जौन एलिया द बेस्ट अश्आर ...
जौन' हम ज़िन्दगी की राहों में अपनी तन्हारवी के मारे हैं...
तुम तो वफ़ा में सरगरदां हो, शौक़ में रक़्सां रहती हो
मुझ को ज़वाल-ए-शौक़ का ग़म है, मैं पागल हो जाऊंगा!
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किसी के पास रहना हो तो थोड़ा दूर रहना चाहिए
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फिर तुम्हें मेरी तलब हो शायद
तुम कभी मुझ से बिछड़ के देखो
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है बेतौर ये लोग तमाम उनके साँचे में न ढलो
मैं भी यहाँ से भाग चलूँ तुम भी यहाँ से भाग चलो
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ज़ुर्म में हम कमी करें भी तो क्यों
तुम, सज़ा भी तो कम नहीं करते
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ये काफ़ी है कि हम दुश्मन नहीं हैं,
वफ़ादारी का दावा क्यूँ करें हम
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जौन' हम ज़िन्दगी की राहों में
अपनी तन्हारवी के मारे हैं...