति से भी मुलाकात करते थे। अब वो सब तो नहीं ही होता है, गलत दावा भी प्रचारित किया जता है।

इंडिया टुडे

आज के मेरे चार अन्य अंग्रेजी अखबारों में फरीदाबाद के आर्यन मिश्रा की गो रक्षकों द्वारा हत्या की खबर पहले पन्ने पर प्रमुखता से है। खबर में ही बताया गया है कि यह वारदत 23 अगस्त की है और पुलिस ने यह जानकारी मंगलवार को दी। सोमवार की शाम मैं एक अन्य यू ट्यूब चैनल, स्पेशल कवरेज न्यूज पर था। एंकर शिव कुमार मिश्रा ने कार्यक्रम के अंत में इस खबर की जानकारी दर्शकों और हम पैनेलिस्टों को दी थी। पर कल के अखबारों में यह खबर नहीं थी। हेडलाइन मैनेजमेंट में यह बड़ी बात नहीं है लेकिन आज इतने दिनों बाद छपना मायने रखता है। अभी मैं उसके विस्तार में नहीं जाउंगा लेकिन इन दो तथ्यों से आप इस समय मुख्य धारा की मीडिया की हालत और यू-ट्यूब चैनल की अग्रणी स्थिति को समझ सकते हैं। सरकार किसे संरक्षण दे रही है और किसका जड़ खोदने में लगी हुई है वह सबको पता है।

स्वयंभू गोरक्षकों को किसी की हत्या का अधिकर किसने दिया यह तो पता नहीं है लेकिन खबरों से लगता है कि वे अपनी सूचना पर पूरा यकीन कर रहे थे और गोली चलाने से पहले उन्हें शिकार का नाम पूछने की जरूरत भी नहीं हुई। बुलडोजर न्याय के जमाने में मुझे इसपर कोई आश्चर्य नहीं है और जब यह सुनिश्चित नहीं है कि सरकार फिर ऐसा नहीं करेगी तो किसी और शहर में किसी घर में कोई नया गो रक्षक पैदा नहीं होगा इसकी उम्मीद तो नहीं ही है। सरकार अपने ऐसे समर्थकों और प्रचारकों के लिए कोई प्रौढ़ या युवा शिक्षा केंद्र चलायेगी उसकी उम्मीद किस दम पर की जाये। इसमें सरकार की प्राथमिकता भी मुद्दा है लेकिन जब ट्रेन ही पटरी से उतर जा रही है तो प्राथमिकताएं क्यों पटरी पर रहेंगी?

आइये, अब प्राथमिकता की स्थिति देख लें। आप जानते हैं कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले को भाजपा और संघ परिवार ने तूल दिया तो आईएमए ने देश भर में हड़ताल कर दी, सुप्रीम कोर्ट ने मामले का स्वतः संज्ञान लिया लेकिन हत्या आरोपी पुलिस का वालंटीयर था, पुलिस ने अपने ही वालंटीयर को 12 घंटे के अंदर गिरफ्तार कर लिया था फिर भी जनता की मांग पर हाईकोर्ट ने मामले की जांच का काम सीबीआई को दे दिया और हड़ताल कम से कम कम आरजी कर अस्पताल में चलती रही। बाद में पता चला कि सीबीआई ने आरजी कार अस्पताल के पूर्व प्राचार्य को भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार कर लिया है। यानी जो मामला महिला सुरक्षा का था वह भ्रष्टाचार की जांच में बदल गया या फैल गया।

इतना सब हुआ तो कार्य स्थल पर महिला कर्मचारियों की सुरक्षा के मामले में भी कुछ होना ही था। हालांकि यह देश भर का मामला है और सिर्फ अस्पतालों के लिए नहीं है। और जब पुलिस के लिए काम करने वाला स्वयंसेवी (या वालंटीयर) ही बलात्कार और हत्या जैसे अपराध करेगा तो रोकने के उपाय करने के लिए योजना आयोग की जरूरत होगी जिसे नीति आयोग बना दिया गया है और महिला सुरक्षा की कोई नीति होगी तो चिन्मयानंदों, सेंगरों से लेकर ब्रजभूषण और प्रज्वल रेवन्ना तक से छुटकारा पाना होगा और बिलकिस बानों के बलात्कारियों को मिठाई खिलाने और उनके पैर छूने वालों से दूरी बनानी होगी। पर वह सब तो नहीं होने वाला है। टाइम्स ऑफ इंडिया में खबर है कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि आरजी कर अस्पताल में सीआईएसएफ के काम करने के मार्ग में बंगाल सरकार बाधा डाल रही है।

हिन्दस्तान टाइम्स में इसी खबर का शीर्षक है, केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत में कहा, बंगाल सरकार ने सीआईएसएफ को कोई सुविधा नहीं दी जो अदालत की अवमानना है। खबर के अनुसार आरजी कर अस्पताल में सीआईएसएफ की तैनाती सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद की गई है जो उसने मामले का स्वतः संज्ञान लेने के बाद जारी किया था। बंगाल सरकार पर यह आरोप तब है जब आज ही खबर है कि बंगाल विधानसभा ने बलात्कार पर विधेयक पास कर दिया है। मैं लिख चुका हूं कि बंगाल का समाज महिला, कार्यस्थल पर सुरक्षा और बलात्कार के मामले में हिन्दी पट्टी से बहुत अलग और जल्दी नाराज होने वाला है और यह इस मामले में शुरू से दिख रहा है। भाजपा ने इसका राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की और उसे कामयाबी मिले या नहीं, उसकी कोशिशें सार्वजनिक हो गईं। दूसरी ओर बंगाल सरकार जो कर सकती थी उसने कर दिया भले उसे बदनाम किया जाता रहा।

इसके अलावा आज खबरें कम होने का कारण यह है कि अमर उजाला ने पहले पन्ने पर संवाद की खबर छापी है और आज का उसका पहला पन्ना भाजपा और संघ परिवार के हवाले है। इसमें नितिन गडकरी और केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को मौका दिया गया है। यह संघ परिवार की योजना और राजनीति का हिस्सा हो सकता है। आज एक खबर सुरक्षाबलों से मुठभेड़ में नौ नक्सली ढेर भी है। मुझे यह बुलडोजर न्याय जैसा मामला लगता है और इसपर अंकुश लगाये जाने की जरूरत महसूस करता हूं। आज की खबर के साथ राहत यह है कि 13 गिरफ्तार भी किये गये हैं। इससे मुठभेड़ की सत्यता मालूम हो सकती है लेकिन ऐसा होता तो ये बचते ही क्यों और बच गये हैं तो सत्य जानने-बताने की जरूरत किसे है। जब प्रधानमंत्री के दौरे के बारे में आधिकारक तौर पर गलत जानकारी दी जातीहै और झूठा दावा दिया जाता है।

नवोदय टाइम्स में आज की लीड का फ्लैग शीर्षक है, बंगाल विधानसभा में अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक पास। मुख्य शीर्षक है, बलात्कार-हत्या में होगी फांसी, विधेयक को विपक्ष का पूर्ण समर्थन। इसके अलावा आज कुछ खबरें हैं जो दूसरे अखबारों में नहीं हैं। भले इसका कारण यह हो कि यहां विज्ञापन नहीं है लेकिन इससे यह तो पता चलेगा ही कि इसे किन खबरों के लिए छोड़ा गया है। पहली खबर नोएडा की है, दूषित पानी पीने से 339 बीमार, दूसरी खबर है, राष्ट्रपति ने बढ़ाईं उपराज्पाल की शक्तियां और तीसरी है, रेल ट्रैकमैन से मिले राहुल गांधी। वीडियो साझा कर कहा, इनके लिए सिस्टम में ना ही प्रमोशन ना ही इमोशन।


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