AFSPA यानी आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट में बीजेपी करे बदलाब तो जायज अगर कांग्रेस करे तो नाजायज क्यों?

मुफ्ती-मोदी समझौते के 'बीजेपी-पीडीपी कॉमन मिनिमम प्रोग्राम-2015' की शर्तों को एक बार जरा ध्यान से पढ़ना चाहिए जिसे उस वक्त 'ड्रीम डॉक्युमेंट ऑफ गवर्नेंस' बताया जा रहा था. इसकी प्रमुख शर्त थी

Update: 2019-04-03 06:09 GMT
कांग्रेस बीजेपी राजस्थान

गिरीश मालवीय 

वाकई बीजेपी समर्थकों की मूर्खता की कोई सीमा नही है जैसे ही कांग्रेस के घोषणापत्र जारी किया गया, उसकी सारी अच्छी बातों को छोड़कर बीजेपी समर्थक कल दिन भर बैठ कर चरस बोते रहे कि कांग्रेस ने AFSPA यानी आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट में बदलाव करने का वादा कर दिया है इससे कश्मीर में सेना का मनोबल गिरेगा ओर शाम तक टुकड़े टुकड़े गैंग टाइप की बातें दोहराई जाने लगीं.

इन लोगों को एक बार 1 मार्च 2015 को पी़डीपी-बीजेपी गठबंधन की सरकार बनाने के लिए किए गए, मुफ्ती-मोदी समझौते के 'बीजेपी-पीडीपी कॉमन मिनिमम प्रोग्राम-2015' की शर्तों को एक बार जरा ध्यान से पढ़ना चाहिए जिसे उस वक्त 'ड्रीम डॉक्युमेंट ऑफ गवर्नेंस' बताया जा रहा था. इसकी प्रमुख शर्त थी 'उपद्रव ग्रस्त क्षेत्रों को डी-नोटिफाई करने और इन क्षेत्रों में लागू आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट (AFSPA) को हटाने के बारे में अंतिम राय बनाना'. 

जब यह लोग कश्मीर के सबसे बड़े अलगाववादी दल पीडीपी से बकायदा समझौता कर AFSPA हटाने की बात कर रहे थे तब इन्हें याद नही आया कि कश्मीर में सेना का मनोबल तोड़ा जा रहा है इसके बाद ही मुफ्ती सरकार ने हजारों पत्थरबाजों को जेल से रिहा करवाया था तब तो इस तथाकथित राष्ट्रवादी दल के समर्थक आँखों पर पट्टी बांधकर बैठें हुए थे

असल बात तो यह है कि यदि आप सच मे मानते हैं कि कश्मीर हमारा है तो हमे कश्मीरियो की बात भी सुननी ही होंगी ऐसा नही चलेगा कि कश्मीर तो हमारा है लेकिन कश्मीरी को हम अपना नही माने, कश्मीर में शांति प्रयासों के तहत AFSPA पर पुनर्विचार करने की बात करना बिल्कुल भी गलत घोषणा नही है.

लेखक के अपने निजी विचार है यह लेख उनकी फेसबुक वाल से लिया गया है 

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