'गांधी के गुजरात' में यूपी बिहार के भैयों को मार-मार कर भगा दो, नफ़रत व द्वेष फैलाओ और वोट पाओ
देश में ख़ौफ़ का माहौल चहुँ-ओर गुजरात से उत्तर भारतीयों का पलायन जारी है. क्या 'दलगत' राजनीति को बाय-२ बोलने का समय है ? क्या योग्यता-आधारित 'जनगत' राजनीति की ओर चलने का समय आ गया है ?
'गांधी के गुजरात' में यूपी बिहार के भैयों को मार-मार कर भगा दो और नफ़रत व द्वेष फैलाओ और वोट पाओ. पहले महाराष्ट्र में और अब गुजरात में उत्तर भारत के श्रमजीवियों को मारा जा रहा है. क्या इन्हें भी रोहिंग्या घोषित कर दिया जाएगा ? उनकी बच्चियों के साथ बलात्कार किए जा रहे हैं. रिक्शावाले, रहडी-पटरी वाले, दूध वाले ग़रीबों को बसों व ट्रेनों से खिंचा जा रहा है। क्या ये दो राज्य देश का हिस्सा नहीं हैं विदेश हैं वीज़ा चाहिए।
उत्तर प्रदेश में लगभग सभी राज्यों के लोग रहते हैं. क्या उन्हें यहाँ से उन्हें भगा दिया जाए ? पीएम मोदी ख़ुद गुजरात से आकर बनारस से चुनाव लड़ें हैं... सीएम योगी उत्तराखंड से हैं। जिन लोगों ने गुजरात से लाकर मोदी जी को वोट देकर पीएम बनाया. सिर-आँखों पर बैठाया. उन्हें ही मार- मार कर गुजरात से भगाया जा रहा है. कितनी शर्म की बात है।
महाराष्ट्र व गुजरात की सरकारें इस हिंसक व ज़बरन पलायन को वोट की राजनीति के कारण जानबूझकर नहीं रोक रही हैं। क्या मेहनतकश ग़रीब श्रमिकों को देश में रहने का हक़ नहीं है ? बिकाऊ, चमचा मेडिया इस समस्या को ज़ोर शोर से नहीं उठा रहा है। केंद्र सरकार का कोई भी मंत्री-सन्तरी नहीं बोल रहा है।
धींगामुश्ती का दौर चल रहा है। उत्तर भारत के लोगों को भी जागना होगा। वोट उत्तर प्रदेश व बिहार के लोग दें और पीएम बने अन्य राज्यों से जिस राज्य से सर्वाधिक सांसद हो, उसी राज्य से पीएम बने। क्यों न इसकी माँग की जाए। अब किस मुँह से बाहरी लोग उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ेंगे ? देश को तोड़ने काम किया रहा है।
पेट्रोल/डीज़ल के दामों पर कोई बात न करे। गिरते रुपए से ध्यान बटाया जा सके। बेरोज़गारी, युवाओँ-किसानों-मज़दूर व उजड़ते व्यवसाय की समस्याएँ, न उठें। इस लिए मंदिर की बात, हिंदू-मुस्लिम की बात, उत्तर भारतीयों के पलायन का राजनीतिकरण करो। द्वेष फैलाओ और राज करो का दौर चल रहा है। हिन्दुवादी, राष्ट्रवादी होने का ख़ाली नाटक किया जा रहा है। क्या हिंदुओं को मंदिर मिला? क्या गंगा साफ़ हुई? क्या पाकिस्तान से POK छीन लिया गया? राष्ट्रवादी कौमों को SC/ST एक्ट का मार ऊपर से।
देश किस दिशा में जा रहा है ? समाज को खड़ा होना होगा। युवा को जागना होगा। देश पर कभी मंडल कभी कमंडल भारी हो जाता है। बिना पढ़े लिखे नेता लोगों को अलग-२ मुद्दे उठाकर गुमराह कर देश पर राज कर रहे हैं। भ्रष्ट राजनैतिक पार्टियाँ हज़ारों करोड़ रुपए के कालेधन का चंदा एकत्र कर संगठित गिरोह के रूप काम कर रही हैं और पिस रही है। निरीह जनता इसलिए समय आ गया है कि दलगत राजनीति से छुटकारा पाया जाए और केवल पढ़े-लिखे लोगों को चुनाव में वोट किया जाए। 'दलगत' राजनीति से योग्यता-आधारित 'जनगत' राजनीति की ओर क़दम बढ़ाया जाए। तो शायद देश की दुर्गति का कोई समाधान निकले। राजनीतिक दलों में केवल इतना ही अंतर है कि कोई है, सांपनाथ तो कोई नागनाथ।