एक मित्र अपने मित्र से बोला, तुम हमेशा भाजपा की खिंचाई करते हो,क्या कमी है भाज'पा में..? क्या तुम्हें इसबार भाज'पा नहीं चाहिए..?
विनय मौर्य
हम वहीं खड़े थें....एक भक्त मित्र ने अपने मित्र से कहा क्या यार, तुम हमेसा भाज'पा की खिंचाई करते हो,क्या कमी है भाज'पा में..?? क्या तुम्हें इसबार भाज'पा नहीं चाहिए..??
उसके मित्र ने बड़ा प्यारा सा जवाब दिया...हां यार हमें भाज'पा चाहिये...एकदम चाहिए...हमको जुमलेबाजी युक्त भाज'पा चाहिए।हमे धर्म जात के नाम पर लड़ाने और फुट डालने वाली भाज'पा चाहिए।
हमे वही भाज'पा चाहिए जो सारे जगह पिछड़ों दलितों वंचितों को हटाकर जाति विशेष को भरे और भेदभाव करे। इसलिए हमको भाज'पा चाहिए। जो पिछड़ों को हक़ के नाम पर सिर्फ "स्टूल" दे हमको वही भाज'पा चाहिए।
जिसके सरकार में गुंडे बदमाश महिलाओं का चीरहरण करते हों, बलात्कार करते हों हमको वही भाज'पा स'रकार चाहिए। हमको वही भाज'पा सरकार चाहिए जिसके उ'न्नाव विधा'यक कुलदी'प सेंग'र लड़की का रेप कर पूरे परिवार को बर्बाद कर देता हो। और स'रकार उसे बचाती रही हो।
हमको वही भाज'पा स'रकार चाहिए जिसके मुखिया ने विकास के नाम पर अखि'लेश स'रकार की योजनाओं का सिर्फ फीता काटते आ रहे हों। और नाम बदलकर सिर्फ बदलू साह बनते जा रहे हों।
हमको वही भाज'पा स'रकार चाहिए जिसके कार्यकाल में कोरोना मरीज ऑ'क्सीजन दवा के अभाव में मर रहे थें। मगर उसके मु'ख्यमंत्री जनता को छोड़कर बं'गाल चु'नाव में व्यस्त थें। हमको वही भाज'पा चाहिए जिसके लोग राममं'दिर का चंदा खा जाते हैं। कु'म्भ जैसे पवित्र मेले में घो'टालेबाजी कर जाते हैं।
जिसके मं'त्री का भाई बैक डोर से प्रोफे'सर बन जाता है और मं'त्री भ्र्ष्टाचार से सम्पति बनाता है। हमको वही भाज'पा स'रकार चाहिए जिसके मु'ख्यमंत्री नौ'करी मांगने वाले युवकों के ऊपर ला'ठीचार्ज करवाते हैं।
हमको वही भाज'पा स'रकार चाहिए जिसके कें'द्रीय मं'त्री अन्नदाताओं कि'सानों को मवाली खा'लिस्तानी बताते हैं। उन किसानों के लगातार मरने पर भी तरस नहीं खाते हैं। हां हमको वही भाज'पा स'रकार चाहिए जिसका मुख्य एजेंडा काम नहीं बस रामको आगेकर ज'नता की भावना से खेलना उन्हें मूर्ख बनाना और स'त्ता पाना है।
जो भाज'पा कभी कहती थी की बहुत हुई म'हंगाई की मार अबकी बार भाज'पा स'रकार वही स'रकार आज मंहगाई बढ़ा बढ़ाकर ज'नता को निचोड़ दे रही है। दोगुने महंगे पेट्रोल डीजल गैस बेचकर जनता को तोड़ दे रही है।
हां हमको वही भाज'पा स'रकार चाहिए जिसने 2 करोड़ नौ'करियों का वादा किया मगर जिसके राज में बेरो'जगारी बढ़ी ही साथ साथ जिनकी नौ'करियां थीं वह भी छीन ली गयीं। जिसके राज में मंदी मंहगाई ता'नाशाही चरम पर है। जिसके मु'ख्यमंत्री खुल के या'दव पिछड़ों और मु'स्लिमो के प्रति नापसन्दगी जताते हैं।
हां हमको वही भाज'पा स'रकार चाहिए जो खुल के लो'कतंत्र का गला घोंटते हुए पं'चायत चुनाव में स'त्ताबल बाहुबल धनबल का दुरुपयोग कर कब्जा जमाती हो। और जिसके नेता पु'लिस क'प्तान पर थप्पड़ चलाते हों,ब'म बं'दूक लेकर कैप्चर करने आते हों।
हां हमको वही भाज'पा स'रकार चाहिए जिसके राज में देश की अ'र्थव्यवस्था जीडीपी जमीन पर आ गिरी हो।हां हां हां हमको वही भाज'पा स'रकार चाहिए जो नो'टबन्दी करके दे'श के नागरिकों को लाइन मरते देखती हो। जिसकी वजह से बैंकिंग व्यवस्था लोट गयी हो। जिसने अनियोजित लॉक डा'उन लगाकर लाखों प्र'वासी म'जदूरों को सड़कों पर लाचार फटेहाल मरने के लिए छोड़ दिया था।
हाँ हां हां... मुझे झुटठे जुमलेबाजी मंदी महंगाई बेरोजगारी को आसमान ले जाने वाली। देश को बदहाली बेहाली की खाईं में ले जाने वाली स'रकारी संपत्तियों को बेचने वाली भा'जपा सरकार चाहिए।
उसका भक्त मित्र उठा...कहा सत्तर सालों में क्या मिला इस देश को...?
उसके मित्र ने जवाब दिया कि इतना मिल गया था जिसे आज "फलाने जी" सात सालों से बेचते आ रहे हैं।
विनय मौर्या जी के अपने विचार है