पंडीजी का अतीत भव्य रहा है, लेकिन इस हरिजन एक्ट के चलते सब लूट गया? अब किस पर भरोसा करें? अब वोट किसको दें?

Update: 2018-08-27 04:58 GMT

पंडीजी का अतीत भव्य रहा है। जमनापार उनके दादा का पेट्रोल पंप रहा। मुट्ठीगंज में ट्रैवल एजेंसी रही। तेरह ट्रक चलते थे। कई बीघा ज़मीन थी। पंडीजी के बाप ढीले निकले। कुछ नहीं जोड़े। सब बेच डाले। मस्जिद टूटी, तब पंडीजी ने जवानी की दहलीज पर कदम रखा था। उन्हें लगा हमारी सरकार आने वाली है, पुराना वैभव वापस आना चाहिए। वे अपने इकलौते नालायक बाप को गांव छोड़ दिल्ली चले आए और कई धंधे शुरू किए।

पूर्ण बहुमत वाली छप्पन इंची सरकार आने तक उनके दिल्ली एनसीअार में तीन प्लॉट, एक मकान, एक ससुराल और दो दुकान हो गई। वे करोड़पति बन गए। इस समृद्धि में उनकी चलाई कमेटियों का भरपूर हाथ था जिसमें वे नानजात के लोगों से पैसा जमा करवा के उन्हें लूट लेते थे। फिलहाल वे महीने में कोई साठ कमेटियों की एक साथ बोली लगाते हैं। अच्छे दिन क्या कहें, सुनहरे दिन चल रहे हैं। बस एक समस्या परसों पैदा हो गई है जिसका इलाज उन्हें खोजे नहीं मिल रहा।

बता रहे थे कि गांव में कुछ नानजात के लोग उनकी नीम से दतुवन तोड़ के करते थे, दरवाजे पर थूकते थे और कभी कभार फारिग भी हो लेते थे। इसी को लेकर उनके भांजे ने हड़का दिया। फिर अगले दिन कोई दो दर्जन लोग इनके भांजे की दुकान पर लाठी लेकर आ गए और सिर फोड़ दिए। ये लोग शिकायत कराने गए तो पुलिस ने उल्टे इन्हीं के परिवार के दो लोगों को थाने में जमा कर लिया। पता चला कि हरिजन एक्ट में मुकदमा पहले से दर्ज था।

पंडी जी परेशान हैं। कह रहे थे कि सारा पैसा बेकार गया। इज्जत गई सो अलग से। सरकार अपनी है लेकिन काम उनका कर रही है। पूछ रहे थे भइया बताइए, अब किस पर भरोसा करें? अब वोट किसको दें? मुझे सहानुभूति तो बहुत हुई, लेकिन मेरे पास उनके सवाल का कोई जवाब नहीं था।

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