नरेंद्र कोहली जी का साहित्य हमेशा कालजयी रहेगा

"वर्तमान मंच पर बैठकर लिखा गया नाटक, न तो मंच का विकास करेगा और न ही नाटक के क्षेत्र में नए प्रयोग होने देगा" - स्वर्गीय #नरेंद्र_कोहली जी

Update: 2021-04-18 08:20 GMT

कोरोनाकाल में तमाम विपत्तियों के बाद साहित्यिक जगत के लिए नरेंद्र कोहली जी का जाना, क्षोभ का विषय है। नरेंद्र जी की पहचान एक कालजयी रचनाकार के साथ "सम्पूर्ण साहित्यकार" के रूप में भी थी।

कालजयी रचनाकार की यही खूबी होती है कि वो अपने साहित्य में समानांतर संसार की रचना करते हुए जातीय स्मृतियों का एक अनमोल खजाना आने वाली पीढ़ियो तथा अपने समकालीन समाज के लिए गढ़ता है। कोहली जी की कलम साहित्य की ज्यादातर विद्याओं पर चली है, चाहें वो कहानी, उपन्यास, नाटक , व्यंग्य , निबंध, संस्मरण ,पत्र आदि विद्या हों।

कुछ समय पहले एक वरिष्ठ साहित्यकार साहब की 'अज्ञेय' जी पर पोस्ट देखी थी जिसमें अन्य रचनाकारों की आलोचना करते हुए, अज्ञेय जी को "सम्पूर्ण साहित्यकार" माना गया था, एक बार उन वरिष्ठ साहित्यकार साहबो को नरेंद्र कोहली और मनोहर श्याम जोशी जी के बारें में भी सोचना चाहिए। आगे, वरिष्ठ साहब सर्वेश्वर तो हैं ही।

बहरहाल नरेंद्र कोहली जी को हिंदी परिषद्, हिन्दू कॉलेज( मुरादाबाद ) की ओर से अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि 💔🌹

#नरेंद्र_कोहली

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