पेट का सवाल है / शैल चतुर्वेदी हास्य कविता : जन्मदिन विशेष

पहुंचे रोज़गार दफ़्तर बतलाया गया- "जगह एक खाली है सर्कस में बन्दर की।"

Update: 2021-06-29 09:53 GMT

बीस साल पहले

हमने कोशिश की

हमें भी मिले

कोई नौकरी अच्छी-सी

इसी आशा में दे दी

दरख़्वास्त

एम्पलायमेंट एक्सचेंज में

बीस साल की एज में

गुज़र गए आठ साल

कोई जवाब नहीं आया

और एक दिन प्रात:काल

एम्पलायमेंट एक्सचेंज वालों का

पत्र आया

इंटरव्यू के लिए

गया था बुलाया

हम बन-ठन कर

राजकुमारों की तरह तनकर

पहुंचे रोज़गार दफ़्तर

बतलाया गया-

"जगह एक खाली है

सर्कस में बन्दर की।"

भागते भूत की लंगोटी भली

सोचकर 'हाँ' कर दी

हमारी डाक्टरी जांच की गई

कूदने फांदने की

सात दिन बाद

'शो' में लाया गया

उचक-उचक कर

दिखा रहे थे कलाबाजियाँ

दर्शक-गण बुद्धू बने

बजा रहे थे तालियाँ

तभी अकस्मात

छूट गया हाथ

जा गिरे

कटघरे में शेर के

गिरते ही चिल्लाए-

"बचाओ-बचाओ।"

तभी शेर बोला-"शोर मत मचाओ

पेट का सवाल है

हमारे उपर भी

शेर की खाल है

हम भी है तुम्हारी तरह सिखाए हुए

एम्पलायमेंट एक्सचेंज के लागाए हुए।"

Tags:    

Similar News